आज हम computer course in hindi मे हम batch operating system in hindi (बैच ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?) के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-
batch operating system in hindi (बैच ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?):-
अब आने वाले समय में new technology के माध्यम से इनपुट / आउटपुट डिवाइसों की गति और तेज हो जायेगी । इससे implementation में आने वाली समस्या का समाधान ही नहीं होगा बल्कि यह समाप्त हो जायेगी । ये कार्ड सीधे कार्ड रीडर द्वारा रीड किये जा सकते हैं । कार्ड इमेजों की लोकेशन एक टेबल में रहती है जो ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा received की जाती है । जब भी कोई job executed होता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम इस बात से यूजर को satisfied करता है कि उसके द्वारा की गई रिक्वेस्ट कार्ड रीडर के द्वारा डिस्क से प्राप्त कर रीड की जाती है । इसी तरह कोई जॉब प्रिन्टर से किसी लाइन के आउटपुट के लिये रिक्वेस्ट करती है तो वह लाइन सिस्टम buffer में कॉपी हो जाती है तथा डिस्क पर लिख देती है । जब वह जॉब पूरा हो जाता है तो आउटपुट वास्तव में प्रिन्ट हो जाता हैं इस प्रोसेसिंग के प्रकार को स्पूलिंग ( Spooling ) कहते हैं ।
Spooling का अर्थ है डिस्क का प्रयोग बड़े buffer की तरह करना जिसमें इनपुट डिवाइस की रीडिंग तथा आउटपुट फाइल का storage तब तक हो जब तक आउटपुट डिवाइस उन्हें received न कर लें । Spooling का use प्रोसेसिंग डाटा के लिये remote sites पर भी किया जाता है । सी.पी.यू. डाटा को communication path के माध्यम से रिमोट प्रिन्टर तक send करता है । यह रिमोट प्रिन्टर सारे इनपुट जॉबों को रिमोट कार्ड रीडर से भी received कर लेता है । यह remote processing itself की स्पीड से होता है । इसमें सी.पी.यू. का कोई भी Interference नहीं होता है । सी.पी.यू. सिर्फ इस बात की जानकारी रखता हैं कि प्रोसेसिंग में जो जॉब चल रहा है वह समाप्त हुआ या नहीं ताकि अगले डाटा बैच को प्रोसेसिंग के लिये send कर दिया जाये।
एक simple system में spooler एक जॉब के इनपुट को रीड करता है क्योकिं आउटपुटों की प्रिन्टिंग एक अलग प्रकार का जॉब है । इस समय के दौरान एक तो जॉब execute होती है दूसरी कार्ड की reading disc से received होती है तथा इनसे प्राप्त आउटपुट लाइनों को डिस्क पर प्रिन्ट किया जाता है ।
Spooling एक ऐसा लाभदायक प्रभाव होता है जो कि सिस्टम की working capacity पर प्रभाव डालता है । Spooling सी.पी.यू. व इनपूट / आउटपूट डिवाइसों को इसलिये अपने साथ रखता है ताकि उनसे high capacity पर कार्य कराया जा सकें ।
यह अपने कार्यो की प्रोसेसिंग गति को बढ़ाने के लिये एक ही तरह के कार्यों को एक batch में collect कर देता है जिससे उन्हें कम्प्यूटर में एक group की तरह इन कर दिया जाये जिससे प्रोग्रामर को यह सुविधा रहती है कि वह अपने प्रोग्रामों को कम्प्यूटर ऑपरेटर को आसानी से सौंप कर निश्चित हो जाता है । इसके बाद कम्प्यूटर ऑपरेटर इन प्रोग्रामों को batchs में order से लगा देते हैं और यह order एक जैसी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर Determine किया जाता है और जैसे ही कम्प्यूटर सिस्टम उपलब्ध होता है उनको एक - एक करके इन कर दिया जाता है तथा उससे प्राप्त आउटपुट को सम्बन्धित प्रोग्रामर को भेज दिया जाता है । एक बैच ऑपरेटिगं सिस्टम अलग -2 जॉबों को रीड करता है तथा यह भी पता करता है कि वह जॉब क्या क्या है ? जब वह जॉब पूरा हो जाता है तो वह प्रिन्टर से कागज पर प्रिन्ट हो जाता है । इस बैच सिस्टम का एक लक्षण है यूजर व execute हो रहे जॉब के बीच में communication की कमी । जब job तैयार हो जाता है तथा सबमिट कर दिया जाता है तब उसके थोड़ी देर बाद उसका आउटपुट हमको प्राप्त हो जाता है जॉब सबमिट करने तथा job के पूरा होने के मध्य होने वाली देर को टर्नएराउन्ड समय ( Turn Around Time ) भी कहते हैं और इस देरी का कारण होता है- ज्यादा calculation की आवश्यकता या किसी अन्य जॉब का प्रोसेसिंग में होना । इस execute वातावरण में सी.पी.यू. आइडल condition में रहता है और इस condition का कारण होता है मैकेनिकल इनपुट / आउटपुट डिवाइसों की तुलना में इलैक्ट्रानिक डिवाइसों का तेज होना । वैसे तो एक धीमा सी.पी.यू. भी माइक्रो सेकेण्ड रेंज में ही कार्य करता है । इसमें इसकी गति हजार निर्देश प्रति सेकेण्ड की होती है । एक तेज कार्ड रीडर की पढ़ने की गति 1200 कार्ड प्रति मिनट की होती है ( 17 कार्ड प्रति सेकण्ड ) ।
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