Ahilya Bai Holkar story part-9

पुण्यश्लोका लोकमाता अहल्यादेवी होलकर:-

Ahilya Bai Holkar story part (पुण्यश्लोका लोकमाता अहल्यादेवी होलकर)


पुण्यश्लोका लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर- सैन्य प्रबंधन-1:-

  • जब अहिल्या देवी ने शासन संभाला, तब उनकी पूरी सेना के पास मात्र तीन बंदूके हुआ करती थी। किन्तु जब उन्होंने अपनी सेना की क्षमता बढ़ाना प्रारंभ की, तो अंग्रेजों ने जानबूझकर बंदूकों का मूल्य बढ़ा दिया और देवी अहिल्या को बंदूके देना बंद कर दिया। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप अहिल्या माता ने स्वयं अपने शास्त्रागरों का निर्माण प्रारंभ कर दिया था।
  • अपने जीवन काल में उन्होंने सात किलों का निर्माण किया, तोपखानों की स्थापना करना वे बड़े अच्छे से जानती थी। अपनी सेना के आधुनिकीकरण के लिए उन्होंने बोइड (Boyd) नाम के एक ऑफिसर को भी नौकरी पर रखा था।
  • मल्हारराव जी होलकर और देवी गौतमाबाई द्वारा प्रदत्त प्रशिक्षण में, अहिल्या माता ने बहुत कुछ सीखा था। समय के साथ-साथ वे पूरा का पूरा तोपखाना कैसे स्थापित किया जाता है, यह भी सीख गईं। भानपुरा में उन्होंने तोपखाना स्थापित भी किया और गोहद के युद्ध के लिए वहां से तोप लेकर स्वयं गई थीं। इन्ही तोपों के माध्यम से अहिल्या माता ने गोहद के युद्ध में विजय प्राप्त की थी।

पुण्यश्लोका लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर- सैन्य प्रबंधन-2:-

  • यहाँ यह उल्लेख किया जाना समयोचित होगा कि उन्होंने अपने स्वयं के सेनापतित्व में अपनी ननद उदाबाई के साथ मिलकर 500 महिलाओं की एक सैन्य टुकड़ी का भी गठन किया था। उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया और अस्त-शस्त्रों से सुसजित किया था। गोला बारूद व रसद संग्रह का कार्य भी उन्होंने महिला सेनानियों के जिम्मे कर दिया।
  • देवी अहिल्या ने अंग्रेजों के खतरे का भी पूर्वानुमान कर लिया था और उस संबंध में वे भलीभाँति जानती थीं कि भारत के संपूर्ण सनातनी समाज की एकात्मता के बिना अंग्रेजों का सामना नहीं किया जा सकता है।

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