सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

data abstraction in hindi - DBMS in hindi

 आज हम computers in hindi मे data abstraction in hindi - DBMS in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

data abstraction in dbms in hindi (डेटा ऐबस्ट्रेक्शन):-

यह एक डेटाबेस सिस्टम में स्वयं डेटाबेस के अलावा डेटाबेस स्ट्रक्चर की सारी definition व Constants भी शामिल होते हैं और डेटाबेस की परिभाषा मतलब प्रत्येक फाइल का स्ट्रक्चर , प्रत्येक data items का टाईप व संग्रह format तथा साथ ही डेटा पर लगने वाले Constants जिस फाईल में संग्रह करके रखी जाती है , उसे सिस्टम केटेलॉग ' कहते हैं और इस केटेलॉग की समस्त सूचना को मेटा डेटा कहते है ।
1. data independence in hindi
2. operation independence
3. data abstraction in dbms in hindi

1. data independence in dbms in hindi:-

यह सामान्यत : किसी भी फाइल प्रोसेसिंग सिस्टम में डेटा फाइल का स्ट्रक्चर व उसको एक्सेस करने वाला प्रोग्राम एक format के रूप में होते हैं और फाइल के स्ट्रक्चर में किसी भी प्रकार का change के लिये एक्सेस प्रोग्राम में भी परिवर्तन आवश्यक होता है । डीबीएमएस में डेटा फाइल का स्ट्रक्चर केटेलॉग में storage होता है इसमें जबकि एक्सेस प्रोग्राम इस डेटा फाइल से अलग होता है । अतः डीबीएमएस के इस गुण को प्रोग्राम डेटा इन्डीपेन्डेन्सी (data independence in dbms in hindi) कहते है ।

2. program operation independence:-

यह आब्जेक्ट ओरिएन्टेड व आब्जेक्ट रिलेशनल मॉडल में डेटा पर किसी भी आपरेशन को डेटाबेस की परिभाषा के रूप में ही परिभाषित कर देते हैं और इस ऑपरेशन ( फंक्शन ) के दो भाग होते हैं : 
( 1 ) ऑपरेशन का इन्टरफेस ( सिग्नेचर ) जिसमें ऑपरेशन का Implementation या Execution जो कि परिभाषित होता है लेकिन वह interface से पृथक होता है और इसमें हम कोई परिवर्तन interface को प्रभावित किये बिना कर सकते हैं । जब कभी भी हम हमारे किसी भी एप्लीकेशन प्रोग्राम के द्वारा डेटा पर कोई आपरेशन करते है तो इन आपरेशन को सिर्फ उनके नाम व आरग्यूमेंट के द्वारा ही कॉल किया जाता है और जबकि इस बात से कोई मतलब नहीं होता है कि ऑपरेशन किस तरह से होंगे । इसे operation independence कहते है ।

3. data abstraction in hindi:-

डेटा ऐबस्ट्रेक्शन ऐसा गुण होता है जो प्रोग्राम डेटा इन्डीपेन्डेन्सी व प्रोग्राम ऑपरेशन इन्डीपेन्डेन्सी को  Define हैै वास्तव में डेटा मॉडल डेटा ऐबस्ट्रेक्शन का ही एक प्रकार है । यह डेटा संग्रह तथा Execution की जानकारी को hide है और and user के लिये जरूरी नहीं है तथा सिर्फ साधारण लॉजिकल विचार दिखाता है , जैसे आब्जेक्ट ( ऐन्टिटी ) ; उसके गुण ( ऐट्रिब्यूट्स ) तथा उनकी रिलेशनशिप इत्यादि जो सभी एण्ड यूजर के लिये जरूरी होते हैं ।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

half adder and full adder in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे  आज हम half adder and full adder in hindi - computer system architecture in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- half adder and full adder in hindi:- 1. half adder in hindi 2. full adder in hindi  1. Half adder in hindi:- half adder  सबसे basic digital arithmetic circuit 2 binary digits का जोड़ है।  एक combination circuit जो दो bits के arithmetic जोड़ को display करता है उसे half adder कहा जाता है।   half adder के इनपुट variable को Augend और addend bits कहा जाता है। आउटपुट योग और Carrie को बदलता है। दो आउटपुट variable Specified करना आवश्यक है क्योंकि 1 + 1 का योग बाइनरी 10 है, जिसमें दो अंक हैं। हम दो इनपुट वेरिएबल्स के लिए x और y और दो आउटपुट वेरिएबल के लिए S (योग के लिए) और C (कैरी के लिए) असाइन करते हैं। C output 0 है जब तक कि दोनों इनपुट 1 न हों। S आउटपुट योग के कम से कम महत्वपूर्ण बिट का Representation करता है। दो आउटपुट के लिए boolean function सीधे t

physical address and logical address in hindi

आज हम  computer course in hindi  मे हम  physical address and logical address in hindi  के बारे में बताएगें तो चलिए शुरु करते हैं-  physical address and logical address in hindi:- physical address and logical address  कोई भी address CPU द्वारा बनाया जाता है उसे लॉजिकल एड्रेस (logical address) कहते हैं और जो address memory में दिखता है उसे हम फिजिकल मैमोरी एड्रैस कहते हैं ) जिसमें Compile time और Load time address binding है कुछ converted करता है जब logical और physical address समान होते हैं अर्थात् एक जैसे होते हैं लेकिन action time address binding scheme में कुछ change आता है और जब logical और physical में अंतर होता है । इसलिये हम logic address को वर्चुअल एड्रैस ( Virtual Address ) भी कहते है और इसी का प्रयोग करते हैं । logical या virtual address हम कह सकते हैं और सारे logical address जो कि एक प्रोग्राम के द्वारा बनाये जाते हैं उन्हें लॉजिकल एड्रैस स्पेस ( Logical Address Space ) कहते हैं । इसके साथ ही जो physical address इन logical address के साथ होते हैं उन्हें हम फिजिकल एड्रैस स्पेस (