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memory management in os in hindi

आज हम computer course in hindi मे हम memory management in os in hindi के बारे में जानकारी देते क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- 

memory management in os in hindi:-

memory management किसी भी Operating System का आधार होती है । मैमोरी अपने पास एक Array byte और अपना एक Address रखता है । इन से जो भी Instruction मिलते हैं । memory इन सभी process को इधर से उधर लाने जाने का काम करता है और इसमें सबसे पहले कोई भी Instruction मैमोरी में से आता है फिर उस पर action किया जाता है और इसका result वह मैमोरी में डाल दिया जाता है । मैमोरी में बहुत सारे कार्य एक साथ होते हैं- जैसे indexing paging इत्यादि यह हम कैसे भुला सकते हैं कि जो मैमोरी है वह एक address देता है जिससे हम उस पर काम किया जा सके ।
1. Address binding जो सामान्य रूप से कोई भी program डिस्क पर Binary Executable File में होता है । जो हमेशा डिस्क में रहता है । कोई भी program पहले मैमोरी में लाया जाता है जो कि Binary में होता है । उस Process को action में रखा जाता है फिर उस पर implementation किया जाता है और यह Memory Management पर निर्भर करता है कि वह किस तरह उपयोग होगा । action करने पर कोई भी Process , डिक्स और मैमोरी के बीच में आ जाता है जो मैमोरी में आने के लिए Organized process disk पर wait कर रहे होते हैं उन्हें मैमोरी में लाया जाता है और फिर उन पर action की जाती है । प्रोसेस को Input Queue में से मैमोरी में लाया जाता है , और उस पर action की जाती है और इसमें सरल प्रोसेस में से एक प्रोसेस को चुन कर उसे Input Queue में लाया जाता है और उस प्रोसेस को मैमारी में पहले Load किया जाता है । मैमारी में से जो प्रोसेस हैं उस पर action की जाती है तब वह instruction और Data को मैमोरी में लेने लगता है और तभी जब प्रोसेस खत्म होता है तो वह मैमोरी में दूसरे प्रोसेस के लिये जगह बना देता है और इस तरह Input Queue में से एक - एक करके प्रोसेस लिया जाता है और उन पर action की जाती है ।

इसमें ज्यादातर system physical मैमोरी को ही रखते हैं लेकिन process action होने के लिये उसे टेम्प्रेरी ( Xampraz ) मैमोरी में लाया जाता है जिसे हम मैमोरी भी कह देते हैं । जिससे कम्प्यूटर में से जो भी address space होता है वह 0000 से चालू होता है लेकिन यह जरूरी नहीं कि यूजर्स का पहला address 0000 से चालू हो । हाँलाकि कम्प्यूटर का address space 0000 से चालू होता है और इस management से user प्रोग्राम पर प्रभाव पड़ता है । जबकि users प्रोग्राम को action होने से पहले कई Step से होकर गुजरना पड़ता है । जिसमें से कुछ ही होते हैं । यह स्टेप देख सकते हैं । जो एड्रैस है वह कई तरह से दर्शाया जा सकता है जब यह step by step में हो तो address एक Sourece Program होता है और वह एक Signal की तरह होता है कि इस के बाद यह आयेगा जैसे ( 0 , 1 , 2 , 3 , ) शुन्य के बाद एक फिर दों ) इत्यादि । जो Compiler होता है वह इन सभी signal address को एक जगह collect करके उन्हें दुबारा appoint करता है जैसे 14 bytes शुरू से एक Module की । तब एक लोड और linkage editor को दुबारा से Absolute Addrss से जोड़ता है। 

1. Compile Time:-

 अगर यह पता हो compiler time पर process memory में कहाँ है तो उसका absolute address तभी बनाया जा सकता है अथवा इसमे काफी समय लगता है । दूसरा जिनका time मालूम होता है उसे ले लिया जाता है । जैसे कि हमें पहले से मालूम है कि जो user का program है वह मैमारी में एक नाम की जगह पर है और तभी जो compiler का Code है वह उस जगह ' क ' से चालू हो जाता है और आगे की और बढ़ता है । अगर कुछ समय है जो जगह ‘ क ’ की थी वह बदल जाती है तो हमें उसे पुनः उसे  compile करना पड़ता है ।
memory management in os in hindi


2. Load Time:-

 यह अगर हमें मालूम न हो कि जो प्रोग्राम है वह मैमोरी में कहाँ है तो जो compiler है वह उस कोड को पुनः compiler करेगा और दुबारा जगह दे देगा । इस में वो आखिर bind तब तक के लिये postponed किया जाता है जब तक load time पूरा नहीं हो जाता है और अगर शुरूआत का address बदल जाता है तो हमें सिर्फ दुबारा से user code को पता करना होता है । 

3. Execution Time :-

अगर कोई भी प्रोसेस एक मैमारी segment से दूसरे segment तक जाता है और उस बीच जो भी समय लगता है उस प्रोसेस को जोड़ने में और उस पर action करने में तो वह action समय होता है और कुछ ऐसे हार्डवेयर होते हैं जो इस काम में सहायक होते है । जिन्हें कि बाइडिंग एक कम्प्यूटर सिस्टम में किस प्रकार होगी । 

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