सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

internet connection in hindi

आज हम internet technology in hindi मे हम internet connection in hindi के बारे में जानकारी देते क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

internet connection in hindi:-

इंटरनेट के Network में विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन प्रोग्रामों को execute करने करने वाली अनेक मशीन ( कम्प्यूटर ) Inclusived होती हैं । इन कम्प्यूटरों को हम होस्ट कह सकते हैं । ये होस्ट एक communication subnet से जुड़े रहते हैं । एक होस्ट से दूसरे होस्ट तक message लाने ले जाने का कार्य subnet का होता है , telephone system इस कार्य को करवाती है । 
अधिकतर वाइड एरिया नेटवर्कों में subnet के दो भाग होते हैं - 
1. transmission lines
2. switching devices

1. Transmission lines :-

वाइड एरिया नेटवर्क के कम्प्यूटरों के मध्य डाटा की bits का convection करने वाले तार , केबल , सर्किट , या channels को transmission lines कहते हैं ।

2. Switching devices :-

 दो या दो से अधिक transmission lines को जोड़ने वाले specialized computers switching devices कहलाते हैं । जब किसी इनकमिंग लाइन पर डाटा पहुँचता है तो एलीमेन्ट , outgoing लाइन का चुनाव करती है । यह स्विचिंग युक्ति I. S. P. ( इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ) का कम्प्यूटर होता है । इंटरनेट से जुड़ने के लिए सर्वप्रथम हमें I. S. P. ( इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ) से user नेम और पासवर्ड लेने होते हैं । इन दोनों से ही हम टेलीफोन लाइन से जुड़े कम्प्यूटर से जुड़े कम्प्यूटर के द्वारा इंटरनेट में लॉगइन हो सकते हैं ।

इंटरनेट से जुड़ने के लिए टेलीफोन लाइन को कम्प्यूटर में लगे मॉडेम के सॉकट से जोड़ दिया जाता है । इसके बाद Start Menu में प्रदर्शित Connect To को सलेक्ट करते हैं इसके बाद प्रदर्शित submain में My Connection अथवा user द्वारा user name वाले option पर क्लिक करते हैं , जिससे स्क्रीन पर एक dialog boxe प्रदर्शित होता है इस dialog boxe में user name और password टाइप करके कनेक्ट पर क्लिक करते हैं । ऐसा करते ही इंटरनेट से जुड़ने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है । यह प्रोग्राम कम्प्यूटर को I. S. P. सर्वर से जोड़ने को प्रयास करता है । कभी - कभी कनेक्शन जुड़ने में काफी समय लग जाता है । परन्तु ऐसा तभी होता है जब लाइनें busy होती हैं ।
यदि इंटरनेट कनेक्शन सही जुड़ गया है तो MS Internet Explorer प्रोग्राम start करते हैं और जिससे इंटरनेट से जुड़ी हुई होस्ट साईट खुल जाती है । यदि डीफॉल्ट में www.indiapost.gov.in की ई - पोस्ट वेब साइट users ने पहले ही determined कर रखी है तो इसकी वेब साइट खुल जाती है । जिसमें हम अब कार्य कर सकते हैं । इंटरनेट कनेक्ट होने पर विण्डोज के टास्क बार पर एक आइकन लगातार प्रदर्शित होता रहता है । कि इंटरनेट कनेक्शन जारी है । इस आइकन पर डबल क्लिक करने पर इंटरनेट कनेक्शन की गति और कनेक्ट होने के बाद spent time की calculation होती है जैसे एस . टी . डी . बूथ पर टेलीफॉन कॉल के समय की calculation करने वाला मीटर दिखता है । जिससे हम इंटरनेट पर कार्य करने की period time का assessment कर सकते हैं ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

half adder and full adder in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे  आज हम half adder and full adder in hindi - computer system architecture in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- half adder and full adder in hindi:- 1. half adder in hindi 2. full adder in hindi  1. Half adder in hindi:- half adder  सबसे basic digital arithmetic circuit 2 binary digits का जोड़ है।  एक combination circuit जो दो bits के arithmetic जोड़ को display करता है उसे half adder कहा जाता है।   half adder के इनपुट variable को Augend और addend bits कहा जाता है। आउटपुट योग और Carrie को बदलता है। दो आउटपुट variable Specified करना आवश्यक है क्योंकि 1 + 1 का योग बाइनरी 10 है, जिसमें दो अंक हैं। हम दो इनपुट वेरिएबल्स के लिए x और y और दो आउटपुट वेरिएबल के लिए S (योग के लिए) और C (कैरी के लिए) असाइन करते हैं। C output 0 है जब तक कि दोनों इनपुट 1 न हों। S आउटपुट योग के कम से कम महत्वपूर्ण बिट का Representation करता है। दो आउटपुट के लिए boolean function सीधे t

physical address and logical address in hindi

आज हम  computer course in hindi  मे हम  physical address and logical address in hindi  के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-  physical address and logical address in hindi:- physical address and logical address  कोई भी address CPU द्वारा बनाया जाता है उसे लॉजिकल एड्रेस (logical address) कहते हैं और जो address memory में दिखता है उसे हम फिजिकल मैमोरी एड्रैस कहते हैं ) जिसमें Compile time और Load time address binding है कुछ converted करता है जब logical और physical address समान होते हैं अर्थात् एक जैसे होते हैं लेकिन action time address binding scheme में कुछ change आता है और जब logical और physical में अंतर होता है । इसलिये हम logic address को वर्चुअल एड्रैस ( Virtual Address ) भी कहते है और इसी का प्रयोग करते हैं । logical या virtual address हम कह सकते हैं और सारे logical address जो कि एक प्रोग्राम के द्वारा बनाये जाते हैं उन्हें लॉजिकल एड्रैस स्पेस ( Logical Address Space ) कहते हैं । इसके साथ ही जो physical address इन logical address के साथ होते हैं उन्हें हम फिजिकल एड्रैस स्पेस (