सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

cellular telephony in data communication

 आज हम computers in cellular telephony in data communication - computer network in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

cellular telephony in data communication:-

सैल्यूलर सिस्टम वायरलैस कम्यूनिकेशन अर्थात् मोबाईल कम्यूनिकेशन में प्रयोग किया जाता है । Cellular system के द्वारा सीमित frequency spectrum में अधिक संख्या में users , arge geographical area में आपस में communication कर सकते हैं । Celleular system , land line system से high quality की सेवा प्रदान करता है ।
इसमें एक छोटे भौतिक क्षेत्र को सेल ( Cell ) कहते हैं । प्रत्येक सैल में एक base station होता है । जब कोई प्रयोगकर्ता एक सैल से दूसरे सैल में जाता है तो उस पर दूसरे सेल का base station control करता है । सभी सैल के base station को Mobile switching center ( MSC ) द्वारा नियंत्रित किया जाता है । जब Cell में प्रयोगकर्ता की संख्या बढ़ती है तो Cell को दिए गए चैनलों की संख्या इन प्रयोगकर्ता के लिए पर्याप्त नहीं होती हैं इस कारण cell की क्षमता ( capacity ) को बढ़ाने के लिए Cell Splitting Technique , Cell Sectoring Technique , Microcel's Zone Technique , Repeater for Range Expansion तकनीकों का प्रयोग किया जाता है । 
सैल्यूलर सिस्टम का प्रयोग अधिक संख्या में users को नेटवर्क प्रदान करने के लिए किया जाता है ।

Capacity Improvement Techniques in Cellular System:-

 1. सैल विभाजन ( cell splitting ) :-

इस तकनीक के अन्तर्गत बढ़े अथवा congested सैल को उसी के बेस स्टेशन के साथ छोटे - छोटे सैल्स में विभाजित किया जाता है । सैल छोटे होने के कारण चैनल्स का बार - बार प्रयोग होता है तथा सैल्यूलर सिस्टम की क्षमता में वृद्धि होती है ।

2. सैल सैक्टरिंग ( cell sectoring ):-

 सैल सैक्टरिंग तकनीक के अन्तर्गत बेस स्टेशन में स्थित single omni directional एनटिना के स्थान पर several directional एनटिना को स्थापित किया जाता है , जो कि अपने सैक्टर के साथ radiate करती है । डायरेक्शनल एनटिना के प्रयोग से सैल को तीन अथवा छ : सैक्टर्स में विभाजित किया जाता है । 

3. माइक्रासैल जोन ( microcell zone ):-

सैलफोन के एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन में स्थानान्तरण को हैण्डऑफ कहते हैं । अधिक हैण्ड ऑफ होने के कारण स्विचिंग तथा कंट्रोल लिंक पर लोड बढ़ जाता है । इस लोड को कम करने के लिए माइक्रोसैल जोन विधि का प्रयोग किया जाता है । इस विधि में बड़े कंट्रोल बेस स्टेशन के स्थान पर कई छोटे - छोटे कम पावर वाले ट्रांस्मिटर्स का प्रयोग किया जाता है , इससे सिस्टम क्षमता में वृद्धि होती है ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Recovery technique in dbms । रिकवरी। recovery in hindi

 आज हम Recovery facilities in DBMS (रिकवरी)   के बारे मे जानेगे रिकवरी क्या होता है? और ये रिकवरी कितने प्रकार की होती है? तो चलिए शुरु करतेे हैं- Recovery in hindi( रिकवरी) :- यदि किसी सिस्टम का Data Base क्रैश हो जाये तो उस Data को पुनः उसी रूप में वापस लाने अर्थात् उसे restore करने को ही रिकवरी कहा जाता है ।  recovery technique(रिकवरी तकनीक):- यदि Data Base पुनः पुरानी स्थिति में ना आए तो आखिर में जिस स्थिति में भी आए उसे उसी स्थिति में restore किया जाता है । अतः रिकवरी का प्रयोग Data Base को पुनः पूर्व की स्थिति में लाने के लिये किया जाता है ताकि Data Base की सामान्य कार्यविधि बनी रहे ।  डेटा की रिकवरी करने के लिये यह आवश्यक है कि DBA के द्वारा समूह समय पर नया Data आने पर तुरन्त उसका Backup लेना चाहिए , तथा अपने Backup को समय - समय पर update करते रहना चाहिए । यह बैकअप DBA ( database administrator ) के द्वारा लगातार लिया जाना चाहिए तथा Data Base क्रैश होने पर इसे क्रमानुसार पुनः रिस्टोर कर देना चाहिए Types of recovery (  रिकवरी के प्रकार ):- 1. Log Based Recovery 2. Shadow pag

method for handling deadlock in hindi

आज हम  computer course in hindi  मे हम   method for handling deadlock in hindi  के बारे में जानकारी देते क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- method for handling deadlock in hindi:- deadlock  को बचाने या हटाने के लिये हमें protocol  का प्रयोग करना पड़ सकता है और जब हम यह fixed कर लें कि सिस्टम को deadlock की state में नहीं जायेगा । हम सिस्टम को deadlock की state में पहचान करने एवं recover करने के लिए जाने दे सकते है । हम सारी परेशनियों को एक साथ हटा सकते हैं , और सिस्टम में फिर दुबारा से deadlock मौजूद नहीं होगा । यह solution कई ऑपरेटिंग सिस्टम एवं UNIX के द्वारा use में लिया जाता है , यह fix करने के लिये कि deadlock कभी नहीं होगा , सिस्टम को या तो  deadlock  बचाव scheme का use करना पड़ेगा या फिर deadlock को हटाने की scheme का use करना पड़ेगा । एक methods का set है जो यह fix करता है कि स्थिति में से एक को sald नहीं किया जा सकता । यह method को रोकते हैं Constraining के द्वारा resource की जरूरत पड़ती है । दूसरी तरफ , deadlock को हटाने की जरूरत पड़ती है ऑपरेटिंग सिस्टम की advanced addition