ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल/ इंटरनेट प्रोटोकोल(TCP/IP) क्या होता है:-
TCP( ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल):-
इस प्रोटोकॉल का काम भेजो जाने वाले मैसेज (sending message) को छोटे-छोटे डाटा ग्रामों (Datagrams) में विभाजित (Divide) कर उन्हें आगे संचालित करना होता है तथा प्राप्त करने वाले मैसेज (Receiving massage) के डेटा ग्रामों को जोड़कर वास्तविक संदेश (Original message) बनाना होता है।
जब भी संदेश को डेटा ग्रामो में विभाजित कर आगे भेजा जाता है तो वह किसी क्रम(Order) में नहीं होते हैं मतलब वे 1 यूनिट (unit) के रूप में संचारित ना होकर अलग अलग संदेश के डाटा ग्रामों के साथ समूह(Group) में संचारित होते हैं। अत: TCP को यह पहचान करना होता है कि कौन सा डाटा ग्राम किस संदेश से संबंधित है। इस कार्य(function) को डिमल्टीप्लेक्सिंग (demultiplexing) कहते हैं। डाटा ग्राम की पहचान करने के लिए संचार से पहले एक हेडर लगा दिया जाता है, जिसमें वह सूचना(Information) होती है, जिसके आधार पर डेटा ग्रामों(Data grams) की पहचान होती है।
IP( इंटरनेट प्रोटोकोल):-
TCP प्रोटोकॉल, डाटा ग्रामो (Data grams) में हैडर(header) को जोडकर उन्हें IP को ट्रांसफर(Transfer) कर देता है। अतःIP का काम यह होता है की डाटा ग्रामों (Data grams) में अंकित डेस्टिनेशन ऐड्रेस (Destination address) के आधार पर वह रूट(Route) निर्धारित करें जिस पर चलकर यह डाटा ग्राम अपने नियत स्थान पर पहुंचेंगे तथा फिर पहुंचने पहुंचाने का कार्य भी करता है।
इसके लिए IP भी अपना एक हैडर (Header) डाटा ग्राम(datagram) के साथ जोड़ देता है, इस हैडर(Header) में मुख्यतः सोर्स(Source) तथा डेस्टिनेशन ऐड्रेस (Destination address) काम इंटरनेट ऐड्रेस (Internet address) होता है तथा इसके अतिरिक्त एक प्रोटोकोल संख्या भी होती है जो की डेस्टिनेशन (Destination) पर डाटा ग्राम(datagram) के पहुंचाने पहुंचने के बाद उन्हें वहां के TCP प्रोटोकोल तक पहुंचने में मदद (help) करती है।
ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकोल/ इंटरनेट प्रोटोकोल(TCP/IP):-
अमेरिकी सुरक्षा विभाग द्वारा विकसित की इस प्रोटोकॉल समूह (Protocol groups) को सबसे पहले Arpa Net में संचार(communication) के लिए प्रयोग में किया गया लेकिन जैसे-जैसे Arpa Net ने विकसित होकर इंटरनेट (Internet) का रूप लिया वैसे वैसे TCP/IP का प्रयोग इंटरनेट पर होने वाले डेटा संचार में अधिक होने लगा।
वास्तव में TCP/IP दो अलग-अलग प्रोटोकॉल(Protocol) का समूह हैं। एक समूह(Group) को TCP तथा दूसरे समूह(Group) को IP कहते हैं, लेकिन इंटरनेट(Internet) में संचार(Connection) के लिए दोनों ही समूह (Group) के प्रोटोकॉल्स (Protocols) की आवश्यकता होती है अतः दोनों नामों को एक साथ TCP/IP के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह संचार प्रोटोकॉल (Communication Protocol) का एक समूह(Group) है जो कंप्यूटर नेटवर्क में उपलब्ध संसाधनों(Resources) साजा रूप से प्रयोग करने की अनुमति प्रदान करता है।
TCP/IP प्रोटोकोल समूह (Protocol group) 4 लेयर में विभाजित होता है, जिनका प्रयोग डेटा संचार में होता है-
●Application Layer:- इस लेयर के प्रोटोकॉल के द्वारा मैसेज तैयार करके भेजे जाते हैं।
●Transport Layer:- इस लेयर के द्वारा पिछली लेयर से प्राप्त मैसेज को छोटे-छोटे डाटा ग्रामों में विभाजित किया जाता है। इनमें TCP समूह के प्रोटोकॉल होते हैं।
●Internet Layer:-इसमें IP समूह के प्रोटोकॉल होते हैं। यह डाटा ग्रामों मैं उनके पहुंचने के स्थान का एड्रेस जोड़ते हैं।
●Network Interface:- इस लेयर में वह प्रोटोकोल होते हैं जो कि उन नेटवर्क से जुड़ने के काम आते हैं जहां पर डाटा ग्राम पहुंचता है। इंटरनेट से जुड़े दो कंप्यूटर हो के मध्य TCP/IP प्रोटोकोल की सहायता से डेटा संचार होता है।
IPv4 And IPv6:-
Java Networking Programs: जब TCP/IP को Develop किया जा रहा था, तब सभी IP Numbers को 32-Bit का रखा गया था। उस समय तक इस तरीके से जितने Unique IP Addresses बनते थे, उतने Addresses उस समय के सभी Hosts को Uniquely Identify करने के लिए पर्याप्त थे। IP Number के इस Version को IPv4 के नाम से जाना जाता है। लेकिन आज स्थिति एसी नहीं है। आज ये Addresses दुनियां भर के सभी Host Computers को Identify करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए एक नए IP Numbering Version को Develop किया गया है।
TCP/IP प्रोटोकोल समूह (Protocol group) 4 लेयर में विभाजित होता है, जिनका प्रयोग डेटा संचार में होता है-
●Application Layer:- इस लेयर के प्रोटोकॉल के द्वारा मैसेज तैयार करके भेजे जाते हैं।
●Transport Layer:- इस लेयर के द्वारा पिछली लेयर से प्राप्त मैसेज को छोटे-छोटे डाटा ग्रामों में विभाजित किया जाता है। इनमें TCP समूह के प्रोटोकॉल होते हैं।
●Internet Layer:-इसमें IP समूह के प्रोटोकॉल होते हैं। यह डाटा ग्रामों मैं उनके पहुंचने के स्थान का एड्रेस जोड़ते हैं।
●Network Interface:- इस लेयर में वह प्रोटोकोल होते हैं जो कि उन नेटवर्क से जुड़ने के काम आते हैं जहां पर डाटा ग्राम पहुंचता है। इंटरनेट से जुड़े दो कंप्यूटर हो के मध्य TCP/IP प्रोटोकोल की सहायता से डेटा संचार होता है।
Java Networking Programs: जब TCP/IP को Develop किया जा रहा था, तब सभी IP Numbers को 32-Bit का रखा गया था। उस समय तक इस तरीके से जितने Unique IP Addresses बनते थे, उतने Addresses उस समय के सभी Hosts को Uniquely Identify करने के लिए पर्याप्त थे। IP Number के इस Version को IPv4 के नाम से जाना जाता है। लेकिन आज स्थिति एसी नहीं है। आज ये Addresses दुनियां भर के सभी Host Computers को Identify करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए एक नए IP Numbering Version को Develop किया गया है।
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