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what is FDMA (frequency division multiple access)

what is FDMA (frequency division multiple access) :- FDMA का पूरा नाम फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है. यह cellular system के लिए एक multiple access techniques है जिसमें फ्रीक्वेंसी को विभाजित किया जाता है. इसमें लिंक की उपलब्ध bandwidth को विभिन्न नोड्स (स्टेशन) के मध्य फ्रीक्वेंसी बैंड्स के रूप में विभाजित किया जाता है.

इसमें प्रत्येक स्टेशन को डेटा भेजने के लिए एक बैंड एलोकेट किया जाता है तथा प्रत्येक बैंड हमेशा एक स्टेशन के लिए रिज़र्व रहता है.

इसमें प्रत्येक स्टेशन की ट्रांसमीटर फ्रीक्वेंसी को सिमित रखने के लिए एक बैंडपास फ़िल्टर का उपयोग किया जाता है।
FDMA में एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन के मध्य overlapping से बचने के लिए allocated बैंड्स के मध्य एक छोटा बैंड जिसे गार्ड बैंड कहते है स्थापित किया जाता है।

FDMA का प्रयोग AMPS (Advanced Mobile Phone Service) में किया जाता है। इस तकनीक के अंतर्गत स्थानांतरित (transfer) होने वाले डाटा समान  फ्रिकवेंसी या अलग फ्रिकवेंसी पर स्थानांतरित (transfer) होता है ।
यदि डाटा पूरे समय एक ही फ्रीक्वेंसी का अनुसरण करताहै तो उसे पूर्णतः FDMA कहा जाता है । यदि डेटा की फ्रीक्वेंसी  समय के अनुसार  बदलती रहती हैं तो इस तकनीक को फ्रिकवेंसी ट्रैपिंग कहा जाता है ।
FDMA एक मल्टीप्लेक्सिंग तकनीक है । इस तकनीक का प्रयोग एनालॉग मोबाइल नेटवर्क की प्रथम पीढ़ी में हुआ था। FDMA एक प्रकार का चैनल एक्सेस मेथड अर्थात किसी चैनल को एक्सेस करने की विधि है ।यह एक या एक से अधिक फ्रिकवेंसी बैंड्स विभिन्न प्रयोगकर्ताओं  का अलग अलग उपलब्ध कराता है। इसलिए इसका प्रयोग मल्टीपल एक्सेस चैनल  की भांति  प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा सेल्यूलर नेटवर्क में आधार स्टेशन (base station) तथा मोबाइल स्टेशन एक साथ कार्य करते हैं।

इसे रेडियो स्पेक्ट्रम को बांटने के लिए रेडियो सिस्टम के द्वारा प्रयोग में किया जाता है। इसके अंतर्गत बैंडविथ को छोटे-छोटे फ्रिकवेंसी बैंड में विभाजित किया जाता है । इस विभाजित बैंड का सब-डिविजन(sub-division) कहा जाता है। प्रत्येक सब -डिविजन कि अपनी अलग फ्रिकवेंसी होती है। एक ही समय पर  एक ही  सब-डिवीजन  में  दो या दो से अधिक  स्टेशन  ट्रांसमिट ना हो जाए  इसका नियंत्रण  इसके नियंत्रण सिस्टम (Control system)  के द्वारा किया जाता है।

यह तकनीक सेटेलाइट कम्युनिकेशन में भी विशेष प्रकार की भूमिका निभाती है । इसके द्वारा समस्त प्रयोगकर्ता  सेटेलाइट को समानांतर रूप से प्रयोग कर सकते हैं। प्रत्येक प्रयोगकर्ता एक अलग फ्रिकवेंसी पर कार्य करता है तथा प्रत्येक प्रयोगकर्ता एक  अलग फ्रिकवेंसी को प्राप्त करता है। इसका प्रयोग डिजिटल सिग्नल व एनालॉग सिग्नल दोनों में ही किया जाता है।

 पृथ्वी पर बने स्टेशन के द्वारा सेटेलाइट को carrier सिग्नल भेजे जाते हैं। एक   Carrier सिग्नल दूसरे Carrier  सिग्नल के साथ mismatch  ना हो जाए इसके लिए प्रत्येक Carrier सिग्नल के साथ गार्ड बैंड लगे होते हैं। सेटेलाइट के द्वारा इन सभीCarrier  सिग्नलो को प्राप्त किया जाता है तथा इन्हें पुन: पृथ्वी पर भेज दिया जाता है। इस ट्रांसमिशन के अंतर्गत FMS (frequency modulation scheme) का प्रयोग किया जाता है। FMS डिजिटल तथा एनालॉग दोनों प्रकार के सिगनलो के साथ कार्य कर सकती है। FDMA फिक्स असाइनमेंट के साथ डिमांड असाइनमेंट को भी सपोर्ट करता है। डिमांड असाइनमेंट के अंतर्गत सभी प्रयोगकर्ता प्रत्यक्ष रूप से रेडियो स्पेक्ट्रम को लगातार एक्सेस कर सकते हैं। इसके लिए यह तकनीक प्रयोगकर्ता को carrier फ्रिकवेंसी आवंटित करती हैं। यह आवंटन अस्थाई रूप से होता है ।सेटेलाइट के लिए प्रथम  डिमांड  असाइनमेंट  सिस्टम comsat के द्वारा  विकसित किया गया था ।  इसका प्रयोग सीरीज के IVA व V सेटेलाइट में किया गया था।

FDMA को नेटवर्क प्रोटोकॉल के अन्तर्गत OSI माँडल में डेटा लिंक लेयर के मीडिया एक्सेस लेयर पर विकसित किया जाता है। वास्वत में FDMA फ्रीक्वेन्सी डिविज़र मल्टीप्लैक्सिंग तकनीक पर आधारित है। इस प्रकार की तकनीक का प्रयोग बेतार (wireless) नेटवर्किंग मे किया जाता है।FDMA मुख्य रूप से दो प्रकार की तकनीको का प्रयोग करता है। इसकी प्रथम तकनीक MCPC(multi channel per carrier) है।तथा द्वितीय तकनीकSCPC(single channel per carrier )है।
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