टोपोलॉजी क्या होती हैं?(what is topology) :- टोपोलॉजी नेटवर्क की आकृति या लेआउट को कहा जाता है | नेटवर्क के विभिन्न नोड किस प्रकार एक दुसरे से जुड़े होते है तथा कैसे एक दुसरे के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करते है, उस नेटवर्क को टोपोलॉजी ही निर्धारित करता है टोपोलॉजी फिजिकल या लौजिकल होता है| Computers को आपस में जोडने एवं उसमें डाटा Flow की विधि टोपोलाॅजी कहलाती है। वास्तव में टोपोलॉजी का मतलब नेटवर्किंग में नेटवर्क को डिजाइन (Design) करना ।
टोपोलॉजी किसी नेटवर्क में कम्प्यूटर के ज्यामिति व्यवस्था (Geometric arrangement) को कहते है |
नेटवर्क टोपोलॉजी क्या हैं ? (What is network topology):- किसी भी नेटवर्क की टोपोलॉजी से तात्पर्य है उसमें केबल्स (cables) कंप्यूटर्स और पेेरीफेरल्स डिवाइस (peripherals devices) का कॉन्फ़िगरेशन करना। या हम कह सकते हैं की नेटवर्क में कंप्यूटरों , तारो और अन्य कंपोनेंट्स (components) के फिजिकल लेआउट (physical layout) से होता है। टोपोलॉजी नेटवर्क बनाने का एक आधार भी है।
किसी नेटवर्क की टोपोलॉजी उस नेटवर्क की क्षमताओ (Capabilities) को प्रभावित करती हैं।
इसी नेटवर्क के टोपोलॉजी का चयन निम्न बातों पर निर्भर करता है -
(1) नेटवर्क की वृद्धि (Growth)
(2) उपकरणों (Equipment)की क्षमता
(3) नेटवर्क को प्रबंध (manage) करने का तरीका
(4) नेटवर्क की आवश्यकता हो के अनुसार उपकरण का प्रकार
किसी भी नेटवर्क को अच्छे तरीके से कार्य करने के लिए टोपोलॉजी को निर्धारित करने की आवश्यकता होती है।टोपोलॉजी यह बताती हैं की नेटवर्क पर मेंं कंप्यूटर कैसे कम्युनिकेट (communicate) करेंगे।
नेटवर्क को इंस्टॉल(Install) करने का मतलब कंप्यूटर्स को केवल तार से जोड़ना नहीं होता है। नेटवर्क को स्थापित करने के लिए अलग अलग तरह के तार (Cables), नेटवर्क कार्ड्स (Network cards),ऑपरेटिंग सिस्टम(Operating system) के साथ साथ विभिन्न प्रकार के व्यवस्थापन(Arrangements) की आवश्यकता भी होती हैं।
मुख्य रूप से निम्न 4 बेसिक टोपोलॉजी है, जिनसे अन्य टोपोलॉजी का निर्माण किया जा सकता है-
(1) बस टोपोलॉजी (Bus topology)
(2) स्टार टोपोलॉजी (Star topology)
(3) रिंग टोपोलॉजी (Ring topology)
(4) मेष टोपोलॉजी (Mesh topology)
इन चारों टोपोलॉजी को एक साथ कंबाइन(combine) कर अलग अलग प्रकार के जटिल हाइब्रिड टोपोलॉजी (Typical hybrid topology) का निर्माण भी किया जा सकता है। सर्वप्रथम उपरोक्त 4 टोपोलॉजी को समझाना आवश्यक हैं ।
(1) बस टोपोलॉजी (Bus topology):-बस टोपोलॉजी (Bus Topology) में एक ही तार (Cable) का प्रयोग होता है और सभी कम्प्यूटरो को एक ही तार से एक ही क्रम में जोड़ा जाता है | तार के प्रारम्भ तथा अंत में एक विशेष प्रकार का संयंत्र (Device) लगा होता है जिसे टर्मिनेटर (Terminator) कहते है | इसका कार्य संकेतो (Signals) को नियंत्रण करना होता है |
बस टोपोलॉजी को लीनियर बस (Linear bus) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कंप्यूटर्स एक सीधी लाइन में जुड़े होते हैं । यह सबसे सरल और साधारण तरीका है। सभी डिवाइस (Devices) एक केंद्रीय तार (Central cable) से जुड़े होते हैं ।
बस टोपोलॉजी नेटवर्क में एक समय में एक ही कंप्यूटर डाटा transmit कर सकता है चूंकि किसी बस नेटवर्क में एक समय में एक ही कंप्यूटर डाटा भेज सकता है अतः बस से जुड़े हुए कंप्यूटरों की संख्या नेटवर्क के परफॉर्मेंस (Performance) को प्रभावित करते हैं।
बस टोपोलॉजी नेटवर्क में कंप्यूटर डाटा की ऐड्रेसिंग (Addressing) कर डाटा को इलेक्ट्रॉनिक सिगनल (Electronic singnals) के रूप में नेटवर्क में सभी कंप्यूटर को भेजा जा सकता जाता है तथा डाटा को केवल उसी कंप्यूटर द्वारा एक्सेप्ट (Accept) किया जाता है, जिसका ऐड्रेस (Address) डाटा में एनकोड (Encode) किया गया होता है और अन्य सभी के द्वारा डाटा को डिस्कार्ड (Discard) कर दिया जाता है।
बस से जुड़े हुए कंप्यूटरों की संख्या कितनी अधिक होती है,कंप्यूटरों को बस पर अपना डाटा भेजने के लिए उतनी ही अधिक देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, इसलिए नेटवर्क का परफॉर्मेंस (Performance) धीमा (Slow) हो जाता है।
वास्तव में नेटवर्क का परफॉर्मेंस (Performance) केवल नेटवर्क में कंप्यूटर की संख्या पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि यह निम्न कारको(Factors) पर भी निर्भर करता है।
q नेटवर्क में प्रयुक्त कंप्यूटर्स की हार्डवेयर हार्डवेयर क्षमताएं (Hardware capabilities)
q वेटिंग में लगे हुए कमांड्स (Commands) की संख्या
q नेटवर्क में प्रयुक्त तार (Cable) के प्रकार
q नेटवर्क में कंप्यूटर्स के बीच की दूरियां (Distance)
बस टोपोलॉजी में तार के दोनों सिरों पर एक कंपोनेंट (Component) लगाया जाता है जिसे टर्मिनेटर (Terminator) कहते हैं जो फ्री सिगनल (free signals) को अवशोषित (Adsorb) कर लेता है।
जैसे-जैसे किसी ऑफिस संस्था का साइज (Size) बढ़ता है वैसे वैसे नेटवर्क के साइज (Size) को बढ़ाने की आवश्यकता होती है, इसके लिए या तो तार को लंबा करने के लिए बैरेल कनेक्टर (Barrel connector) का प्रयोग किया जा सकता है या हम इसके लिए रिपिटर (Repeater) का प्रयोग भी कर सकते हैं।
तार का हर सिरा (End) या तो कंप्यूटर या कनेक्टर (connecter) में Plugged होता है, यदि plugged नहीं है तो उसे टर्मिनेटर (Terminator) से टर्मिनेट (Terminate) किया जाना आवश्यक है ताकि सिग्नल को बाउंस (Bounce) होने से रोका जा सके। यदि सिग्नल (Signals) बाउंस (Bounce) हो जाता है तो सभी नेटवर्क एक्टिविटी (Network activity) रुक जाती है और नेटवर्क डाउन (Down) हो जाता है।
रिपिटर या कनेक्टरस (Connectors) में से चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए चौकी रिपिटर क्योंकि रिपीटर सिग्नल को नेटवर्क में आगे भेजने के लिए उसकी शक्ति (Strength) को बढ़ाते है जबकि Connectors सिग्नल्स को कमजोर करते हैं।
लाभ (Advantages):- बस टोपोलॉजी नेटवर्क में Cabling का खर्चा कम होता है और इसके साथ काम करना आसान होता है। सिस्टम साधारण और विश्वसनीय होता है। बस टोपोलॉजी को विस्तृत करना आसान होता है।
दोष (Disadvantage):- बस टोपोलॉजी नेटवर्क में ट्रैफिक लोड अधिक होने पर नेटवर्क धीरे (Slow) हो जाता है।
इसमें समस्याओं का पता लगाना कठिन होता है।
इसमें एक तार में खराबी होने या उसके टूट जाने पर अनेक कंप्यूटर्स प्रभावित होते हैं।
(2)स्टार टोपोलॉजी (Star topology):- स्टार टोपोलॉजी में हर कंप्यूटर को एक सेंट्रलाइज्ड डिवाइस से जोड़ा जाता है जिसे हब (Hub) कहते हैं।
स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में डाटा भेजने वाले कंप्यूटर से डाटा सिग्नल को हब (Hub) द्वारा सभी कंप्यूटर्स को भेजा जाता है।
स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में सभी कंप्यूटर्स एक केंद्रीय प्वाइंट (Central point) से जुड़ा जुड़े होते हैं अतः नेटवर्क को स्थापित (Install) करने के लिए बहुत अधिक तारों की जरूरत होती है।
स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में सेंट्रलाइज्ड रिसोर्सेज और व्यवस्थापन (Centralized resources and management) का लाभ होता है। यदि नेटवर्क में हब (Hub) फेल हो जाता है तो पूरा नेटवर्क डाउन हो जाता है लेकिन यदि हब से जुड़ा कोई कंप्यूटर फेल होता है तो केवल उस कंप्यूटर को ही नेटवर्क से अलग करते हैं और शेष नेटवर्क में कार्यरत रहते हैं।
स्टार टोपोलॉजी को स्थापित (Install) करना आसान होता है और इसमें फॉल्स(Faults) का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
लाभ (Advantages):- स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में सिस्टम को मॉडिफाई (Modify) करना आसान होता है।
सिस्टम में नए कंप्यूटर्स को जोड़ना आसान होता है और किसी एक कंप्यूटर के फेल (Fail) होने पर शेष नेटवर्क कार्यरत रहता है।
दोष (Disadvantage):- स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में यदि सेंट्रलाइज्ड प्वाइंट (Centralized point) मतलब हब (Hub) फेल हो जाता है तो पूरा नेटवर्क डाउन हो जाता है।
(3) रिंग टोपोलॉजी (Ring topology):- बस टोपोलॉजी की तरह इसमें तार को कोई भी सिरा (End) टर्मिनेटर (Terminator) से टर्मिनेट(Terminate) नहीं होता है, रिंग टोपोलॉजी में कंप्यूटर को वृत्ताकार रूप (Circular shape) में जोड़ा जाता है। और नेटवर्क मैं डाटा सिगनल (Data singnals) लूप में एक ही दिशा में ट्रैवल (Travel) करते हैं और हर कंप्यूटर से होकर गुजरते हैं।
नेटवर्क में एक कंप्यूटर फेल हो जाने से पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।
रिंग टोपोलॉजी नेटवर्क वे मैं प्रत्येक कंप्यूटर एक रिपिटर(Repeater) की तरह कार्य करता है और डाटा सिग्नल (Data signals) को बूस्ट(Boost) कर आगे वाले कंप्यूटर को भेजता है।
रिंग टोपोलॉजी में डाटा को Transmit करने की के लिए टोकन पासिंग मेथड(Token passing method) का प्रयोग किया जाता है।
हर रिंग टोपोलॉजी में एक ही टोकन (Token) होता है। एक टोकन बिट्स को एक विशिष्ट सीरीज (Special series) है जो टोकन रिंग नेटवर्क में चारों ओर ट्रैवल (Travel) करता है।
जिस भी कंप्यूटर को डाटा भेजना होता है वह टोकन में एक इलेक्ट्रॉनिक ऐड्रेस (Electronic address) को जोड़ता है तथा उसे रिंग (Ring) में भेज देता है। और यह टोकन नेटवर्क में हर कंप्यूटर से होकर तब तक गुजरता रहता है जब तक उसे उपयुक्त ऐड्रेस (Address) नहीं मिल जाता। जब कंप्यूटर उस टोकन को एक्सेप्ट कर लेता है तो रिसीविंग कंप्यूटर (Receiving computer) द्वारा सेंडिंग कंप्यूटर को एक सदेश (Message) भेजा जाता है, जो यह बताती है की डाटा तो प्राप्त को प्राप्त कर लिया गया है।
टोकन पासिंग (Token passing) में ज्यादा समय नहीं लगता है, वास्तव में टोकन करीब करीब प्रकाश की गति से ट्रैवल करता है ।
रिंग टोपोलॉजी नेटवर्क को स्थापित करना थोड़ा मुश्किल होता है।
लाभ (Advantages):- सिस्टम सभी कंप्यूटर्स के लिए एक समान एक्सेस (Access) प्रदान करता है। इस नेटवर्क में प्रयोगकर्ताओंं की संख्या अधिक होने पर भी परफॉर्मेंस (Performance) सभी यूजर्स के लिए एक समान होता है।
दोष (Disadvantaged):- नेटवर्क में किसी एक कंप्यूटर के फेल होने पर का प्रभाव शेष Network पर भी पड़ता है। इसमे समस्या का पता लगाना कठिन होता है और नेटवर्क को रिकनफिगर (Reconfigure) करना कठिन होता है।
(4) मेेेश टोपोलॉजी (Mesh topology):- मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक कंप्यूटर को एक दूसरे से अलग अलग तारों से जाता है। एस कॉन्फ़िगरेशन (Configuration) के कारण नेटवर्क में पर्याप्त पाथ का निर्माण होता है अतः किसी भी तार के फेल हो जाने से ट्रैफिक (Traffic) दूसरे पाथ से जारी रहता है।
अधिक तारों का प्रयोग होने के कारण मेश टोपोलॉजी (Mesh topology) नेटवर्क को स्थापित (Install) करने में खर्चा ज्यादा होता है।
मेश टोपोलॉजी का प्रयोग अन्य टोपोलॉजी के साथ हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid topology) का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है।
लाभ (Advantages):- मेश टोपोलॉजी नेटवर्क विश्वसनीयता प्रदान करता है और इसे ट्रबल सूट (Troubleshoot) करना आसान होता है।
दोष (Disadvantage):- मेश टोपोलॉजी नेटवर्क को स्थापित (Install) करना थोड़ा मुश्किल तथा खर्चीला होता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक तारों का प्रयोग किया जाता है।
टोपोलॉजी किसी नेटवर्क में कम्प्यूटर के ज्यामिति व्यवस्था (Geometric arrangement) को कहते है |
नेटवर्क टोपोलॉजी क्या हैं ? (What is network topology):- किसी भी नेटवर्क की टोपोलॉजी से तात्पर्य है उसमें केबल्स (cables) कंप्यूटर्स और पेेरीफेरल्स डिवाइस (peripherals devices) का कॉन्फ़िगरेशन करना। या हम कह सकते हैं की नेटवर्क में कंप्यूटरों , तारो और अन्य कंपोनेंट्स (components) के फिजिकल लेआउट (physical layout) से होता है। टोपोलॉजी नेटवर्क बनाने का एक आधार भी है।
किसी नेटवर्क की टोपोलॉजी उस नेटवर्क की क्षमताओ (Capabilities) को प्रभावित करती हैं।
इसी नेटवर्क के टोपोलॉजी का चयन निम्न बातों पर निर्भर करता है -
(1) नेटवर्क की वृद्धि (Growth)
(2) उपकरणों (Equipment)की क्षमता
(3) नेटवर्क को प्रबंध (manage) करने का तरीका
(4) नेटवर्क की आवश्यकता हो के अनुसार उपकरण का प्रकार
किसी भी नेटवर्क को अच्छे तरीके से कार्य करने के लिए टोपोलॉजी को निर्धारित करने की आवश्यकता होती है।टोपोलॉजी यह बताती हैं की नेटवर्क पर मेंं कंप्यूटर कैसे कम्युनिकेट (communicate) करेंगे।
नेटवर्क को इंस्टॉल(Install) करने का मतलब कंप्यूटर्स को केवल तार से जोड़ना नहीं होता है। नेटवर्क को स्थापित करने के लिए अलग अलग तरह के तार (Cables), नेटवर्क कार्ड्स (Network cards),ऑपरेटिंग सिस्टम(Operating system) के साथ साथ विभिन्न प्रकार के व्यवस्थापन(Arrangements) की आवश्यकता भी होती हैं।
मुख्य रूप से निम्न 4 बेसिक टोपोलॉजी है, जिनसे अन्य टोपोलॉजी का निर्माण किया जा सकता है-
(1) बस टोपोलॉजी (Bus topology)
(2) स्टार टोपोलॉजी (Star topology)
(3) रिंग टोपोलॉजी (Ring topology)
(4) मेष टोपोलॉजी (Mesh topology)
इन चारों टोपोलॉजी को एक साथ कंबाइन(combine) कर अलग अलग प्रकार के जटिल हाइब्रिड टोपोलॉजी (Typical hybrid topology) का निर्माण भी किया जा सकता है। सर्वप्रथम उपरोक्त 4 टोपोलॉजी को समझाना आवश्यक हैं ।
(1) बस टोपोलॉजी (Bus topology):-बस टोपोलॉजी (Bus Topology) में एक ही तार (Cable) का प्रयोग होता है और सभी कम्प्यूटरो को एक ही तार से एक ही क्रम में जोड़ा जाता है | तार के प्रारम्भ तथा अंत में एक विशेष प्रकार का संयंत्र (Device) लगा होता है जिसे टर्मिनेटर (Terminator) कहते है | इसका कार्य संकेतो (Signals) को नियंत्रण करना होता है |
बस टोपोलॉजी को लीनियर बस (Linear bus) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कंप्यूटर्स एक सीधी लाइन में जुड़े होते हैं । यह सबसे सरल और साधारण तरीका है। सभी डिवाइस (Devices) एक केंद्रीय तार (Central cable) से जुड़े होते हैं ।
बस टोपोलॉजी नेटवर्क में एक समय में एक ही कंप्यूटर डाटा transmit कर सकता है चूंकि किसी बस नेटवर्क में एक समय में एक ही कंप्यूटर डाटा भेज सकता है अतः बस से जुड़े हुए कंप्यूटरों की संख्या नेटवर्क के परफॉर्मेंस (Performance) को प्रभावित करते हैं।
बस टोपोलॉजी नेटवर्क में कंप्यूटर डाटा की ऐड्रेसिंग (Addressing) कर डाटा को इलेक्ट्रॉनिक सिगनल (Electronic singnals) के रूप में नेटवर्क में सभी कंप्यूटर को भेजा जा सकता जाता है तथा डाटा को केवल उसी कंप्यूटर द्वारा एक्सेप्ट (Accept) किया जाता है, जिसका ऐड्रेस (Address) डाटा में एनकोड (Encode) किया गया होता है और अन्य सभी के द्वारा डाटा को डिस्कार्ड (Discard) कर दिया जाता है।
बस से जुड़े हुए कंप्यूटरों की संख्या कितनी अधिक होती है,कंप्यूटरों को बस पर अपना डाटा भेजने के लिए उतनी ही अधिक देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, इसलिए नेटवर्क का परफॉर्मेंस (Performance) धीमा (Slow) हो जाता है।
वास्तव में नेटवर्क का परफॉर्मेंस (Performance) केवल नेटवर्क में कंप्यूटर की संख्या पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि यह निम्न कारको(Factors) पर भी निर्भर करता है।
q नेटवर्क में प्रयुक्त कंप्यूटर्स की हार्डवेयर हार्डवेयर क्षमताएं (Hardware capabilities)
q वेटिंग में लगे हुए कमांड्स (Commands) की संख्या
q नेटवर्क में प्रयुक्त तार (Cable) के प्रकार
q नेटवर्क में कंप्यूटर्स के बीच की दूरियां (Distance)
बस टोपोलॉजी में तार के दोनों सिरों पर एक कंपोनेंट (Component) लगाया जाता है जिसे टर्मिनेटर (Terminator) कहते हैं जो फ्री सिगनल (free signals) को अवशोषित (Adsorb) कर लेता है।
जैसे-जैसे किसी ऑफिस संस्था का साइज (Size) बढ़ता है वैसे वैसे नेटवर्क के साइज (Size) को बढ़ाने की आवश्यकता होती है, इसके लिए या तो तार को लंबा करने के लिए बैरेल कनेक्टर (Barrel connector) का प्रयोग किया जा सकता है या हम इसके लिए रिपिटर (Repeater) का प्रयोग भी कर सकते हैं।
तार का हर सिरा (End) या तो कंप्यूटर या कनेक्टर (connecter) में Plugged होता है, यदि plugged नहीं है तो उसे टर्मिनेटर (Terminator) से टर्मिनेट (Terminate) किया जाना आवश्यक है ताकि सिग्नल को बाउंस (Bounce) होने से रोका जा सके। यदि सिग्नल (Signals) बाउंस (Bounce) हो जाता है तो सभी नेटवर्क एक्टिविटी (Network activity) रुक जाती है और नेटवर्क डाउन (Down) हो जाता है।
रिपिटर या कनेक्टरस (Connectors) में से चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए चौकी रिपिटर क्योंकि रिपीटर सिग्नल को नेटवर्क में आगे भेजने के लिए उसकी शक्ति (Strength) को बढ़ाते है जबकि Connectors सिग्नल्स को कमजोर करते हैं।
लाभ (Advantages):- बस टोपोलॉजी नेटवर्क में Cabling का खर्चा कम होता है और इसके साथ काम करना आसान होता है। सिस्टम साधारण और विश्वसनीय होता है। बस टोपोलॉजी को विस्तृत करना आसान होता है।
दोष (Disadvantage):- बस टोपोलॉजी नेटवर्क में ट्रैफिक लोड अधिक होने पर नेटवर्क धीरे (Slow) हो जाता है।
इसमें समस्याओं का पता लगाना कठिन होता है।
इसमें एक तार में खराबी होने या उसके टूट जाने पर अनेक कंप्यूटर्स प्रभावित होते हैं।
(2)स्टार टोपोलॉजी (Star topology):- स्टार टोपोलॉजी में हर कंप्यूटर को एक सेंट्रलाइज्ड डिवाइस से जोड़ा जाता है जिसे हब (Hub) कहते हैं।
स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में डाटा भेजने वाले कंप्यूटर से डाटा सिग्नल को हब (Hub) द्वारा सभी कंप्यूटर्स को भेजा जाता है।
स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में सेंट्रलाइज्ड रिसोर्सेज और व्यवस्थापन (Centralized resources and management) का लाभ होता है। यदि नेटवर्क में हब (Hub) फेल हो जाता है तो पूरा नेटवर्क डाउन हो जाता है लेकिन यदि हब से जुड़ा कोई कंप्यूटर फेल होता है तो केवल उस कंप्यूटर को ही नेटवर्क से अलग करते हैं और शेष नेटवर्क में कार्यरत रहते हैं।
स्टार टोपोलॉजी को स्थापित (Install) करना आसान होता है और इसमें फॉल्स(Faults) का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
लाभ (Advantages):- स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में सिस्टम को मॉडिफाई (Modify) करना आसान होता है।
सिस्टम में नए कंप्यूटर्स को जोड़ना आसान होता है और किसी एक कंप्यूटर के फेल (Fail) होने पर शेष नेटवर्क कार्यरत रहता है।
दोष (Disadvantage):- स्टार टोपोलॉजी नेटवर्क में यदि सेंट्रलाइज्ड प्वाइंट (Centralized point) मतलब हब (Hub) फेल हो जाता है तो पूरा नेटवर्क डाउन हो जाता है।
(3) रिंग टोपोलॉजी (Ring topology):- बस टोपोलॉजी की तरह इसमें तार को कोई भी सिरा (End) टर्मिनेटर (Terminator) से टर्मिनेट(Terminate) नहीं होता है, रिंग टोपोलॉजी में कंप्यूटर को वृत्ताकार रूप (Circular shape) में जोड़ा जाता है। और नेटवर्क मैं डाटा सिगनल (Data singnals) लूप में एक ही दिशा में ट्रैवल (Travel) करते हैं और हर कंप्यूटर से होकर गुजरते हैं।
नेटवर्क में एक कंप्यूटर फेल हो जाने से पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।
रिंग टोपोलॉजी नेटवर्क वे मैं प्रत्येक कंप्यूटर एक रिपिटर(Repeater) की तरह कार्य करता है और डाटा सिग्नल (Data signals) को बूस्ट(Boost) कर आगे वाले कंप्यूटर को भेजता है।
रिंग टोपोलॉजी में डाटा को Transmit करने की के लिए टोकन पासिंग मेथड(Token passing method) का प्रयोग किया जाता है।
हर रिंग टोपोलॉजी में एक ही टोकन (Token) होता है। एक टोकन बिट्स को एक विशिष्ट सीरीज (Special series) है जो टोकन रिंग नेटवर्क में चारों ओर ट्रैवल (Travel) करता है।
जिस भी कंप्यूटर को डाटा भेजना होता है वह टोकन में एक इलेक्ट्रॉनिक ऐड्रेस (Electronic address) को जोड़ता है तथा उसे रिंग (Ring) में भेज देता है। और यह टोकन नेटवर्क में हर कंप्यूटर से होकर तब तक गुजरता रहता है जब तक उसे उपयुक्त ऐड्रेस (Address) नहीं मिल जाता। जब कंप्यूटर उस टोकन को एक्सेप्ट कर लेता है तो रिसीविंग कंप्यूटर (Receiving computer) द्वारा सेंडिंग कंप्यूटर को एक सदेश (Message) भेजा जाता है, जो यह बताती है की डाटा तो प्राप्त को प्राप्त कर लिया गया है।
टोकन पासिंग (Token passing) में ज्यादा समय नहीं लगता है, वास्तव में टोकन करीब करीब प्रकाश की गति से ट्रैवल करता है ।
रिंग टोपोलॉजी नेटवर्क को स्थापित करना थोड़ा मुश्किल होता है।
लाभ (Advantages):- सिस्टम सभी कंप्यूटर्स के लिए एक समान एक्सेस (Access) प्रदान करता है। इस नेटवर्क में प्रयोगकर्ताओंं की संख्या अधिक होने पर भी परफॉर्मेंस (Performance) सभी यूजर्स के लिए एक समान होता है।
दोष (Disadvantaged):- नेटवर्क में किसी एक कंप्यूटर के फेल होने पर का प्रभाव शेष Network पर भी पड़ता है। इसमे समस्या का पता लगाना कठिन होता है और नेटवर्क को रिकनफिगर (Reconfigure) करना कठिन होता है।
(4) मेेेश टोपोलॉजी (Mesh topology):- मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक कंप्यूटर को एक दूसरे से अलग अलग तारों से जाता है। एस कॉन्फ़िगरेशन (Configuration) के कारण नेटवर्क में पर्याप्त पाथ का निर्माण होता है अतः किसी भी तार के फेल हो जाने से ट्रैफिक (Traffic) दूसरे पाथ से जारी रहता है।
अधिक तारों का प्रयोग होने के कारण मेश टोपोलॉजी (Mesh topology) नेटवर्क को स्थापित (Install) करने में खर्चा ज्यादा होता है।
मेश टोपोलॉजी का प्रयोग अन्य टोपोलॉजी के साथ हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid topology) का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है।
लाभ (Advantages):- मेश टोपोलॉजी नेटवर्क विश्वसनीयता प्रदान करता है और इसे ट्रबल सूट (Troubleshoot) करना आसान होता है।
दोष (Disadvantage):- मेश टोपोलॉजी नेटवर्क को स्थापित (Install) करना थोड़ा मुश्किल तथा खर्चीला होता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक तारों का प्रयोग किया जाता है।
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