सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

what is translator in computer in hindi (अनुवादक )

 आज हम computer in hindi मे आज हम what is translator in computer in hindi (अनुवादक )   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

what is translator in computer in hindi (अनुवादक क्‍या है ?):-

हम जानते हैं कि कम्प्यूटर केवल बाइनरी 0 व 1 की लेंग्वेज समझता है परन्तु यह लेंग्वेज प्रोग्रामर के लिए कठिन है । अतः प्रोग्रामिंग को आसान बनाने के लिए असेम्बली व हाई - लेवल लेंग्वेज का विकास किया गया । परन्तु इन लेंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम्स को कम्प्यूटर नहीं समझ पाता । अतः एक ऐसे अनुवादक ( translator ) की आवश्यकता पड़ती है जो कि असेम्बली या हाई - लेवल लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को मशीन लेंग्वेज में बदल दे । 

Types of translator ( अनुवादक के प्रकार ) :-

( i ) Assembler 
( ii ) Interpreter
( iii ) Compiler

1. असेम्बलर ( Assembler in hindi):-

 यह एक सिस्टम सॉफ्टवेयर है जो कि किसी असेम्बली लेंग्वेज में लिखे प्रोग्राम को equivalent मशीन कोड में बदल देता है जिससे इसे कम्प्यूटर पर रन किया जा सके । कम्प्यूटर में लगे माइक्रोप्रोसेसर के अनुसार ही उसका असेम्बलर काम में लेते हैं जैसे x86 Assembler इन्टेल कम्पनी द्वारा बनाए गए Microprocessors पर काम में लिया जाता है ।
असेम्बलर ऐसे प्रोग्राम होते हैं जो असेम्बली लेंग्वेज प्रोग्राम ( symbolic instruction codes ) को मशीन लेंग्वेज इन्स्ट्रक्शन में बदलते हैं । ये सिम्बल कोड ( ADD , MOV , LOAD , इत्यादि ) को मशीन कोड में इस प्रकार बदलता है कि प्रत्येक सिम्बॉलिक निर्देश का एक मशीन कोड निर्देश बनता है । 

असेम्बलर के प्रकार (types of assembler in hindi) :-

( i ) One - Pass Assembler
( ii ) Two - Pass Assember
Example:-
TASM (Turbo Assembler) 
MASM (Macro Assembler) 

2. इन्टरप्रेटर ( Interpreter in hindi):-

इन्टरप्रेटर ऐसे ट्रांसलेटर ( Translator ) प्रोग्राम होते हैं . जो किसी हाई - लेवल लेंग्वेज में लिखे प्रोग्राम को Line - by - Line चैक करके उसको Execute करते हैं । यदि किसी लाइन में error हो तो उस लाइन को Execute करने से पूर्व error से सम्बन्धित error message देते हैं । प्रोग्रामर इस Message को पढ़कर त्रुटि दूर करते हैं । इन्टरप्रेटर की Translation Speed कम्पाइलर से बहुत कम होती है । इन्टरप्रेटर का विकास प्रारम्भिक हाई - लेवल लेंग्वेज जैसे BASIC में लिखे प्रोग्राम के translator के रूप में किया जाता है । इसके Translation में Co. Exe फाइल नहीं बनती HLL Program की प्रत्येक लाइन का Translation तथा Execution साथ - साथ चलता है ।
Example:-
GWBASIC बेसिक ( BASIC ) लेंग्वेज का लोकप्रिय इन्टरप्रेटर है ।

3. कम्पाइलर ( Compiler in hindi):- 

कम्पाइलर ऐसे Translator प्रोग्राम होते हैं जो किसी हाई - लेवल लेंग्वेज ( HLL ) प्रोग्राम को चैक करके मशीन लेंग्वेज प्रोग्राम में बदलते हैं । कम्पाइलर सबसे अधिक गति के Translator होते हैं क्योंकि वे एक बार में ही पूरा प्रोग्राम क्रियान्वित कर उसे मशीन लेंग्वेज में बदल देते हैं । HLL Program में यदि कोई error होती है तो सभी errors को line numbers के साथ प्रदर्शित करते हैं ।
Example:-
(i)Turbo C (Popular compiler of C language) 
(ii)Borland C++ (Popular compiler of C++ language) 
(iii) Quick BASIC (Popular compiler of BASIC language)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Query Optimization in hindi - computers in hindi 

 आज  हम  computers  in hindi  मे query optimization in dbms ( क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन) के बारे में जानेगे क्या होता है और क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन (query optimization in dbms) मे query processing in dbms और query optimization in dbms in hindi और  Measures of Query Cost    के बारे मे जानेगे  तो चलिए शुरु करते हैं-  Query Optimization in dbms (क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन):- Optimization से मतलब है क्वैरी की cost को न्यूनतम करने से है । किसी क्वैरी की cost कई factors पर निर्भर करती है । query optimization के लिए optimizer का प्रयोग किया जाता है । क्वैरी ऑप्टीमाइज़र को क्वैरी के प्रत्येक operation की cos जानना जरूरी होता है । क्वैरी की cost को ज्ञात करना कठिन है । क्वैरी की cost कई parameters जैसे कि ऑपरेशन के लिए उपलब्ध memory , disk size आदि पर निर्भर करती है । query optimization के अन्दर क्वैरी की cost का मूल्यांकन ( evaluate ) करने का वह प्रभावी तरीका चुना जाता है जिसकी cost सबसे कम हो । अतः query optimization एक ऐसी प्रक्रिया है , जिसमें क्वैरी अर्थात् प्रश्न को हल करने का सबसे उपयुक्त तरीका चुना

Recovery technique in dbms । रिकवरी। recovery in hindi

 आज हम Recovery facilities in DBMS (रिकवरी)   के बारे मे जानेगे रिकवरी क्या होता है? और ये रिकवरी कितने प्रकार की होती है? तो चलिए शुरु करतेे हैं- Recovery in hindi( रिकवरी) :- यदि किसी सिस्टम का Data Base क्रैश हो जाये तो उस Data को पुनः उसी रूप में वापस लाने अर्थात् उसे restore करने को ही रिकवरी कहा जाता है ।  recovery technique(रिकवरी तकनीक):- यदि Data Base पुनः पुरानी स्थिति में ना आए तो आखिर में जिस स्थिति में भी आए उसे उसी स्थिति में restore किया जाता है । अतः रिकवरी का प्रयोग Data Base को पुनः पूर्व की स्थिति में लाने के लिये किया जाता है ताकि Data Base की सामान्य कार्यविधि बनी रहे ।  डेटा की रिकवरी करने के लिये यह आवश्यक है कि DBA के द्वारा समूह समय पर नया Data आने पर तुरन्त उसका Backup लेना चाहिए , तथा अपने Backup को समय - समय पर update करते रहना चाहिए । यह बैकअप DBA ( database administrator ) के द्वारा लगातार लिया जाना चाहिए तथा Data Base क्रैश होने पर इसे क्रमानुसार पुनः रिस्टोर कर देना चाहिए Types of recovery (  रिकवरी के प्रकार ):- 1. Log Based Recovery 2. Shadow pag