सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

scheduling in operating system in hindi

 आज हम computer course in hindi मे हम scheduling in operating system in hindi के बारे में जानकारी देते क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

Scheduling in operating system in hindi:-

scheduling operating system इस इनपुट / आउटपुट requests के समूह को schedule करने का मतलब एक अच्छे order को निश्चित करना है जिसमें उन्हें execute करना है । वह order जिसमें application system calls को issue करती है और कभी - कभी वह सबसे अच्छी choice होती है । scheduling पूरे सस्टिम की कार्य गति को बढ़ा सकती है इस equipment access को ठीक प्रकार से प्रक्रियाओं के बीच शेयर कर सकती है और इनपुट / आउटपुट को पूरा करने के लिए average waiting time को कम कर सकती है । मान लो कि एक disc arm एक डिस्क की शुरूआत के निकट है , और वो तीन एप्लीकेशन उस disk blocking read calls को issue करता है । इस एप्लीकेशन 1 डिस्क के अन्त के निकट एक ब्लॉक को request करता है । एप्लीकेशन 2 शुरूआत के पास request करता है , और एप्लीकेशन 3 की request डिस्क के बीच में होती है । यह स्पष्ट है कि ऑपरेटिंग सिस्टम उस दूरी को कम कर सकते हैं जिसमें Disk Arm Application Serving के द्वारा 2 , 3 , 1 के order में ट्रैबल करती है और इस condition में services के order को दोबारा से लगाना ही इनपुट / आउटपुट scheduling का सार है । ऑपरेटिंग सिस्टम डैवलपर प्रत्येक device के लिए Request Q को Maintain करते हुये scheduling को पूरा करते हैं । जब एक एप्लीकेशन एक ब्लॉकिंग इनपुट / आउटपुट सिस्टम कॉल को issue करती है तो रिक्वैस्ट उस device के लिए एक Q में लग जाती है और इनपुट / आउटपुट scheduler पूरे सिस्टम की क्षमता को बढ़ाने के लिए Q के order को फिर से अरेन्ज कर देता है । और Average response time application के द्वारा अनुभवी होती है । ऑपरेटिंग सिस्टम सही होने के लिए भी Try कर सकता है . जैसे कि कोई भी एप्लीकेशन विशेष रूप से खराब सेवा प्राप्त नहीं करती या यह Delay sensitive request के लिए priority services दे सकता है और , वर्चुअल मैमोरी सब सिस्टम के द्वारा रिक्वैस्ट एप्लीकेशन रिक्वैस्ट पर Priority ले सकती है । डिस्क इनपुट / आउटपुट के लिए अनेक scheduling algorithm इसमें described किया गया है । एक तरफ इनपुट / आउटपुट सब सिस्टम कम्प्यूटर की योग्यता को scheduling इनपुट / आउटपुट ऑपरेशन के द्वारा बढ़ाता है और दूसरी तरफ डिस्क पर या मुख्य मेमोरी में तकनीकों के द्वारा स्टोरेज स्पेस का प्रयोग करके बढ़ाया जाता है इन तकनीकों को buffering, caching और spooling के नाम से जाना जाता है ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

half adder and full adder in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे  आज हम half adder and full adder in hindi - computer system architecture in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- half adder and full adder in hindi:- 1. half adder in hindi 2. full adder in hindi  1. Half adder in hindi:- half adder  सबसे basic digital arithmetic circuit 2 binary digits का जोड़ है।  एक combination circuit जो दो bits के arithmetic जोड़ को display करता है उसे half adder कहा जाता है।   half adder के इनपुट variable को Augend और addend bits कहा जाता है। आउटपुट योग और Carrie को बदलता है। दो आउटपुट variable Specified करना आवश्यक है क्योंकि 1 + 1 का योग बाइनरी 10 है, जिसमें दो अंक हैं। हम दो इनपुट वेरिएबल्स के लिए x और y और दो आउटपुट वेरिएबल के लिए S (योग के लिए) और C (कैरी के लिए) असाइन करते हैं। C output 0 है जब तक कि दोनों इनपुट 1 न हों। S आउटपुट योग के कम से कम महत्वपूर्ण बिट का Representation करता है। दो आउटपुट के लिए boolean function सीधे t

physical address and logical address in hindi

आज हम  computer course in hindi  मे हम  physical address and logical address in hindi  के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-  physical address and logical address in hindi:- physical address and logical address  कोई भी address CPU द्वारा बनाया जाता है उसे लॉजिकल एड्रेस (logical address) कहते हैं और जो address memory में दिखता है उसे हम फिजिकल मैमोरी एड्रैस कहते हैं ) जिसमें Compile time और Load time address binding है कुछ converted करता है जब logical और physical address समान होते हैं अर्थात् एक जैसे होते हैं लेकिन action time address binding scheme में कुछ change आता है और जब logical और physical में अंतर होता है । इसलिये हम logic address को वर्चुअल एड्रैस ( Virtual Address ) भी कहते है और इसी का प्रयोग करते हैं । logical या virtual address हम कह सकते हैं और सारे logical address जो कि एक प्रोग्राम के द्वारा बनाये जाते हैं उन्हें लॉजिकल एड्रैस स्पेस ( Logical Address Space ) कहते हैं । इसके साथ ही जो physical address इन logical address के साथ होते हैं उन्हें हम फिजिकल एड्रैस स्पेस (