सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Featured Post

what is Polygon Clipping

programming in c in hindi

आज हम C language tutorial in hindi मे हम function in c in hindi के बारे में जानकारी देते क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- 

Programming in c in hindi :-

Introduction Programming in c in hindi:-

हम जानते हैं कि प्रोग्राम के विकास में समय , धन और Man power का प्रयोग होता है । प्रोग्राम जब दिये गये कार्य को तेज गति से करता है तो यह Efficient प्रोग्राम कहलाता है । किसी Institute की activities में बदलाव आता रहता है जिससे उसकी आवश्यकताएँ भी परिवर्तित होती रहती हैं । इस प्रकार जिन कार्यों और आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये सॉफ्टवेयर विकसित किये गये हैं , उनमें परिवर्तन करना भी आवश्यक होता है । इस स्थिति में संस्थान के कम्प्यूटर विभाग के incharge के सामने दो विकल्प होते हैं : Institute में प्रयुक्त प्रोग्रामों को remove नये प्रोग्रामों को विकसित करना या प्रयुक्त प्रोग्रामों में update और Modification करना । लागत के दृष्टिकोण से प्रोग्रामों को delete Inappropriate है और प्रोग्रामों में Modification और नवीनीकरण करना उचित है । इसलिये प्रोग्रामों में समय - समय पर Modification  करके उनका Maintenance किया जाता है यह प्रक्रिया Program Maintenance कहलाती है । experienced programmer एक efficient और प्रभावी प्रोग्राम को Clever Techniques के द्वारा हल करने योग्य तैयार कर सकता है । ये प्रोग्राम उस प्रोग्रामर के अलावा अन्य व्यक्तियों के लिये समझने में कठिन होते हैं जिससे इनमें भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर Modification कठिन होता है और  Program Maintenance जटिल हो जाती है । इसलिये प्रोग्राम इस प्रकार लिखा जाना चाहिये कि वह समझने में सरल हो । इसके लिये हम C भाषा में उपलब्ध अच्छी प्रोग्रामिंग के properties का उपयोग करते हैं ।

Guidelines for a Good Programming :-

1. Variable Names or Identifier Names– प्रोग्राम में प्रयुक्त वेरियेबल के नामों का चुनाव उनके उद्देश्य के अनुसार करना चाहिये और वे अर्थपूर्ण होने चाहिए । 
2. constants को निर्धारित करने के लिये भी वेरियेबल नेम अर्थपूर्ण होने चाहिए । 
3. Function name भी अर्थपूर्ण होने चाहिए । 
4. C कथन :- C- भाषा के ऐसे Instructions जिन्हें सेमीकॉलन ( ; ) से समाप्त करके लिखा जाये और जिन्हें Compiler ,Object और मशीनी कोड में Compile करता है , C कथन या ' सी ' स्टेटमेन्ट ( C - Statement ) कहलाते हैं ।
5. Comment:- सम्बन्धित जानकारी उपयुक्त स्थान पर प्रोग्रामर स्वयं की जानकारी के लिये कुछ पंक्तियों में लिखता है , जिन्हें प्रोग्राम में गतिविधियों , क्रियाओं और परिणामों से C- कम्पाइलर क्रियान्वित नहीं करता है । इन्हें Comment कहते हैं । 
( i ) प्रोग्राम के प्रारम्भ में , 
( ii ) किसी फंक्शन के प्रारम्भ में , 
( iii ) किसी formula or equation के सामने , 
( iv ) वेरियेबल नेम निर्धारित करने वाली लाइन में वेरियेबलों की स्थिति , उपयोग और Scope बताने के लिये , 
( v ) किसी Loop या Construct के सामने ।
6. C भाषा के प्रोग्रामों को Indent करके लिखना चाहिये । इससे प्रोग्राम को पढ़ने और समझने में आसानी रहती है । Indent से मतलब है निर्देश या कोड को बाईं तरफ कुछ स्थान छोड़कर लिखना । एक ही Loop  के instructions को एक समान Indent करते हुए लिखना चाहिए ।

Indent करने के लिये:-

 ( i ) एक Instruction को एक ही लाइन में लिखना चाहिए । 
( ii ) { और } के जोड़े एक ही कॉलम में लिखने चाहिए ।
 जैसे- { 
                           {

                            } 
         }
( iii ) एक समान डाटा टाइप के वेरियेबल एक लाइन में परिभाषित करने चाहिए । 
( iv ) इंडेन्ट करने के लिये कम से कम 5  Space देने चाहिए ।

Basic Structure of C - Programs :-

 C प्रोग्राम फंक्शनों का एक समूह होता है । फंक्शन एक Subroutine होता है जिसमें एक या एक से अधिक Statements किसी विशिष्ट कार्य को सम्पन्न करते हैं । C- प्रोग्राम लिखते समय पहले फंक्शनों को तैयार करते हैं और इसके बाद इन्हें एक साथ एक प्रोग्राम फाइल में लिखा जाता है । C- प्रोग्राम के अनेक भाग होते हैं जिनका अलग - अलग उपयोग होता है जिसे पिछले पेज पर दिए चित्र में दिखाया गया है । 

डाक्यूमेंटेशन भाग ( Documentation Section ):-

 इस भाग में कमेन्ट लाइन लिखी जाती है । जो प्रोग्राम का नाम , लेखक का नाम और अन्य जानकारी देती हैं जिससे बाद में प्रोग्राम को समझने में आसानी रहती है ।

लिंक भाग ( Link Section ):-

 इस भाग में C- लाइब्रेरी के फंक्शनों को प्रोग्राम से लिंक करने के लिये Instructions लिखे जाते हैं । यहाँ # include Instructions की सहायता से Header File  का नाम दिया जाता है । 

परिभाषा भाग ( Definition Section ) :-

इस भाग में # define Instructions की सहायता से सांकेतिक स्थिरांक परिभाषित किये जाते हैं । 
कुछ वेरियेबल जिन्हें प्रोग्राम के सभी फंक्शनों में उपयोग कर सकें , ग्लोबल वेरियेबल कहलाते हैं । इन्हें Global Declaration Section में घोषित किया जाता है । यह सभी फंक्शनों की Function Body ( { } ) के बाहर का स्थान है ।
 प्रत्येक C प्रोग्राम में main ( ) भाग होना आवश्यक है । इस भाग में दो उपभाग होते हैं-
 Declaration Part और
 Execution Part । 
दोनों  Parts  ब्रेस { और } के मध्य लिखे जाते हैं । प्रोग्राम का implementation इसके { से प्रारम्भ और } से समाप्त होता है । अतः main ( ) फंक्शन का } प्रोग्राम अन्त है । 

Sub program Section:-

इस भाग में सभी यूजर डिफाइंड फंक्शन लिखे जाते हैं जिन्हें main फंक्शन में कॉल ( Call ) किया जाता है । यूजर डिफाइंड फंक्शन प्रायः main फंक्शन के बाद लेकिन किसी भी क्रम में लिखे जा सकते हैं । 

Accepting Data From Keyboard :-

वेरियेबल में  Constant Specified करके मेमोरी में store करने के लिये एक और तरीका है की - बोर्ड से डाटा प्राप्त करना । इसके लिये Standard Library Function है scanf फंक्शन है scanf फंक्शन में आर्ग्यूमेन्ट के रूप में पहला Control String या  Format String होता है और अन्य आर्ग्यूमेन्ट वेरियेबलनेम के रूप में होते हैं ।
Control String इनपुट किये जाने वाले डाटा के लिये Declared वेरियेबल का टाइप बताने का कार्य करती है । जैसे करेक्टर टाइप डाटा यदि इनपुट किया जाना है तो कंट्रोल स्ट्रिंग या फॉर्मेट स्पेसीफायर होगा % c । 
अन्य आर्ग्यूमेन्ट में & वेरियेबलनेम दिये जाते हैं । यहाँ & ( ampersand ) चिह्न वेरियेबल के मेमोरी में Address को व्यक्त करता है और एड्रेस ऑपरेटर ( Address Operator ) कहलाता है ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ms excel functions in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे ms excel functions in hindi(एमएस एक्सेल में फंक्शन क्या है)   -   Ms-excel tutorial in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- ms excel functions in hindi (एमएस एक्सेल में फंक्शन क्या है):- वर्कशीट में लिखी हुई संख्याओं पर फॉर्मूलों की सहायता से विभिन्न प्रकार की गणनाएँ की जा सकती हैं , जैसे — जोड़ना , घटाना , गुणा करना , भाग देना आदि । Function Excel में पहले से तैयार ऐसे फॉर्मूले हैं जिनकी सहायता से हम जटिल व लम्बी गणनाएँ आसानी से कर सकते हैं । Cell Reference में हमने यह समझा था कि फॉर्मूलों में हम जिन cells को काम में लेना चाहते हैं उनमें लिखी वास्तविक संख्या की जगह सरलता के लिए हम उन सैलों के Address की रेन्ज का उपयोग करते हैं । अत : सैल एड्रेस की रेन्ज के बारे में भी जानकारी होना आवश्यक होता है । सैल एड्रेस से आशय सैल के एक समूह या श्रृंखला से है । यदि हम किसी गणना के लिए B1 से लेकर  F1  सैल को काम में लेना चाहते हैं तो इसके लिए हम सैल B1 , C1 , D1 , E1 व FI को टाइप करें या इसे सैल Address की श्रेणी के रूप में B1:F1 टाइ

window accessories kya hai

  आज हम  computer in hindi  मे window accessories kya hai (एसेसरीज क्या है)   -   Ms-windows tutorial in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- window accessories kya hai (एसेसरीज क्या है)  :- Microsoft Windows  कुछ विशेष कार्यों के लिए छोटे - छोटे प्रोग्राम प्रदान करता है इन्हें विण्डो एप्लेट्स ( Window Applets ) कहा जाता है । उनमें से कुछ प्रोग्राम उन ( Gadgets ) गेजेट्स की तरह के हो सकते हैं जिन्हें हम अपनी टेबल पर रखे हुए रहते हैं । कुछ प्रोग्राम पूर्ण अनुप्रयोग प्रोग्रामों का सीमित संस्करण होते हैं । Windows में ये प्रोग्राम Accessories Group में से प्राप्त किये जा सकते हैं । Accessories में उपलब्ध मुख्य प्रोग्रामों को काम में लेकर हम अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न कर सकते हैं ।  structure of window accessories:- Start → Program Accessories पर click Types of accessories in hindi:- ( 1 ) Entertainment :-   Windows Accessories  के Entertainment Group Media Player , Sound Recorder , CD Player a Windows Media Player आदि प्रोग्राम्स उपलब्ध होते है

report in ms access in hindi - रिपोर्ट क्या है

  आज हम  computers in hindi  मे  report in ms access in hindi (रिपोर्ट क्या है)  - ms access in hindi  के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-  report in ms access in hindi (रिपोर्ट क्या है):- Create Reportin MS - Access - MS - Access database Table के आँकड़ों को प्रिन्ट कराने के लिए उत्तम तरीका होता है , जिसे Report कहते हैं । प्रिन्ट निकालने से पहले हम उसका प्रिव्यू भी देख सकते हैं ।  MS - Access में बनने वाली रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ :- 1. रिपोर्ट के लिए कई प्रकार के डिजाइन प्रयुक्त किए जाते हैं ।  2. हैडर - फुटर प्रत्येक Page के लिए बनते हैं ।  3. User स्वयं रिपोर्ट को Design करना चाहे तो डिजाइन रिपोर्ट नामक विकल्प है ।  4. पेपर साइज और Page Setting की अच्छी सुविधा मिलती है ।  5. रिपोर्ट को प्रिन्ट करने से पहले उसका प्रिन्ट प्रिव्यू देख सकते हैं ।  6. रिपोर्ट को तैयार करने में एक से अधिक टेबलों का प्रयोग किया जा सकता है ।  7. रिपोर्ट को सेव भी किया जा सकता है अत : बनाई गई रिपोर्ट को बाद में भी काम में ले सकते हैं ।  8. रिपोर्ट बन जाने के बाद उसका डिजाइन बदल