सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

disk scheduling in hindi

 आज हम computer course in hindi मे हम disk scheduling in hindi के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-

disk scheduling in hindi:-

disk scheduling ऑपरेटिंग सिस्टम के responsibilities में से एक हार्डवेयर को proper type से प्रयोग करना है और डिस्क ड्राइव के लिए इसका मतलब एक fast access time और disk bandwidth रखना है । एक्सेस टाइम के दो बड़े element होते हैं । Seek Time, disc arm के लिए वह समय होता है जो desired sector को रखकर head को cylinder पर move करता है । Rotantional Latency disk के लिए वह अतिरिक्त टाइम वोटिंग होता है जो desired sector को disk head पर घूमता है । Disk bandwidth transfer हुई बाइट का कुल होता है जो सर्विस के लिए पहली request और final transfer के पूरा होने के बीच पूरे टाइम के द्वारा भाग दिया जाता है । हम एक correct order में access time और डिस्क इनपुट / आउटपुट की सर्विसिंग के scheduling के द्वारा bandwidth को developed कर सकते है ।
2. SSTF शेड्यूलिंग ( Shortest Seek Time First Scheduling )
3. स्कैन शेड्यूलिंग ( Scan Scheduling )
4. C- स्कैन शेड्यूलिंग ( Circular Scan Scheduling)

1. FCFS शेड्यूलिंग ( First Cum First Serve Scheduling ) :-

सबसे सरल रूप डिस्क शेड्यूलिंग का पहले आओ पहले पाओ अर्थात फर्स्ट कम , फर्स्ट - सर्व ( FCFS ) है । यह algorithm nature से सरल होता है लेकिन यह साधारण रूप से सबसे तेज सर्विस प्रदान नहीं करता । 
उदाहरण :-
 एक डिस्क क्यू को रिक्वेस्ट के साथ cylinder पर block के लिए इस Order में देखते हैं । 
98,183,37,122 , 14 , 124,65,67 .

2. SSTF शेड्यूलिंग ( Shortest Seek Time First Scheduling ) :-

यह सभी रिक्वेस्ट जो current head स्थिति के पास है उन्हें सर्विस करने के लिए दिखती है । head को दूर किसी रिक्वेस्ट पर जाने से पहले दूसरी रिक्वेस्ट को सर्व करना इस विधि का कार्य है और यह विधि शॉर्टेस्ट - सीक - टाइम - फर्स्ट ( SSTF ) एलगोरिथम के आधार पर होती है । 
एस . एस . टी . एफ . एलगोरिथम current head स्थिति से उस रिक्वेस्ट को चुनता है जिसे खोजने में सबसे कम समय लगे । इस प्रकार खोजने में लगे समय के साथ - साथ head के द्वारा घूमे हुए cylinder की संख्या भी बढ़ जाती है और एस . एस . टी . एफ . current head स्थिति की सबसे निकट बाकी रह गई रिक्वेस्ट को भी चुन लेता है । 
उदाहरण :- 
current head स्थिति ( 53 ) के सबसे निकट cylinder 65 को सबसे पहले सर्व किया जायेगा । एक बार जब हम cylinder 65 पर होंगे तब अगली सबसे निकट रिक्वेस्ट 67 पर है ।

3. स्कैन शेड्यूलिंग ( Scan Scheduling ):-

 स्कैन एलगोरिथम में disc arm disc के एक अंत से चालू होता है और दूसरे डिस्क के अन्त की ओर मूव करता है इसमें जैसे - जैसे वह प्रत्येक cylinder पर पहुँचता है रिक्वेस्ट को पूरा करते हुए बढ़ता है और जब वह डिस्क के अंत पर head सर्विस करना चालू रखती है , head लगातार डिस्क के पीछे और आगे की ओर स्कैन करता रहता है । 
उदाहरण :- 
cylinder 98 , 183 , 37 , 122 , 14 , 124 , 65 और 67 पर रिक्वेस्ट को शेड्यूल करने के लिए स्कैन को प्रयोग करने से पहले हमें head की current head ( 53 ) के साथ - साथ head movement की condition को जानने की भी आवश्यकता होती है । जब disc arm की ओर बढ़ती है तो वह पहले रिक्वैस्ट 37 और फिर रिक्वेस्ट 14 को पूरा करेगी । जब cylinder पर disc arm पहुँच जाती है तब वह पलट जाती है और डिस्क के दूसरे अन्त की ओर बढ़ जाती है । डिस्क के दूसरे अन्त तक पहुँचने के बीच disc arm 65 , 67 , 98 , 122 , 124 और 183 पर रिक्वेस्ट को पूरा करती है । यदि एक रिक्वेस्ट लाइन में head के ठीक सामने आ जाती है तो वह ज्यादातर उसी समय पूरी कर दी जाती है । इसके विपरीत जब एक रिक्वेस्ट head के पीछे आती है तब उसे तब तक इन्तजार करना पड़ता है जब तक कि वह arm disc के अन्त में पहुँचकर अपनी condition को बदलकर वापस नहीं आ जाती ।
स्कैन एलगोरिथम को कभी - कभी एलीवेटर एलगोरिथम ( Elevator Algo rithm ) कहा जाता है क्योंकि disc arm एक भवन में ऊपर उठाने वाले device की तरह कार्य करता है और ये ऊपर जाने पर सभी रिक्वेस्ट को पूरा करती है और फिर पलटकर दूसरी ओर की रिक्वैस्ट को पूरा करती है । 

4. C- स्कैन शेड्यूलिंग ( Circular Scan Scheduling):-

 सरकुलर स्केन ( सी - स्केन ) स्केन शेड्यूलिंग के विपरीत है । सरकुलर स्केन सभी रिक्वेस्ट के प्रति समान रूप से कार्य करता है और सरकुलर स्कैनिंग में waiting time ज्यादा समान रूप से प्रदान करने के लिए बनाया गया है । स्कैन की तरह सी - स्केन हैड को डिस्क के एक अन्त से दूसरे अन्त तक बढ़ाती है । वह इन सभी रिक्वेस्ट को पूरा करते हुए बढ़ती है जो उसके रास्ते में आती है और जब हैड दूसरे अन्त पर पहुँच जाता है तब वह एकदम से डिस्क के प्रारम्भ में बिना वापसी रास्ते में आये किसी रिक्वेस्ट को पूरा किये वापस पहुँच जाती है । इसमें सी - स्केन शेड्यूलिंग एलगोरिथम आवश्यक रूप से cylinder को एक Circular list की रह जो अन्तिम सिलेण्डर से पहले Circular तक चारों ओर से लिपटी होती है। 

5 लुक शेड्यूलिंग ( Look Scheduling ):-

 स्कैन और सी - स्कैन दोनोंdisc arm को पूरी डिस्क पर मूव करते हैं । कोई भी एलगोरिथम प्रयोग में इस प्रकार कार्य नहीं करती । ज्यादातर disc arm प्रत्येक condition में केवल अन्तिम रिक्वेस्ट तक जाती है और फिर उसी समय direction बदल देती है । वह बिना पहले डिस्क के अन्त के सभी रास्ते पर गये अपनी direction बदलते हैं । स्कैन और सी - स्कैन का यह अनुठा Look C - Look नाम से जाना जाता है क्योंकि वे दी हुई direction में बढ़ते हुए एक रिक्वेस्ट को ढूँढ़ते होते है ।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

half adder and full adder in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे  आज हम half adder and full adder in hindi - computer system architecture in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- half adder and full adder in hindi:- 1. half adder in hindi 2. full adder in hindi  1. Half adder in hindi:- half adder  सबसे basic digital arithmetic circuit 2 binary digits का जोड़ है।  एक combination circuit जो दो bits के arithmetic जोड़ को display करता है उसे half adder कहा जाता है।   half adder के इनपुट variable को Augend और addend bits कहा जाता है। आउटपुट योग और Carrie को बदलता है। दो आउटपुट variable Specified करना आवश्यक है क्योंकि 1 + 1 का योग बाइनरी 10 है, जिसमें दो अंक हैं। हम दो इनपुट वेरिएबल्स के लिए x और y और दो आउटपुट वेरिएबल के लिए S (योग के लिए) और C (कैरी के लिए) असाइन करते हैं। C output 0 है जब तक कि दोनों इनपुट 1 न हों। S आउटपुट योग के कम से कम महत्वपूर्ण बिट का Representation करता है। दो आउटपुट के लिए boolean function सीधे t

physical address and logical address in hindi

आज हम  computer course in hindi  मे हम  physical address and logical address in hindi  के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-  physical address and logical address in hindi:- physical address and logical address  कोई भी address CPU द्वारा बनाया जाता है उसे लॉजिकल एड्रेस (logical address) कहते हैं और जो address memory में दिखता है उसे हम फिजिकल मैमोरी एड्रैस कहते हैं ) जिसमें Compile time और Load time address binding है कुछ converted करता है जब logical और physical address समान होते हैं अर्थात् एक जैसे होते हैं लेकिन action time address binding scheme में कुछ change आता है और जब logical और physical में अंतर होता है । इसलिये हम logic address को वर्चुअल एड्रैस ( Virtual Address ) भी कहते है और इसी का प्रयोग करते हैं । logical या virtual address हम कह सकते हैं और सारे logical address जो कि एक प्रोग्राम के द्वारा बनाये जाते हैं उन्हें लॉजिकल एड्रैस स्पेस ( Logical Address Space ) कहते हैं । इसके साथ ही जो physical address इन logical address के साथ होते हैं उन्हें हम फिजिकल एड्रैस स्पेस (