सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Set operator | operator meaning in hindi

 आज हम set operations in dbms के बारे मे जानेगे और इसकी keys के बारे में जानेगे क्या होता है तो चलिए शुरु करते हैंं :-

set operations in dbms in hindi:-

डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS)  के अन्दर  set operator अथवा set operator theory का प्रयोग multipal object के मध्य अर्थात् tables के मध्य rela tion बनाने के लिए किया जाता है । 
Multipal tables के मध्य relations बनाने के लिये कुछ नियमों का उपयोग किया जाता है । उन नियमों को set theory तथा इसमें use होने वाले विभिन्न operators को set operators कहा जाता है।
Set Theory में use होने वाले विभिन्न elements हैं:-
Domain , Attribute , Tupple , Unique Identifier PK , Degree , Relation

Tupples : - 

प्रत्येक Tupple का एक identifire होता है । यह identifire एक values होती है । जो Unique होती है । सामान्यतः tupple record को कहा जाता है जो कि विभिन्न values का collection होता है , एक table में 0 या उससे अधिक tupples हो सकती है । 

Relation in hindi : - 

एक Relation tupples , attributes , Unique indintifieres . व Data values का collection होता है । 
एक Relation का Unique तथा meaningful name होना चाहिए । एक table एक Relation के बराबर होती है । set operator के साथ multiple relation को Relate ( रीलेट ) किया जा सकता है ।
set operations in dbms in hindi:-



Keys in hindi:-

key एक ऐसा element है जो किसी record को एक unique पहचान देता है । इसका प्रयोग करते हुए किसी entity के सैट से एक निश्चित entity का चुनाव कर सकते हैं । keys कई प्रकार की हो सकती हैं जो कि इस प्रकार हैं 

1. Primary Key : - 

इस Key का use किसी field के data को unique रखने के लिये किया जाता है । एक table में एक ही primary key होती है तथा इसके द्वारा Table में relations भी बनाया जा सकता है । primary key वाले एट्रीब्यूट में वैल्यू देना अनिवार्य होती है , इसकी फील्ड को खाली नहीं छोड़ा जा सकता तथा इसमें unique वैल्यू दी जाती है । हमें दूसरे column को भी primary key की तरह बनाना हो तो उसे candidate key घोषित करते हैं । यह primary key के तरह कार्य करती है अर्थात् यह null value को accept नहीं करती है तथा यह केवल unique data को accept करती हैं।

2.Candidate Key : -

एक table में एक ही primary key होती है यदि हमें दूसरे column को भी primary key की तरह बनाना हो तो उसे candidate key घोषित करते हैं । यह primary key के तरह कार्य करती है अर्थात् यह null accept नहीं करती है तथा यह केवल unique data को  accept करती हैं।

3. Super Key : - 

जब दो tables में relation बनाने के लिये एक com mon column का use किया जाता है तथा यदि वह column primary key है तो उसे super key कहा जायेगा । वास्तव में super व candidate Key केवल logi cal level पर होती है Phiysal level पर वे primary key के रूप में ही होती है । 

4. Alternate Key : - 

जब Primary key formed ( प्रारूप ) होती है तो समस्त बची हुई candidate keys alternate keys बन जाती हैं । physical level पर उन्हें unique key भी कहा जाता है । यह null value को accept करती है यह केवल unique data को allow करती है । इन्हें surrogate keys भी कहा जाता है ।

5. Foriegn Key : - 

रिलेशनल डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (RDBMS) में इसका use विभिन्न tables के मध्य Relations बनाने के लिये किया जाता है । यह referential integrity के लिये हमें बाधित करती है । इस key को primary key का reference दिया जाता है । जब इसे primary key का reference नहीं दिया जायेगा तब तक यह Relation create नहीं करती है ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Query Optimization in hindi - computers in hindi 

 आज  हम  computers  in hindi  मे query optimization in dbms ( क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन) के बारे में जानेगे क्या होता है और क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन (query optimization in dbms) मे query processing in dbms और query optimization in dbms in hindi और  Measures of Query Cost    के बारे मे जानेगे  तो चलिए शुरु करते हैं-  Query Optimization in dbms (क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन):- Optimization से मतलब है क्वैरी की cost को न्यूनतम करने से है । किसी क्वैरी की cost कई factors पर निर्भर करती है । query optimization के लिए optimizer का प्रयोग किया जाता है । क्वैरी ऑप्टीमाइज़र को क्वैरी के प्रत्येक operation की cos जानना जरूरी होता है । क्वैरी की cost को ज्ञात करना कठिन है । क्वैरी की cost कई parameters जैसे कि ऑपरेशन के लिए उपलब्ध memory , disk size आदि पर निर्भर करती है । query optimization के अन्दर क्वैरी की cost का मूल्यांकन ( evaluate ) करने का वह प्रभावी तरीका चुना जाता है जिसकी cost सबसे कम हो । अतः query optimization एक ऐसी प्रक्रिया है , जिसमें क्वैरी अर्थात् प्रश्न को हल करने का सबसे उपयुक्त तरीका चुना

Recovery technique in dbms । रिकवरी। recovery in hindi

 आज हम Recovery facilities in DBMS (रिकवरी)   के बारे मे जानेगे रिकवरी क्या होता है? और ये रिकवरी कितने प्रकार की होती है? तो चलिए शुरु करतेे हैं- Recovery in hindi( रिकवरी) :- यदि किसी सिस्टम का Data Base क्रैश हो जाये तो उस Data को पुनः उसी रूप में वापस लाने अर्थात् उसे restore करने को ही रिकवरी कहा जाता है ।  recovery technique(रिकवरी तकनीक):- यदि Data Base पुनः पुरानी स्थिति में ना आए तो आखिर में जिस स्थिति में भी आए उसे उसी स्थिति में restore किया जाता है । अतः रिकवरी का प्रयोग Data Base को पुनः पूर्व की स्थिति में लाने के लिये किया जाता है ताकि Data Base की सामान्य कार्यविधि बनी रहे ।  डेटा की रिकवरी करने के लिये यह आवश्यक है कि DBA के द्वारा समूह समय पर नया Data आने पर तुरन्त उसका Backup लेना चाहिए , तथा अपने Backup को समय - समय पर update करते रहना चाहिए । यह बैकअप DBA ( database administrator ) के द्वारा लगातार लिया जाना चाहिए तथा Data Base क्रैश होने पर इसे क्रमानुसार पुनः रिस्टोर कर देना चाहिए Types of recovery (  रिकवरी के प्रकार ):- 1. Log Based Recovery 2. Shadow pag