Cathod Ray Tube in hindi
CRT का पूरा नाम Cathod Ray Tube होता है , यह मॉनीटर का प्राथमिक अवयव है । इसमें कैथोड होता है , जिससे इलैक्टॉन्स उत्सर्जित होते हैं । heat को कैथोड के अन्दर भेजा जाता है , इसके लिए coil या तार का प्रयोग किया जाता है । जैसे ही हीट कैथोड के पास पहुंच जाती है , वह इलैक्ट्रॉन्स को उत्सर्जित करता है । इन इलैक्ट्रॉन्स को beam भी कहा जाता है । यह फास्फोरस coated स्क्रीन पर टकराती हैं , तथा स्क्रीन के नेगेटिव सिग्नल्स को पॉजिटिव अर्थात् धनात्मक कर देती है ।
क्या आप जानते हो CRT क्या होता हैै? आज में आपको CRT के बारे में बाताओगा । कैथोड मे से इलेक्ट्रॉन्स उत्सर्जित होते हैं . इस कारण इसे इलैक्ट्रॉन गन भी कहते है । इलेक्ट्रॉन गन से निकलने के बाद ये deflection सिस्टम तथा focus सिस्टम से होकर गुजरते हैं , तथा ये सिस्टम इलैक्ट्रॉन beam को फास्फोरस coated स्क्रीन के निर्धारित बिन्द पर केन्द्रित करता हैं , तथा जहां - जहां इलेक्ट्रान beam टकराती है वहां - वहां सूक्ष्म बिन्दु के रूप में प्रकाश उत्पन्न होता है । यह प्रकाश बहुत अधिक तीव्रता से कम होता है , picture को लगातार प्रदर्शित करने के लिए फास्फोरस बिन्दुओं पर प्रकाश को निरन्तर बनाए रखने के लिए picture को बार - बार बनाया जाता है । इसलिए इस प्रकार के डिस्प्ले को refresh CRT भी कहा जाता है ।
CRT इलैक्ट्रॉन गन के मुख्य दो भाग कैथोड तथा कन्ट्रोल ग्रिड होते हैं । कैथोड का आकार खाली बेलन के समान होता है , इसके द्वारा कैथोड पर heat भी भेजी जाती है , जिससे कैथोड गर्म होकर इलैक्ट्रॉन उत्सर्जित करता है , जो कि स्क्रीन की तरफ गति करते हैं । इन इलैक्ट्रॉन्स की गति के लिए high positive voltage ( उच्च धनात्मक वॉल्टेज ) का उपयोग किया जाता है , इसे फोटो की सहायता से समझा जा सकता है-
beam की intensity (तीव्रता) को नियंत्रित करने के लिए कन्ट्रोल ग्रिड पर वॉल्टेज लेवल को सैट किया जाता है , यह कन्ट्रोल ग्रिड धातु का बना होता है , जिसका आकार बेलन नुमा होता है , जो कि कैथोड ट्यूब के ऊपर लगा होता है इसके द्वारा वॉल्टेज में परिवर्तन कर स्क्रीन पर प्रदर्शित होने वाली आकृति की चमक को नियंत्रित किया जाता है । इसका प्रयोग प्राय : टेलीविज़न तथा कम्प्यूटर ग्राफिक्स मॉनीटर में किया जाता है । इस विधि में electronic beam को धनात्मक आवेश वाले एक खोखले बेलन से गुजारा जाता है , यह एक लैंस की भांति कार्य करता है जो कि इलैक्ट्रॉन बीम को स्क्रीन के मध्य बिन्दु पर फोकस करता है । जब इलैक्ट्रॉन स्क्रीन से टकराते हैं तो स्क्रीन पर लगे फास्फोरस के द्वारा उनकी गतिज ऊर्जा को अवशोषित किया जाता है , तथा कुछ ऊर्जा को फास्फोरस परमाणु के इलैक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं । जब इलैक्ट्रॉन सामान्य अवस्था से उत्तेजित अवस्था में आते हैं तो प्रकाश की तीव्रता बढ़ती है तथा इलैक्ट्रॉन के सामान्य अवस्था में आते ही प्रकाश की तीव्रता कम होती है ।
CRT की गुणवत्ता उसके रिज़ोल्यूशन पर निर्भर होती है । रिज़ोल्यूशन को सामान्यतः DPI ( dots per inch ) में मापा जाता है । यह माप horizontal तथा vertical को मिलाकर की जाती है । उच्च गुणवत्ता वाला रिजोल्यूशन 1280 x 1024 होता है ।
Color CRT (Cathod Ray Tube) Monitor:-
Color CRT monitor picture को display करने के लिये फास्फोरस का प्रयोग करता है जो कि विभिन्न रंगीन lights को उत्पन्न करता है । CRT में रंगों को जनरेट करने के लिये दो तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
( 1 ) Beam penetration Method
( 2 ) Shadow Mask Method
( 1 ) Beam Penetration Method : -
इस तकनीक का प्रयोग random scan monitor में किया जाता है । इस तकनीक में CRT के आन्तरिक भाग में फास्फोरस की दो परतों को लगाया जाता है जो कि लाल व हरे रंग वाले फास्फोरस की होती हैं । इस तकनीक के द्वारा जनरेट किए गए रंग इस बात पर निर्भर करते हैं कि इलैक्ट्रॉन बीम ने फास्फोरस की परत को कितने अन्दर तक भेदा है । अधिक गति वाली बीम ऊपर परत जो लाल रंग की होती है , उसको भेदकर अन्दर लगी हरी परत को उत्तेजित करती है , जिससे हरा रंग उत्पन्न होता है ।
धीमी इलैक्ट्रॉन बीम केवल ऊपर परत जो कि लाल होती है उसको उत्तेजित करती है , तथा उससे लाल रंग उत्पन्न होता है । मध्यम गति वाली इलैक्ट्रॉन बीम लाल व हरी दोनों रंगों की परतों को उत्तेजित करती है जिससे पीला व नारंगी रंगी उत्पन्न होते हैं । जरनेट किए गए रंग इलैक्टॉन बीम की गति पर निर्भर करते हैं तथा इलक्ट्रॉन बीम की गति acceleration voltage पर निर्भर करती हैं ।
( 2 ) Shadow Mask Method :-
raster scan system में इस विधि का प्रयोग किया जाता है । क्योंकि यह कई अत्यधिक range में color जरनेट करता है । इस तरह के CRT में तीन तरह के color फास्फोरस बिन्दु ( dots ) pixel पर लगे होते हैं।
( 1 ) Red color
( 2 ) Green color
( 3 ) Blue color
इस तरह के Monitor में तीन electron guns होती हैं । पहली gun सभी color dots के लिये होती हैं । दूसरी gun phosphor के पीछे shadow mask आकृति बनाने के लिये होती है , जिसे हम डेल्टा shadow mask method कहते हैं तथा तीसरी gun shadow को ग्रुप करके एक image screen पर display करती है ।
इस विधि में shadow mask grid को स्क्रीन के पीछे रखा जाता है , जिसमें प्रत्येक पिक्सल के लिए एक छिद्र होता है । तीनों electroni beams को focus व deflect करके उसे गंतव्य पिक्सल के सामने वाले छिद्र पर डाला जाता है । तीनों beams इस छिद्र से गुजरने के बाद एक dot triangle को activate करती हैं जो कि स्क्रीन पर एक छोट से बिन्दु के रूप में प्रदर्शित होता है । इन बिन्दुओं को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि प्रत्येक इलैक्ट्रॉन बीम केवल उसके similar रंग वाले बिन्दु को ही क्रियाशील करे । electron gun के वॉल्टेज को नियंत्रित करके विभिन्न रंग उत्पन्न किए जाते हैं ।
Color graphic System का मुख्यत : उपयोग कई तरह के display device के साथ किया जाता है । मुख्यत : इसका use computer system , video games , color t . v . तथा R . E . modulator में किया जाता है ।
Graphics system में color CRT को RGB मॉनीटर बनाया जाता है । ये मॉनीटर्स shadow mask method का प्रयोग करते हैं । ये प्रत्येक electron gun के लिए intensity level सीधे कम्प्यूटर सिस्टम से लेते हैं ।
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