सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

centralized database system

 आज हम computers in hindi मे centralized database system- dbms in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

centralized database system in dbms:-

centralized database system यह वे सिस्टम होते हैं , जो कि सिंगल कम्प्यूटर सिस्टम पर चलते हैं और अन्य कम्प्यूटर सिस्टम्स से इंटरेक्ट नहीं करते हैं । इस प्रकार ऐसे डाटाबेस सिस्टम्स में पर्सनल कम्प्यूटर पर चलने वाले सिंगल यूजर डाटाबेस सिस्टम्स से लेकर High End Server Systems पर चलने वालेhigh performance डाटाबेस सिस्टम्स तक के सिस्टम आते हैं । इसे हम आधुनिक General Purpose Computer System में एक से कुछ CPUs और कई सारे डिवाईस कंट्रोलर्स से मिलकर बना होता है और ये डिवाईस शेयर्ड मेमोरी पर एक्सेस देने वाली Common bus से जुड़े होते हैं । डाटा को एक्सेस तीव्र करने के लिए CPUs में केश मेमोरीज होती है और जो मेमोरी के हिस्सों की लोकल कॉपियाँ स्टोर करती हैं । प्रत्येक डिवाईस कंट्रोलर के पास विशिष्ट प्रकार के डिवाईस उदाहरण के लिए एक डिस्क ड्राईव , ऑडियो एवं डिवाईस या वीडियो डिस्प्ले का चार्ज होता है । CPUs और Device controllers memory access के लिए Competition करते हुए एक साथ Execute कर सकते हैं । 
इसमे केश मेमोरी एवं मेमोरी एक्सेस के लिए Competition को कम कर देती है । हम चूंकि यह उस संख्या को घटा देती है और जितनी बार CPU को शेयर्ड मेमोरी को एक्सेस करने की आवश्यकता पड़ती है और कम्प्यूटर के उपयोग के दो तरीकें हो सकते हैं सिंगल यूजर सिस्टम्स और मल्टीयूजर सिस्टम । 
पहली श्रेणी में पर्सनल कम्प्यूटर और वर्क स्टेशन आते हैं और एक आदर्श सिंगल यूजर सिस्टम एक डेस्कटॉप यूनिट होती है , जिसे एक व्यक्ति ही उपयोग करता है और usually  पर केवल एक CPU और एक या दो हार्ड डिस्क इसमें होती है । जिस कारण इसमें एक बार में एक ही व्यक्ति मशीन का उपयोग करता है ।
इसमे दूसरी ओर एक ideal multiuser system में अधिक डिस्क व अधिक मेमोरी होती है एवं इसमें एक से अधिक CPUs हो सकते हैं और मल्टीयूजर ऑपरेटिंग सिस्टम होते हैं । यह बड़ी संख्या में यूजर्स को सेवा देता है और जो सिस्टम से टर्मिनल के द्वारा जुड़े होते हैं । सिंगल यूजर के उपयोग के लिए डिजाईन किए डाटाबेस सिस्टम्स में आमतौर पर मल्टीयूजर डाटाबेस द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली कई सुविधाएँ नहीं होती हैं । इसमे खास तौर पर वे कांकरेंसी कंट्रोल को सपोर्ट नहीं करते हैं क्योंकि जब एक ही यूजर अपडेट जनरेट कर रहा हो तो इसकी आवश्यकता नहीं होती है और ऐसे सिस्टम में क्रेश रिकवरी के Provision या तो होते ही नहीं या बहुत प्रारंभिक स्तर के होते हैं ।
उदाहरण:- वे सिर्फ किस भी अपडेट के पूर्व डाटाबेस के बेकअप के बने हो सकते हैं और इनमें से कई सिस्टम SQL (in hindi) को सपोर्ट नहीं करते और QBE के वेरिएंट जैसे और भी सरल क्वेरी लेंग्वेज उपलब्ध कराते हैं । हमे इसके विपरीत मल्टीयूजर सिस्टम के लिए डिजाईन किए डाटाबेस सिस्टम वे सभी ट्रांजेक्शनल फीचर्स सपोर्ट करते हैं ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Query Optimization in hindi - computers in hindi 

 आज  हम  computers  in hindi  मे query optimization in dbms ( क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन) के बारे में जानेगे क्या होता है और क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन (query optimization in dbms) मे query processing in dbms और query optimization in dbms in hindi और  Measures of Query Cost    के बारे मे जानेगे  तो चलिए शुरु करते हैं-  Query Optimization in dbms (क्वैरी ऑप्टीमाइजेशन):- Optimization से मतलब है क्वैरी की cost को न्यूनतम करने से है । किसी क्वैरी की cost कई factors पर निर्भर करती है । query optimization के लिए optimizer का प्रयोग किया जाता है । क्वैरी ऑप्टीमाइज़र को क्वैरी के प्रत्येक operation की cos जानना जरूरी होता है । क्वैरी की cost को ज्ञात करना कठिन है । क्वैरी की cost कई parameters जैसे कि ऑपरेशन के लिए उपलब्ध memory , disk size आदि पर निर्भर करती है । query optimization के अन्दर क्वैरी की cost का मूल्यांकन ( evaluate ) करने का वह प्रभावी तरीका चुना जाता है जिसकी cost सबसे कम हो । अतः query optimization एक ऐसी प्रक्रिया है , जिसमें क्वैरी अर्थात् प्रश्न को हल करने का सबसे उपयुक्त तरीका चुना

Recovery technique in dbms । रिकवरी। recovery in hindi

 आज हम Recovery facilities in DBMS (रिकवरी)   के बारे मे जानेगे रिकवरी क्या होता है? और ये रिकवरी कितने प्रकार की होती है? तो चलिए शुरु करतेे हैं- Recovery in hindi( रिकवरी) :- यदि किसी सिस्टम का Data Base क्रैश हो जाये तो उस Data को पुनः उसी रूप में वापस लाने अर्थात् उसे restore करने को ही रिकवरी कहा जाता है ।  recovery technique(रिकवरी तकनीक):- यदि Data Base पुनः पुरानी स्थिति में ना आए तो आखिर में जिस स्थिति में भी आए उसे उसी स्थिति में restore किया जाता है । अतः रिकवरी का प्रयोग Data Base को पुनः पूर्व की स्थिति में लाने के लिये किया जाता है ताकि Data Base की सामान्य कार्यविधि बनी रहे ।  डेटा की रिकवरी करने के लिये यह आवश्यक है कि DBA के द्वारा समूह समय पर नया Data आने पर तुरन्त उसका Backup लेना चाहिए , तथा अपने Backup को समय - समय पर update करते रहना चाहिए । यह बैकअप DBA ( database administrator ) के द्वारा लगातार लिया जाना चाहिए तथा Data Base क्रैश होने पर इसे क्रमानुसार पुनः रिस्टोर कर देना चाहिए Types of recovery (  रिकवरी के प्रकार ):- 1. Log Based Recovery 2. Shadow pag