सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं
Ahilya Bai Holkar story part-8
पुण्यश्लोका लोकमाता अहल्यादेवी होलकर:-
पुण्यश्लोका लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर- राज्य का आर्थिक प्रबंधन-1:-
- देवी अहिल्या की शैक्षिक और आर्थिक मामलों में दृष्टि बड़ी तीक्ष्ण थी। वे निर्णय क्षमता संपन्न महिला थीं।
- मालवा की स्थिति भारत में मध्य में है, देवी अहिल्या ने इस भौगोलिक स्थिति का लाभ लेकर व्यापार को बढ़ाया। उन्होंने नए उद्योगों, खेती और व्यापार के लिए विशेष प्रयास किये। उन्होंने अपनी टकसाल बनवाई और रोजगार के पर्याप्त अवसरों का निर्माण किया।
- सन् 1759 में उन्होंने बुनकर के रूप में मालू समाज को महेश्वर में बसाया। इन्हें वाराणसी से बुलाया गया था। महेश्वर में उत्कृष्ट कपड़े के निर्माण का कार्य आरम्भ हुआ। कपडे के कच्चे माल से लेकर विपणन (मार्केटिंग) व ब्रांडिंग का अनूठा उदाहरण यही 'माहेश्वरी साड़ी' है, जो आज जग विख्यात है। माहेश्वरी साड़ी का निर्माण स्वयंसहायता समूह के द्वारा स्वावलम्बन का एक सफल अनूठा प्रयोग था। निरन्तर....
पुण्यश्लोका लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर- राज्य का आर्थिक प्रबंधन-2:-
- वीरगति प्राप्त सैनिकों की पत्नियों के लिए भी अहिल्या माता ने स्वयंसहायता समूह बनवाए।
- वे अपने निजि कोष से सस्ते ऋण भी दिया करती थी। इससे प्रजा का हित तो होता ही था, साथ ही उनका अपना कोष भी बढ़ता था।
- पीने के पानी का भी समुचित व्यवस्थापन किया। प्रदूषित जल पीने के पानी के स्रोतों में नहीं मिल पाए, उसकी व्यवस्था भी की।
- अकाल के समय वे प्रजा को कर में छूट दे देती थीं। उन्होंने किसानों को इस बात के लिए स्वतंत्र रखा कि वह अपनी उपज कहीं भी बेच सकते थे।
- राज्य में जिनके पास भूमि नहीं होती, उन्हें जमीन प्रदान की जाती। उनके '9-11 कानून' के माध्यम से भूमिहीनों को भूमि के पट्टे दिए गए, जिन पर किसान उपज का 9-11 के अनुपात से स्वयं और राज्य के कर का निर्धारण करता था।
- वन संरक्षण पर भी उनका पर्याप्त ध्यान था। उन्होंने भिन्न-भिन्न प्रकार के हजारों वृक्षों का रोपण करवाया।
- उन्होंने कर संग्रहण की अनुशासित व निष्पक्ष पद्धति का विकास किया। करों का पुनर्निर्धारण किया तथा अनर्गल करों को समाप्त कर दिया। प्रजा की सुगमता के लिए, उन्होंने किश्तों में कर देने का प्रावधान भी कर दिया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें