what is Data Base Management System?DBMS (डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम क्या है)

डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(Data Base Management System-DBMS):-
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) एक ऐसा सिस्टम होता है जोकि डेटाबेस को बनाने वह उसे मैनेज करने की सुविधा प्रदान करता है। वास्तव में यह एक सॉफ्टवेयर होता है जिसके अंतर्गत डेटाबेसडेटाबेस टेबल्स बनाने, टेबल्स में रिकॉर्ड डालने, रिकॉर्ड्स में परिवर्तन करने, रिकॉर्ड्स को डिलीट, करने समय समय पर बैकअप लेने आदि की सुविधा दी जाती है।
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS)

Architecture of Data Base Management System-DBMS:-
DBMS(Data Base Management System) Architecture से अभिप्राय डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(DBMS) के प्रारूप अथवा ढांचे से है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(DBMS) के आर्किटेक्चर तो दो प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है  जो निम्नलिखित है-
1. Three Schema Architecture(TSA)
2. Client Server Architecture (CST)

1. Three Schema Architecture(TSA):- इसमें तीन प्रकार की layer पायी जाती है जो निम्नलिखित है-
A. External/User layer
B. Conceptual/ DBMS layer
C. Internal Physical  layer

A. External/User layer:-
यह वह लेयर है चाहा प्रयोगकर्ता(user) काम करता है इसलिए यह layer user layer कहलाती है। यूजर यहीं से Database को query देता है तथा यहीं पर उसे que ry का result (परिणाम) अर्थात आउटपुट प्राप्त होता है। यह लेयर उच्च लेवल पर abstraction प्रदान करता है इसमें यूजर द्वारा मांगे गए आउटपुट को ध्यान में रखा जाता है, यह नहीं देखा जाता कि  डाटा  किस प्रकार प्राप्त होगा। डाटा को प्राप्त करने के लिए  इस लैंग्वेज में query interface लिया जाता है  जहां पर User अपनी query type करता है तथा इसी layer पर उसे result प्राप्त होता है इस layer पर user query दे सकता है, query से प्राप्त परिणाम देखा जा सकता है, Data में बदलाव जैसे update delete कर सकता है, नया record भी insert कर सकता है। यह लेयर डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(DBMS) के द्वारा यूजर  को  दी जाती है।
Data Base Management System-DBMS


B. Conceptual/ DBMS layer:- 
 यह लेयर external तथा physical layer दोनों के मध्य एक पुल का कार्य करती है। इसलिए इसे डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) लेयर भी कहा जाता है। यूजर सीधे physical layer  से डाटा प्राप्त करने में असमर्थ होता है इसलिए वह डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(DBMS)|Conceptual layer के द्वारा physical layer से डाटा प्राप्त करता है। इस layer के माध्यम से यूजर सीधे physical layer से जुड़ सकता है।
डेटाबेस object को मेमोरी में संग्रहित करने के लिए Memory components का use किया जाता है। मेमोरी में सभी प्रकार के object को store नहीं किया जा सकता। मेमोरी में केवल वहीं वे ही object store किए जा सकते हैं जिन्हें frequently access किया जाता है।
जैसे Data डिशनरी, tables, views आदि।
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C. Internal Physical  layer:-
यह डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम(DBMS) की सबसे निचली लेयर है। इसे प्राय DBA(Database Adminstrator) के द्वारा use किया जाता है। Database Designer भी इस लेयर पर कार्य करते हैं इसलिए इसे Internal layer या data layer भी कहा जाता है। Database की संपूर्ण  सूचना bits अथवा Bytes के रूप में संग्रहित रहती हैं। इसके अंतर्गत control फाइल होती है जिनका Extension. Ctl होता है। ये सभी Control files संपूर्ण Database को control करती हैं। इसके अंदर डेटाबेस का वास्तविक नाम, सभी Data files का address, Data files का physical व logical नाम, initialization parameters आदि critical information store होती है  इसमें control files के अलावा data files redo log files, index files,parameters files, archive file, data डिक्शनरी files आदि होते हैं।
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS)


2. Client Server Architecture (CST):-
Client Server Architecture मुख्यतः निम्नलिखित तत्व पर निर्भर करता है
1. यूजर की आवश्यकता, यूजर की संख्या
2. कितना Performance जरूरी है।
3.Development समय को कम करना।
4.Component को Re-use करना, नियंत्रण व  रखरखाव आसान हो।
5. कितना आसान  नियंत्रण किया जा सकता है।
उपरोक्त बातों को  का ध्यान रखा जाए तो एक अच्छा Client/Server architecture बनाया जा सकता है।  सामान्यतः Client/  Server System में दो  प्रकार architecture किए जाते हैं जो कि  निम्नलिखित है-
A. Two Tier Architecture
B. Three Tier Architecture

A. Two Tier Architecture:- 
Two Tier Architecture में application के सभी भाग या तो client(tier 1) या Server (tier 2) पर होते हैं। अतः Two Tier Architecture ऐसा client server वातावरण है जो डेटाबेस को क्लाइंट/सर्वर को डाटा बाटता है। इस Interface को विभिन्न tools की सहायता से develop किया जाता है। Two Tier Architecture में डेटाबेस  के पास उपस्थित Rules  को क्लाइंट  पर रखा जाता है। तथा उसे सर्वर पर भी रखा जाता है।
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B. Three Tier Architecture:-
Three Tier client server Architecture मैं समस्त क्लाइंट्स मशीनें front end की भांति कार्य करती है। यह क्लाइंट मशीनें एप्लीकेशन के द्वारा नेटवर्क से जोड़ी जुड़ी होती है। यह किसी डेटाबेस का संग्रहण सीधे नहीं करती है। एप्लीकेशन सरवर डाटा को एक्सेस करने के लिए  डेटाबेस सिस्टम  को  संचार के माध्यम से  सूचित करता है। साथ के साथ  एप्लीकेशन सर्वर में  यह भी  संग्रहित होता है  कि क्या कार्य करना है,  कैसे करना है,  तथा इसकी कंडीशन क्या होगी।  यह सूचना  समस्त  क्लाइंट  मशीनों को  बांटने के बजाय  एप्लीकेशन सर्वर के साथ संग्रहित  होती है।  इस प्रकार की एप्लीकेशन का use वहां किया जाता है। जहां समस्त कंप्यूटर WAN के माध्यम से  आपस में  जुड़े हो।  यह एप्लीकेशन बहुत  ही बड़े स्तर की होती है  तथा इनका कार्य  भी बड़े स्तर का होता है, क्योंकि संभव है  इस प्रकार की एप्लीकेशन में पूरी  दुनिया के  कई व्यक्ति एक ही समय पर अपना अपना कार्य कर  सकते हैं।
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS)

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