आज हम computer course in hindi मे हम physical address and logical address in hindi के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-
physical address and logical address in hindi:-
physical address and logical address कोई भी address CPU द्वारा बनाया जाता है उसे लॉजिकल एड्रेस (logical address) कहते हैं और जो address memory में दिखता है उसे हम फिजिकल मैमोरी एड्रैस कहते हैं ) जिसमें Compile time और Load time address binding है कुछ converted करता है जब logical और physical address समान होते हैं अर्थात् एक जैसे होते हैं लेकिन action time address binding scheme में कुछ change आता है और जब logical और physical में अंतर होता है । इसलिये हम logic address को वर्चुअल एड्रैस ( Virtual Address ) भी कहते है और इसी का प्रयोग करते हैं । logical या virtual address हम कह सकते हैं और सारे logical address जो कि एक प्रोग्राम के द्वारा बनाये जाते हैं उन्हें लॉजिकल एड्रैस स्पेस ( Logical Address Space ) कहते हैं । इसके साथ ही जो physical address इन logical address के साथ होते हैं उन्हें हम फिजिकल एड्रैस स्पेस ( Physical Address Space ) कहते हैं । इसलिये Action time address binding में logical और physical address source में अंतर आना possible है वर्चुअल मैमोरी से physical memory के लिये वह Memory Management Unit के द्वारा बनाया जाता है जो कि एक तरह से हार्डवेयर डिवाइस है इसे देखा जाये तो काफी तरह से Mapping की जा सकती है । लेकिन इस time के लिये हम Mapping को Memory Management Unit के तहत समझते हैं जो एक तरह से Base Register पढ़ा या लिखा जा सके ।
अगर हम बहुत कम हार्डवेयर का इस्तेमाल हुआ है और अंतर भी कम है । अब जो Base Register है वह पुनः prescribed register कहलायेगा । जो संख्या है वह पुनः prescribed register में जुड़ती जायेगी जोकि मैमोरी में डाला या भेजा जायेगा । इसमें जो dos operating system है वह Intel 80 x 86 फैमली में से है वह प्रोसेस के लिये पुनः prescribed register का इस्तेमाल करेगा । साथ ही prescribed register प्रोसेस पर loading और action करने के लिये काम आते हैं ।
जो user program है वो केवल logic address को ही share करता है मैमोरी हार्डवेयर के logical address को physical address में बदल देता है । action time binding हैं इसमें मैमोरी एड्रेस का जो पता है और उसका एड्रैस तब पता नहीं चला पाता जब तक यह पता नहीं होता कि वह कहाँ बना हे या कहाँ पर है । हमारे पास दो तरीके के एड्रेस हैं एक तो logical address जो कि अधिकतम है । लॉजिकल एड्रैस 0 से अधिकतम हैं तथा फिजिकल एड्रैस जो कि चालू होता है R + 0 to R + max तक यूजर केवल Logical address बनाता है और सोचता है कि प्रोसेस 0 से इसमें यूजर प्रोग्राम है वह logical address देता है और साथ ही में बदल जाता है physical address में कुछ भी कार्य करने से पहले या फिर action करने से पूर्व होता है ।
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