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Programming language । प्रोग्रामिंग भाषा और उसके प्रकार

Programming language ( प्रोग्रामिंग भाषा ) :-


Programming  language । प्रोग्रामिंग भाषा और उसके प्रकार

हैेलो दोस्तो में आज बताने जा रहा हु प्रोग्रामिग भाषा के बारे में भाषा मेेरा तात्पर्य दो व्यक्तियों के आदान - प्रदान के माध्यम से है परन्तु यहाँ जिन भाषाओं के बारे में हम अध्ययन कर रहे हैं यह कम्प्यूटर तथा उसके यूजर के मध्य सूचनाओं के आदान - प्रदान का माध्यम है तथा इन्हे प्रोग्रामिंग भाषाएँ कहते हैं । प्रोग्रामिंग भाषा कम्प्यूटर द्वारा किये जाने वाले विभिन्न कायों के लिए उसे निर्देश देने के लिए प्रोग्राम लिखने में उपयोग होने वाली भाषा है ।

प्रोग्रामिंग भाषाओ के प्रकार (Types of Programming Language) :-

Programming  language । प्रोग्रामिंग भाषा और उसके प्रकार

कई प्रकार की कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाएँ आज प्रचलित हैं तथा प्रोग्राम लिखने के लिए प्रोग्रामर को उनमें से एक या अधिक भाषा की जानकारी होनी चाहिए । प्रत्येक भाषा के अपने कुछ मानक और विशिष्ट नियम होते हैं जिनका प्रोग्राम लिखते समय प्रोग्रामर द्वारा कड़ाई से पालन किया जाता है । प्रोग्रामिंग भाषा को उनके पदानुक्रम के अनुसार निम्नलिखित भाषा में विभक्त किया जाता है।
 ( i ) मशीनी भाषा ( ii )असेम्बली भाषा ( iii ) उच्चस्तरीय भाषा

1 मशीनी भाषा ( MACHINE LANGUAGE ) :-

 कम्प्यूटर सिर्फ अंको के निदेश को समझ सकता है, जोकि बाइनरी (Binary) 1 या 0 होता है । शुरुआत में कम्प्युटरों में सभी प्रोग्राम मशीन कोड में लिखे जाते थे । जिनका विकास उन कम्प्यूटर के निर्माताओं द्वारा किया गया था । सभी कम्प्यूटर की अपनी मशीनी भाषा होती थी , जो उसकी आन्तरिक संरचना पर आधारित होती थी । यदि प्रोग्राम लिखना हो तो प्रोग्रामर को इस विशेष मशीनी भाषा की जानकारी होनी चाहिए तथा साथ ही काम में आने वाले कम्प्यूटर में भी भली प्रकार परिचित होना चाहिए । इस भाषा में लिखे गये प्रोग्राम केवल उन्हीं कम्प्यूटरों पर प्रयोग किये जा सकते हैं , जिनके लिए यह भाषा बनाई गई है । कम्प्युटर के विभिन्न विशिष्ट ऑपरेशन के कोड की सूची कम्प्यूटर निर्माता उपलब्ध होती थी जिनका प्रयोग कर प्रोग्रामर प्रोग्राम बनाते हैं । 
मशीनी भाषा के लाभ ( Advantages of Machines Language ) 
 ( 1 ) यह भाषा कम्प्यूटर की अपनी भाषा है । अत : इसमें लिखे निर्देशों को पढ़ने व समझने के लिए उसे किसी अनुवादक की आवश्यकता नहीं हैं । 
( 2 ) इस भाषा में लिखे प्रोग्राम्स के क्रियान्वयन की गति तेज होती है । 
मशीनी भाषा से हानि ( Disadvantages of Machines Language ) 
( 1 ) यह भाषा समझने एवं इस्तेमाल करने में कठिन है । 
( 2 ) इस भाषा में लिखे गये प्रोग्राम्स का आकार बड़ा होता है तथा इनके लिए कम्प्यूटर की स्टोरेज क्षमता अधिक होनी चाहिए । 
( 3 ) प्रत्येक कम्प्यटर की मशीनी भाषा उसकी आन्तरिक संरचना पर निर्भर करती है । अतः अलग - अलग आन्तरिक संरचना वाले कम्प्यूटरों की अलग - अलग मशीनी भाषा है ।

2 असेम्बली भाषा ( Assembly Language):- 

मशीनी भाषा के प्रयोग में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए उसमें सुधार करके जो भाषा बनाई गई , उसे असेम्बली भाषा कहते हैं । इस भाषा में कम्प्यूटर के गणितीय तथा लॉजिकल दोनों प्रकार के कार्यों के लिए प्रतीकों का उपयोग किया जाता है । इसके निर्देशों में प्रयुक्त डाटा ऐड्रेस के स्थान पर भी प्रतीकों का उपयोग किया जाता । आसानी से याद किये जा सकने वाले प्रतीकों का उपयोग होने के कारण प्रोग्रामिंग का कार्य अत्यन्त सरल हो गया है , परन्तु कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा ही समझ सकता है । अतः असेम्बली भाषा में लिखे गये प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनुवाद करना आवश्यक है । इस कार्य को करने के लिए कुछ विशेष प्रोग्राम्स को प्रयुक्त किया जाता है जिन्हें असेम्बलर कहते हैं । असेम्बली भाषा के लाभ ( Advantages of Assembly Language )
( i ) यह भाषा प्रयोग करने में आसान है ।
( ii ) इस भाषा में लिखे गये प्रोग्राम मशीनी भाषा में लिखे गये प्रोग्राम से छोटे होते हैं ।
असेम्बली भाषा की हानि ( Disadvantages of Assembly Language )
( i ) यह भाषा मशीनी भाषा की तरह ही मशीन के अनुकूल होती है , इसलिए विभिन्न कम्प्युटरों में प्रयोग की जाने वाली असेम्बली भाषा में अन्तर होता है । इस कारण से एक कम्प्यूटर के लिए असेम्बली भाषा में लिखा गया प्रोग्राम दूसरे कम्प्यूटर में तब तक नहीं चल सकेगा जब तक उनकी आन्तरिक संरचना एक सी न हो । ( i i ) कम्प्यूटर चूँकि मशीनी भाषा ही समझता है । अतः असेम्बली भाषा में लिखे गये प्रोग्राम का मशीनी । भाषा में अनुवाद आवश्यक है । इस कारण से प्रोग्राम के क्रियान्वन की गति थोडी धीरे होती है ।

3 उच्च स्तरीय भाषा (HIGH LEVEL LANGUAGE ) :-

 इन भाषाओं को प्रक्रियात्मक भाषाओं के नाम से भी जाना जाता है । ये भाषायें सामान्य अंग्रेजी भाषा में लिखे गये निर्देशों का प्रयोग करती है । जिसके कारण यह अत्यन्त सरल होती हैं । ये भाषाएँ चूंकि प्रक्रिया पर आधारित होती मशीन संरचना से मुक्त होती हैं , इसलिए इनको उच्च स्तरीय ( High Level ) भाषा कहा जाता है ।
 सबसे पहली तैयार की गई उच्च स्तरीय भाषा FORTRAN ( Formula Translation ) है । उसके बाद COBOL , BASIC , PASCAL आदि कई अन्य उच्च स्तरीय भाषाओं का निर्माण हो चुका है । चूंकि कम्प्यूटर मशीनी भाषा में ही कार्य करता है । अतः उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को क्रियान्वित करने के लिए मशीनी भाषा में अनुवाद करना आवश्यक है । इस कार्य को करने के लिए कुछ विशेष प्रोग्राम्स को प्रयुक्त किया जाता है । जिन्हें कम्पाइलर ( Complier ) कहते है ।
उच्च स्तरीय भाषा के लाभ ( Advantages of High Level Language )
( i ) इन भाषाओं में चूंकि सामान्य अंग्रेजी व गणितीय चिन्हों का योग किया जाता है इसलिए ये भाषाएं सीखने , समझने , लिखने व पढ़ने में आसान होती हैं ।
( i i ) यह भाषा सभी तरह के कम्प्यूटर में समान होती हैं ।
(iii ) इस भाषा में लिखे गए प्रोग्राम्स का आकार तुलनात्मक कम होता है ।
उच्च स्तरीय भाषा की हानि ( Disadvantages of High Level Language )
( i ) इस भाषा के प्रोग्राम्स को क्रियान्वयन करने के लिए मशीनी भाषा में इनका अनुवाद करना आवश्यक है ।
( ii ) इस भाषा के प्रोग्राम्स के क्रियान्वयन की गति कम होती है ।

4 तृतीय पीढ़ी ( Third generation ) :-

 सभी उच्च स्तरीय भाषाएँ ( High Level Languages ) तृतीय पीढ़ी की भाषाएँ कहलाती हैं । द्वितीय पीढी में बनी असेम्बली भाषा की सबसे बड़ी हानि यह थी कि यह कम्प्यूटर की संरचना पर निर्भर करती है । अत : अत्यधिक कठिनाइयों के बावजूद यदि एक प्रोग्राम लिख भी दिया जाता है तो वह किसी अन्य कम्प्यूटर पर क्रियान्वित हो सकेगा या नहीं , ऐसा विश्वास से नहीं किया जा सकता । भाषा की मशीन पर निर्भरता को देखते हुए ही तृतीय पीढ़ी में ऐसी भाषाओं का विकास हुआ जो मशीन यानि कम्प्यूटर की संरचना पर निर्भर नहीं करती हैं । इन सभी भाषाओं को उच्च स्तरीय भाषाएँ ( High Level Languages ) कहा गया । उच्च स्तरीय भाषा में लिखें गये निर्देशों ( ComITIands ) को स्टेटमेंट्स ( Statements ) कहा जाता है तथा ये अंग्रेजी भाषा के वे छोटे - छोटे से शब्द हैं जिन्हें हम अपनी बोलचाल में प्रयोग करते हैं । अतः इस पीढी की भाषाओं का व्यापक इस्तेमाल होता है । इन उच्च स्तरीय भाषाओं का प्रयोग बड़े - बड़े ऐप्लिकेशन प्रोग्राम ( Application Program ) बनाने में होता है । वैसे द्वितीय पीढी की असेम्बली भाषा की तरह इन उच्च स्तरीय भाषाओं में लिखे गये प्रोग्राम्स की भी कम्प्यूटर में क्रियान्वित करने से पहले मशीनी  भाषा में रुपान्तरित करना आवश्यक है तथा इस कार्य के लिए आवश्यक प्रोग्राम बाजार में उपलब्ध हैं । इन्हें । कमपाइलर ( Compiler ) तथा इन्टरप्रेटर ( Interpreter ) कहते हैं । सबसे पहले विकसित हुई उच्च स्तरीय भाषा फोरटान ( Fortran ) तथा उसके बाद अन्य कई भाषाएँ आई जैसे - PASCAL , COBOL , BASIC , C , C + + आदि ।

5 चतुर्थ पीढ़ी से अभी तक ( FoURTH GENERATION  TO UPTO) :-

 क्वेरी भाषा ( Query Language ) को चतुर्थ पीढी की भाषा कहा जाता है । ये भाषाएँ एक अविधिक ( Non- Procedural ) भाषाओं के रूप में परिभाषित की जा सकती हैं । इस पीढी की भाषाओं में प्रयोक्ता को सिर्फ यह बताना होता है कि क्या करना है , कैसे करना है यह सब कुछ भाषा में ही परिभाषित होता है । डी - बेस ( Dbase ) , औरैकल ( Oracle ) आदि कुछ चतुर्थ पीढ़ी की भाषाओं के उदाहरण हैं । इन भाषाओं में बहुत से कार्यों के लिए प्रोग्राम तो पूर्व में ही बने हुए होते हैं तथा भाषा में स्टोर होते हैं । अत : यदि हमारी जरूरत उनसे पूर्ण होती है तो हमें एक लाइन भी प्रोग्राम की लिखने की आवश्यकता नहीं है । उदाहरणार्थ तृतीय पीढ़ी में किसी फाइल में से एक रिकॉर्ड हटाना है तो उसकी किसी भी भाषा में एक छोटा सा सही प्रोग्राम बनाना तो पड़ेगा ही परन्तु चतुर्थ पीढी में यह काम सिर्फ एक कमाण्ड ( Delete ) देकर कराया जा सकता है । सामान्यतः चतुर्थ पीढी की भाषाओं को 4 GLs ( फोरजीएल्स ) कहा जाता है।


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