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दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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ISP - इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से आशय ऐसी कंपनी से है जो यूजर तक इंटरनेट पहुंचाती हैं। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर विभिन्न प्रकार के कनेक्शन के माध्यम से यूज़र तक इंटरनेट की पहुंच बनाता है। इन कनेक्शन के उदाहरण में डायल-अप, DSL, वायरलेस आदि माध्यम शामिल है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर यूजर्स को ईमेल  की सुविधा प्रदान करते हैं। जब भी कोई ईमेल  हमें प्राप्त होता है  है तो वह हमारे  ISP के  सर्वर  पर  स्टोर  हो जाती हैं।  जब हम हमारी  ई-मेल में  इनबॉक्स देखते हैं  तो  इसका आशय है  होता है  कि हमारे ISP के सर्वर पर वह मेल स्टोर हैं । इसके अतिरिक्त ISP और भी कई सुविधाएं  प्रदान करते है। ISP के पिक्चर्स निम्नानुसार है: डोमेन नेम होस्टिंग गाहक को डोमेन नेम दिलवाने का कार्य करने का फिचर IPS  देते हैं। ISP   ICANN  माध्यम से यह सुविधा अपने ग्राहकों को देते हैं। वेब होस्टिंग   ग्राहक को डोमेन नेम के अतिरिक्त सर्वर पर वेब डॉक्युमेंट्स को अपलोड करने के लिए  आवश्यक वेब  स्पेस  भी उपलब्ध करवाते  हैं। ईमेल अकाउंट  ग्राहक को डोमेन नेम के मेल सर्वर को काफिंगर कर ईमेल सुविधा भी प्रदान की जाती है। इससे  ग्र

Domain name system

डोमेन नेम सिस्टम ऐसा सिस्टम होता है जो विभिन्न वेब रिसोर्सेज को प्रयोग में लेने के लिए उनके आई.पी. ऐड्रेस को नाम देने का कार्य करता है। जब ब्राउज़र के माध्यम से हम कोई डोमेन नेम ओपन करते हैं तो यह रिक्वेस्ट डोमेन नेम सर्वर के पास जाती हैं। डोमेन नेम सर्वर दिए गए डोमेन नेम के आधार पर IP उसका ऐड्रेस अपने डेटाबेस में ढूंढता है। जब IP एड्रेस मिल जाता है तो उस  IP ऐड्रेस को रिक्वेस्ट भेज दी जाती है। यह कहा जा सकता है की डोमेन नेम सर्वर इंटरनेट के लिए फोन बुक की तरह कार्य करता है।  आवश्यकता के आधार पर विभिन्न ग्राहक को डोमेन नेम उपलब्ध कराने का कार्य ICANN (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers) संस्था द्वारा किया जाता है।  इसके लिए ICANN एक डेटाबेस तैयार रखता  है, जिसे  रजिस्ट्री  कहा जाता है । इस डेटाबेस में अभी तक  बुक किए गए  सभी डोमेन नेम की एंट्री होती है। इस डेटाबेस को सर्च करने के लिए whois सर्विस का प्रयोग किया जाता है। एक डोमेन नेम विभिन्न सेक्शनों में बटा हुआ होता है। उदाहरण के लिए www.rissshi.blogspot.com को लेते हैं यह तीन भागों में बटा हुआ है। इसमें तीसरा भाग

URL- यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर

URL से आशय है यूनिफॉर्म रिसोर्ट लोकेटर से होता है इसका प्रयोग वर्ल्ड वाइड वाइड वेब पर किसी डॉक्यूमेंट को प्वाइंट करना होता है इसका एक उदाहरण http://www.rissshi.blogspot.com हो सकता है इसका प्रारूप निम्नानुसार होता है:         Protocol://host.domain:port/path/filename इसके विभिन्न  एलिमेंट्स निम्नानुसार है: 1.protocol - यह प्रयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल के बारे में बताता है । सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाले वाला प्रोटोकॉल http होता है। इसके अतिरिक्त https,ftp,mail to,file आदि अन्य प्रोटोकोल भी प्रयोग में लिए जाते हैं। 2.host - यह डोमेन होस्ट के बारे में बताता है। HTTP  के लिए प्रयोग में आने वाला डिफॉल्ट होस्ट WWW होता है। 3.Domain - यह इंटरनेट डोमेन नेम बताता है।उपरोक्त उदाहरण  में rissshi.blogspot.com डोमेन हैं। 4.Sport - यह वैकल्पिक हिस्सा होता है। यदि इसे दिया नहीं जाता है यह स्वत: प्रोटोकॉल के हिसाब से मान लेता है उदाहरण के लिए http के स्वत: पोर्ट 80 तथा http के लिए स्वत: पोर्ट 443 मान लिया जाता है। 5. Path - एफबी वैकल्पिक यह भी वैकल्पिक हिस्सा होता है। सर्वर पर स्टोर फाइल क

DNS Server

DNS सर्वर का कार्य TCP/IP नेटवर्क पर आधारित मशीन पर कंप्यूटर्स तथा अन्य सेवाओं को नाम प्रदान करना है । नेटवर्क पर किसी भी कंप्यूटर को ढूंढने के लिए उसका IP ऐड्रेस प्रयोग में लिया जा सकता है।IP ऐड्रेस की तुलना में यदि प्रत्येक रिजॉर्ट्स रिसोर्से को कुछ नाम दे दिया जाए तो उसे प्रयोग करना काफी आसान हो जाता है। सर्वर यही कार्य करता है। एक क्लाइंट किसी विशेष कंप्यूटर से जुड़ने के लिए उस कंप्यूटर का डोमेन नेम DNS सर्वर को भेजता है।DNS सर्वर  उस नाम को अपने डेटाबेस में सर्च करके उसका IP एड्रेस रिटर्न करता है।IP ऐड्रेस को पता चलने पर  क्लाइंट कंप्यूटर उस रिमोट कंप्यूटर से  सीधे कनेक्ट हो सकता है। इंटरनेट करोड़ों कंप्यूटर्स का समूह है। ऐसे में किसी विशेष कंप्यूटर से कनेक्ट होने के लिए उसका IP ऐड्रेस प्रयोग में लिया जा सकता है। किंतु  सभी कंप्यूटर  का IP ऐड्रेस  याद रखना  एक मुश्किल कार्य है। ऐसे में DNS सर्वर  हमें  इसका आसान तरीका उपलब्ध कराता है।DNS सर्वर के माध्यम से इंटरनेट पर  मौजूद  सभी रिसोर्सेज  को नाम  दे दिया  जाता है।  इन सभी रिसोर्सेज  का  IP  एड्रेस तो  होता है,  किंतु  उन्हें  

Static web pages and Dynamic web pages

वेबसाइट को उनके कंटेंट के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है । ऐसी वेबसाइट जो हमारा हमेशा समान पेज प्रस्तुत करें वह स्टैटिक वेबसाइट्स होती है, तथा ऐसी वेबसाइट्स जो दिए गए इनपुट के आधार पर उचित डाटा प्रस्तुत करें वह डायनेमिक वेबसाइट कहलाती है। अन्य शब्दों में यह कहा जाता है सकता है की जो वेब पेज समय, यूजर, आदि के संदर्भ में बदलता रहता हो, उसे डायनेमिक वेब पेज कहा जाता है। इसके विपरीत जो पेज उपरोक्त प्रत्येक परिस्थिति में समान रहे वह स्टैटिक कहलायेगा। डायनेमिक वेब पेज के लिए सामान्य डेटाबेस तथा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का प्रयोग किया जाता है ।यूूूजर की आवश्यकता के अनुसार प्रोग्राम डाटा बेस में उचित डाटा को प्रस्तुत कर देता है। डायनेमिक वेबसाइट के दो भागों में विभाजित किया गया है। 1. क्लाइंट साइड स्क्रिप्टिंग 2.सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग इसी प्रकार जिस वेबसाइट पर यूजर इंटर एक्शन के बिना कंटेंट बदलता रहता हो, वह एक्टिव वेबसाइट कहलाती है। ऐसी वेबसाइट पर सामान्य एमीनेशन, &जावा एप्लेट आदि के माध्यम से कंटेंट को प्रदर्शित किया है।