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cordless tele communication

 आज हम computers in hindi मे cordless tele communication in hindi - computer network in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- 

cordless tele communication system:-

cordless tele communication सामान्यत : कॉर्डलैस टर्म का उपयोग अधिकतर उन उपकरणों का mention करने के लिए किया जाता है , जो इलैक्ट्रॉनिक हैं अथवा इलैक्ट्रिल हैं तथा वे बिना किसी तार के भी अपना कार्य करने में सक्षम हैं । wireless होने से उनके कार्य की गतिशीलता में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती है । 
कॉर्डलैस सिस्टम स्तर का मूल्यांकन कॉर्डलैस टेलीफोन तकनीक से हुआ है वास्तव में कॉर्डलैस को विकसित इसलिए किया गया कि प्रयोगकर्ता को एक निश्चित वरीयता में गतिशीलता मिल सके । घरों में या छोटे कार्यालयों में टेलीफोन के बजाय एक अलग हैण्डसैट मिल सके जो कि wireless हो तथा वह एनॉलॉग हो । 
इस तकनीक के अन्तर्गत घरों के अन्दर एक ही बेस स्टेशन के द्वारा ध्वनि तथा डेटा प्रदान किया जाता है । इसका प्रयोग घर मेंcommunication के लिए भी किया जाता है तथा इसके अतिरिक्त यह पब्लिक नेटवर्क के साथ भी कनैक्शन प्रदान करता है ।
इस तकनीक के अन्तर्गत कार्यालयों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है कार्यालय में भी एक एक ही बेस स्टेशन के द्वारा कई टेलीफोन हैण्डसैट तथा डेटा उपकरणों को सपोर्ट करता है । यदि प्रयोगकर्ताओं की संख्या ज्यादा हो तो मल्टीपल बेस स्टेशनों का उपयोग किया जाता है । 
कॉर्डलैस टेलीफोन को पोर्टेबल टेलीफोन भी कहा जाता है । यह टेलीफोन अर्थात् हैण्डसैट wireless होता है , जो कि बेस स्टेशन के साथ जुड़ा होता है । इसकी कार्यक्षेत्र की दूरी / सीमा ( range ) निश्चित होती है । बेस स्टेशन एक लैण्डलाईन फोन से जुड़ा होता है । यह कम्यूनिकेशन तकनीक रेडियो तकनीक पर आधारित होती है । इसमें कम्यूनिकेशन रेडियो आधारित होता है । wireless हैण्डसैट की दूरी / range बेस स्टेशन से कुछ मीटर्स ( लगभग 20-30 मीटर ) तक की होती है ।

Types of cordless tele communication :-

कॉर्डलैस टेलीकम्यूनिकेशन सिस्टम के दो भाग होते हैं 
1. बेस स्टेशन 
2. दूसरा हैण्डसैट । 
बेस स्टेशन स्थिर भाग होता है , यह बेस स्टेशन PSTN ( public switched telephone network ) से जुड़ा होता है । बेस स्टेशन से हैण्डसैट तरंगों के माध्यम से जुड़ा होता है । हैण्डसैट भाग पोर्टेबल होता है इसमें एक बैट्री लगी होती हैं इसके बेस स्टेशन पर रखकर चार्ज किया जाता है । बेस स्टेशन को तार के माध्यम से बिजली से जोड़ दिया जाता है । हैण्डसैट के चार्ज होने के पश्चात् हैण्डसेट अपनी निश्चित दूरी तक कार्य कर सकता है ।
इस तकनीक के हैण्डसैट में एक बैट्री लगी होती है , जिसे बेस स्टेशन पर रखकर चार्ज किया जाता है । बेस स्टेशन का प्रयोग हैण्डसैट को चार्ज करने व इसे पब्लिक टेलीफोन नेटवर्क  से जुड़ने के लिए किया जाता है । बेस स्टेशन को तार के माध्यम से बिजली से जोड़ दिया जाता है । 
इस प्रकार के फोन की रेंज 1.7 MHz से लेकर 5.8 GHz तक की होती है । इस तकनीक में आवश्यकतानुसार उचित फ्रीक्वेन्सी बैण्ड का प्रयोग किया जाता है । इस तकनीक में सिग्नल्स को सुरक्षित रखने के लिए DSS ( digital spread spectrum ) का प्रयोग किया जाता है । इस तकनीक के द्वारा ध्वनि की तरंगों को प्रसारित करने के लिए 3 KHz की बैण्डविड्थ का प्रयोग किया जाता है । इस कारण इन सिग्नल्स को उसी नेटवर्क के हैण्डसैट व बेस स्टेशन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । अत : इस दृष्टि से डिजिटल सिग्नल और अधिक सुरक्षित होते हैं । 
जैसे - जैसे यह तकनीक उच्च स्तर पर विकसित होती गई वैसे - वैसे इसका रूपान्तरण डिजिटल में होता गया , तथा परिणामस्वरूप डिजिटल कॉर्डलैस टेलीफोन विकसित हो गए । इसके अन्तर्गत एक ही बेस स्टेशन एक से अधिक प्रयोगकर्ताओं को सपोर्ट करता है ।

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