आज हम computer course in hindi मे हम swapping in operating system in hindi के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-
swapping in operating system in hindi:-
Swapping operating system में एक मेमोरी मैनेजमेंट स्कीम है यह एक ऐसी Technique हैं। जिसमें किसी एक प्रोसेस को मैमोरी में action के लिये लाया जाता है । उसी समय इस प्रोसेस को space करके रखा जाता है और जब जरूरत पड़ती है तो मैमोरी में action के समय उसे लाया जाता है और Round Robin CPU Scheduling को कई सारे प्रोग्राम पर use किया जाता है । जब एक quantum finish होता है तो मैमोरी में प्रोसेस self on हो जाता है । फिर मैमोरी प्रोसेस को space out करता है और फिर दूसरे प्रोसेस को मैमोरी में space करता है इसी बीच में जो C.P.U. scheduler है वह time slide की help से प्रोसेस को मैमोरी मे आते हैं मतलब एक प्रोसेस का पूरा समय मैमोरी में दूसरा प्रोसेस action के लिये आ जाता है और पहला मैमोरी में से बाहर चला जाता है । तो memory manager जल्दी प्रोसेस को ready कर मैमोरी में space करता है तथा जल्दी से जल्दी में action करता है । जब C.P.U. scheduler C.P.U. दुबारा से schedule करता है । quantum को action की swapping में जरूरत पड़ती है ।
यह swapping process priority पर dependent करता है और priority की scheduling पर ( पहले कौन सा प्रोसेस आयेगा फिर कौन सा ) । ऊपर बड़ा priority का प्रोसेस आता है इस action के लिये मैमोरी मै तो छोटे वाले priority के प्रोसेस को मैमोरी में space करके बड़े वाले को पहले मैमोरी में action के लिये भेजेगा फिर बाद में जब बड़ा वाला प्रोसेसर हो जायेगा तब छोटे वाले प्रोसेस को space करके मैमोरी में action के लिये भेजा जायेगा । इसमें Spacing कई बार Roll In and Roll Out के नाम से जाना जाती है ( प्रक्रिया ) ।
मैमोरी में से जो process space out हुआ है जब वह वापिस मैमोरी में जाता है तो उसी जगह और space को लेता है जहाँ से space out हुआ था । यह तरीका address binding के द्वारा किया जाता है । जो कुछ address binding में है वैसा ही होगा । अगर binding assembly समय पर हुआ है तो प्रोसेस एक जगह से दुसरी जगह नहीं जा सकता और अगर यह काम action समय binding में हुआ होता तो प्रोसेस अपनी जगह मैमोरी में बदल सकता है क्योंकि physical address verb समय में Create होगा ।
swapping को बैंकिंग स्टोर की जरूरत होती है जो स्टोर कर उसे वहाँ से वापिस करने में मदद करता है । बैकिंग स्टोर आमतौर से डिस्क पर बहुत तेज होता है । सारी फाइलों का Map बनाकर उसे सभी यूजर को देना कठिन है ताकि वह उसको इस्तेमाल कर सकें और यह Map बनाकर उसे सभी यूजर अलग - अलग यूजर को मिलता है ( सभी को जिन्हें उन पर काम करना हो ) जिस पर वह action करते हैं । सिस्टम एक तैयार line बनाता है सारे प्रोसेस के लिए जिनका Map मैमोरी में बैकिंग स्टोर पर होता है या फिर मैमोरी में होता है साथ ही वह action के लिये तैयार रहते है और जब कभी c.p.u scheduler उस प्रोसेस को करने के लिये तैयार होता है Dispatcher के जरिये उसे भेज दिया जाता है । dispatcher यह देखता है कि जो अलग प्रोसेस है वह line में है या नहीं जिसे अब मैमोरी में लाया जायेगा । अगर प्रोसेस नहीं है , और मैमोरी में जगह नहीं है तो जो dispatcher है वह प्रोसेस को , जो जरूरत नहीं है । स्पेस आउट करता है और जो जरूरत है उसे मैमारी में स्पेस इन करता है । फिर वह रजिस्टर को वापस लोड करता है और पूरा ध्यान और समय चुने हुए प्रोसेस पर लगता है । जो स्विच समय है वह स्पेसिंग के समय में ज्यादा होता है । Context Swtich Time के बारे में जानने के लिये हम मान लेते है कि जो यूजर प्रोसेस है वह 100 (K) का है और जो बैकिंग स्टोर डिस्क पर है , जिसका आना जाना 1 Megabyte प्रति सेकेण्ड है तो जो असली में 100 (K) का प्रोसेस मैमोरी में आयेगा और जायेगा ।
100(K)/1000(K) per second
1/10second
100 mili second
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