सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Featured Post

Depth Buffer Algorithm

degree of relationship in dbms in hindi - DBMS in hindi

 आज हम computers in hindi मे  degree of relationship in dbms in hindi - DBMS in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

degree of relationship in dbms in hindi (डिग्री ऑफ रिलेशनशिप):-

इसमे किसी relationship में भाग लेने वाली total entitys की संख्या डिग्री ऑफ रिलेशनशिप (degree of relationship in dbms) कहलाती है और degree of relationship in dbms को हम कई प्रकार से इसे Classified कर सकते है
( 1 ) unary relationship in dbms
( 2 ) unary relationship in dbms
( 3 ) unary relationship in dbms

1. यूनेरी रिलेशनशिप ( Unary Relationship in DBMS in hindi ) :-

इसमे किसी एक ही entity type के Instances के मध्य की relationship को unary relationship in dbms कहते हैं ।
degree of relationship in dbms in hindi

2. बायनरी रिलेशनशिप ( Binary Relationship in DBMS in hindi):-

इसमे किन्हीं दो प्रकार के entity types के Instances के मध्य की relationship की बायनरी रिलेशनशिप ( Binary Relationship in DBMS in hindiकहते हैं और यह डेटा मॉडलिंग में सबसे अधिक उपयोग में आने वाली relationship होती है ।
degree of relationship in dbms in hindi

3. टर्नरी रिलेशनशिप ( Ternary Relationship in DBMS in hindi ) :-

इसमे किन्ही तीन प्रकार के entity types के Instances के मध्य की एक साथ relationship  को टर्नरी रिलेशनशिप ( Ternary Relationship in DBMS in hindi ) कहते हैं और एक टर्नरी रिलेशनशिप तीन बायनरी रिलेशनशिप के बराबर नहीं होती है ।
बायनरी रिलेशनशिप ( Binary Relationship in DBMS in hindi):-

Example  E-R DIAGRAM:-

( 1 ) इसमे फाइनेन्स उधार देने वाली कंपनी के लिए एक E - R डायग्राम :-
कम्पनी ग्राहक और लेखा ( A / C ) के बारे में डेटा संग्रहित करती है और इसमे एक यूनिवर्सल रजिस्टार ऑफिस के लिए E - R डायग्राम और ऑफिस प्रत्येक कक्षा के साथ - साथ इंस्ट्रक्टर , एनरोलमेंट वर्ष और प्रत्येक विद्यार्थी के लिए कक्षाओं का स्थान व समय व ग्रेड , सभास्थान आदि का डेटा व्यवस्थित करते हैं ।

( 2 ) एक अस्पताल के मरीजों के सेट के साथ मेडिकल डॉक्टरों के सेट के लिए E R डायग्राम :-
प्रत्येक मरीज के लिए संचालित परीक्षणों का सेट मरीज के साथ जुड़ा होना चाहिए । अभी तक हमने मूलभूत E - R विचारधारा को पढ़ा । लेकिन हम कुछ गुणों के बारे मे जानेगे ।
( 1 ) विशिष्टीकरण ( स्पेशलाईजेशन ) 
( 2 ) सामान्यीकरण ( जनरलाईजेशन ) 
( 3 ) औसतीकरण ( एग्रीगेशन )

(1) Specialization or subtype:-

यह किसी high level entity के lower level entity sets में devises की process है और यह process इसलिये आवश्यक है क्योंकि एक entity set में ऐसी entitys का समावेश होता है और इनके Property आपस में same नहीं होते हैं। 

(2) In generalization or supertype:-

इस process में दो या उससे अधिक lower - level entitys को एक high levelentitys set के यूनियन के रूप में define हैं और high level entitys set के Attribute को Lower level entity sets से भी Inherit किया जाता है ।

(3) Normalization or Aggregation:-

 E - R मॉडल की एक limit यह है कि यह relationship के बीच relationship को Displayed नहीं कर सकता है और इसी के लिये हम Aggregation का उपयोग करते हैं । इसमे Aggregation एक Abstraction की process है और जिसमें relationship sets को एक Higher - Level Entity के रूप में Displayed करते हैं । इसमे इस प्रकार relationship sets व उससे Related entity sets को हम एक Higher - Level Entity के रूप में देखते हैं और यह उसी तरह का व्यवहार करती है , जिस तरह से दूसरी entity करती है ।








टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ms excel functions in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे ms excel functions in hindi(एमएस एक्सेल में फंक्शन क्या है)   -   Ms-excel tutorial in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- ms excel functions in hindi (एमएस एक्सेल में फंक्शन क्या है):- वर्कशीट में लिखी हुई संख्याओं पर फॉर्मूलों की सहायता से विभिन्न प्रकार की गणनाएँ की जा सकती हैं , जैसे — जोड़ना , घटाना , गुणा करना , भाग देना आदि । Function Excel में पहले से तैयार ऐसे फॉर्मूले हैं जिनकी सहायता से हम जटिल व लम्बी गणनाएँ आसानी से कर सकते हैं । Cell Reference में हमने यह समझा था कि फॉर्मूलों में हम जिन cells को काम में लेना चाहते हैं उनमें लिखी वास्तविक संख्या की जगह सरलता के लिए हम उन सैलों के Address की रेन्ज का उपयोग करते हैं । अत : सैल एड्रेस की रेन्ज के बारे में भी जानकारी होना आवश्यक होता है । सैल एड्रेस से आशय सैल के एक समूह या श्रृंखला से है । यदि हम किसी गणना के लिए B1 से लेकर  F1  सैल को काम में लेना चाहते हैं तो इसके लिए हम सैल B1 , C1 , D1 , E1 व FI को टाइप करें या इसे सैल Address की श्रेणी के रूप में B1:F1 टाइ

window accessories kya hai

  आज हम  computer in hindi  मे window accessories kya hai (एसेसरीज क्या है)   -   Ms-windows tutorial in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- window accessories kya hai (एसेसरीज क्या है)  :- Microsoft Windows  कुछ विशेष कार्यों के लिए छोटे - छोटे प्रोग्राम प्रदान करता है इन्हें विण्डो एप्लेट्स ( Window Applets ) कहा जाता है । उनमें से कुछ प्रोग्राम उन ( Gadgets ) गेजेट्स की तरह के हो सकते हैं जिन्हें हम अपनी टेबल पर रखे हुए रहते हैं । कुछ प्रोग्राम पूर्ण अनुप्रयोग प्रोग्रामों का सीमित संस्करण होते हैं । Windows में ये प्रोग्राम Accessories Group में से प्राप्त किये जा सकते हैं । Accessories में उपलब्ध मुख्य प्रोग्रामों को काम में लेकर हम अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न कर सकते हैं ।  structure of window accessories:- Start → Program Accessories पर click Types of accessories in hindi:- ( 1 ) Entertainment :-   Windows Accessories  के Entertainment Group Media Player , Sound Recorder , CD Player a Windows Media Player आदि प्रोग्राम्स उपलब्ध होते है

applet in java in hindi

  आज हम  computers  in hindi   मे   applet in java in hindi  (java programming in hindi)  -   Internet tools in hindi  के बारे में  जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-  Applet in java in hindi:- applet in java  के वे छोटे प्रोग्राम होते हैं जो इन्टरनेट प्रोग्रामिंग में काम में लिए जाते हैं । यह  applet  एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर भेजे जा सकते हैं , तथा फिर इन्हें किसी भी वेब ब्राउज़र या एप्लेट व्यूअर द्वारा रन कराया जा सकता है ।  एक  applet  किसी एप्लीकेशन प्रोग्राम की तरह कई कार्य कर सकता है , जैसे गणितिय गणनाएं करना , ग्राफिक्स प्रदर्शित करना , साउंड का प्रयोग करना , यूजर से इनपुट लेना आदि । life cycle applet in hindi :- 1. Born Or Initialization State  2. Running State  3. Idle State 4. Dead Or Destroyed State 1. Born Or Initialization State :- एक  applet  बोर्न स्टेट में तब आता है जब वह load होता है । किसी  applet  को लोड करने के लिए  applet  क्लास के init () मैथड का प्रयोग किया जाता है । आवश्यकता होने पर एप्लेट क्लास के init ( ) मैथड ओवरराईड किया जा सकता है -