आज हम computers in hindi मे land mobile communication - mobile communication in hindi - computer network in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-
mobile communication in hindi:-
land mobile communication:-
land mobile communication का उपयोग कम रेंज में communication के लिये किया जाता है । इसका आम तौर पर प्रचलित application dispatch communication में है । Dispatch communication की प्रकृति तथा उसका स्वरूप broadcast या point to multipoint होता है । Dispatch service voice based होती है । Dispatcher डेटा या संदेश को broadcast करता है अर्थात् प्रसारित करता है तथा रिसीवर उस पर अपनी प्रतिक्रिया देता है । land mobile communication को तीन प्रकार से operate किया जा सकता है- सिम्प्लैक्स मोड , हाफ डुप्लैक्स मोड तथा फुल डुप्लैक्स मोड ।
सिम्लैक्स मोड ट्रांस्मिटर तथा रिसीवर दोनों के लिए एक ही चैनल होता है तथा इस मोड को 25-30 MHz बैण्ड की रेंज में संचालित किया जाता है । हाफ डुप्लैक्स मोड में दो अलग - अलग frequencies का प्रयोग किया जाता है तथा इस मोड को 450-470 MHz बैण्ड की रेंज में संचालित किया जाता है । इस मोड़ में डेटा ट्रांस्मिट तथा रिसीव एक ही समय पर नहीं हो सकते हैं , एक समय पर या तो डेटा ट्रॉस्मिट होगा या फिर डेटा रिसीव होगा । फुल डुप्लैक्स मोड में भी दो अलग - अलग frequencies का प्रयोग किया जाता है तथा इस मोड को 800 MHz बैण्ड से अधिक की रेंज में संचालित किया जाता है । इसमें एक ही समय पर डेटा को ट्रांस्मिट तथा रिसीव भी किया जा सकता है ।
Private land mobile system में सामान्यतः दो frequencies होती है । प्रथम base station से और Mobile portable इकाईयों से ट्रांस्मिशन के लिये होती है तथा द्वितीय आवृत्ति mobile relay से ट्रॉस्मिशन के लिए होती है ।
Land Mobile Vs Inbuilding Communication:-
land mobile communication का उपयोग कम रेंज में cominunication के लिये किया जाता है । इसका आम तौर पर प्रचलित application dispatch communication में है । Private land mobile system में सामान्यतः दो frequencies होती है । प्रथम base station से और Mobile portable इकाईयों से ट्रांस्मिशन के लिये होती है तथा द्वितीय आवृत्ति mobile relay से ट्रांस्मिशन के लिए होती है ।
जबकि इन बिल्डिंग कम्यूनिकेशन एक ऐसा कम्यूनिकेशन है जो सिग्नल के लेवल को बढ़ाने के लिए किया जाता है । यह अत्यंग उपयुक्त विधि है जो कि वर्तमान में प्रचिलित है । इसके द्वारा एक ही भवन में उपलब्ध विभिन्न उपकरणों को आपस में जोड़कर कम्यूनिकेशन किया जा सकता है । जैसे कि कॉर्डलैस फोन , प्रिन्टर , पैरीफेरल डिवाइसेस इत्यादि ।
architecture of mobile communication:-
सैल्यूलर सिस्टम वायरलैस कम्यूनिकेशन अर्थात् मोबाईल कम्यूनिकेशन में प्रयोग किया जाता है । Cellular system के द्वारा frequency spectrum में अधिक संख्या में users , arge geographical area में आपस में communication कर सकते हैं ।
Celleular -system , land line system से अच्छी गुणवत्ता ( high quality ) की सेवा प्रदान करता है । इसमें एक छोटे भौतिक क्षेत्र को सेल ( Cell ) कहते हैं । प्रत्येक सैल में एक base station होता है । जब कोई प्रयोगकर्ता एक सैल से दूसरे सैल में जाता है तो उस पर दूसरे सेल का base station नियंत्रण करता है , इस प्रक्रिया को handoff कहते है।
सभी सैल के base station को Mobile switching center ( MSC ) द्वारा नियंत्रित किया जाता है । जब Cell में प्रयोगकर्ता की संख्या बढ़ती है तो Cell को दिए गए चैनलों की संख्या इन प्रयोगकर्ता के लिए पर्याप्त नहीं होती हैं इस कारण cell की क्षमता ( capacity ) को बढ़ाने के लिए Cell Splitting Technique . Cell Sectoring Technique . Microcel's Zone Technique . Repeater for Range Expansion तकनीकों का प्रयोग किया जाता है ।
सैल्यूलर सिस्टम का प्रयोग अधिक संख्या में users को नेटवर्क प्रदान करने के लिए किया जाता है । इस प्रकार की तकनी में नेटवर्क के बड़े क्षेत्र को छोटे - छोटे उप - क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है जिन्हें cell कहा जाता है । प्रत्येक cell का एक base station होता है । जो कि एक से अधिक simultaneous users के लिए रेडियो लिंक उपलब्ध कराने में सक्षम होता है । नेटवर्क के जिस क्षेत्र में बेस स्टेशन को एक्सेस किया जा सके उसे सर्विस एरिया कहा जाता है । प्रत्येक टर्मिनल को एक बेग स्टेशन को handed over कर दिया जाता है । इसका नेटवर्क स्ट्रक्चर एक ही होता है अर्थात् यह बदलता नहीं है ।
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