आज हम computer course in hindi मे हम paging in os in hindi के बारे में जानकारी देते क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-
paging in os in hindi :-
paging हमारे पास एक method है जिससे कि हम external fragmentation की problem से बाहर आ सकते हैं और जो कि लगातार कोई भी प्रोसेस को देता है । किसी भी प्रोसेस को physical memory बाद में मिलती है जब कि logic address space से लगातार काम करता रहता है । इन सभी को करने का एक method paging है ( इस paging memory में प्रोसेस को कोई भी Shape देने में और उन्हें किसी भी छोटे - छोटे टुकड़े में बदलने में काम करता ताकि मैमोरी खराब न हो । जब भी कोई कोड fragment होता है या जो डाटा मैमोरी में है वह बाहर जाता है तो बैंकिंग स्टोर पर जगह बन जाती है । इससे समय ज्यादा लगता है इसलिये देखा जाये तो compaction नहीं हो सकता । इन्हीं सब कारणों से paging को लाया गया है और paging कई ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा स्वीकार की जाती है ।
Method of paging in os in hindi:-
1. Basic pagging method
2. Multi level pagging method
1. Basic pagging method:-
physical memory बराबर के ब्लॉक में divided हो जाती है जिन्हें हम फ्रेम ( Frame ) कहते हैं और logical memory भी इसी तरह ब्लॉक में बदल जाती है जिसे हम पेज ( Page ) कहते हैं । जब कोई भी process action के लिये जाता है तो उस पेज को किसी भी जगह memory frame में डाल दिया जाता है । बैकिंग स्टोर को भी इसी तरह divided कर दिया जाता है जैसे कि memory frame को जो हार्डवेयर है वह भी इस sport करता है । जो भी एड्रैस सी.पी.यू. द्वारा बनता है । वह दो भागों में divided हो जाता है पहला पेज नं .0 और दूसरा पेज offset । जो पेज नं . है वह पेज टेबल के काम आता है । जिसमें सब लिखा होता है कि किस पेज के बाद कौन सा आयेगा जैसे 0,1,2,3 , पेज टेबल बेस एड्रैस रखती है जो कि physical memory में होता है ।
यह बेस एड्रैस , page offset के साथ मिलकर physical address को display जोकि मैमोरी यूनिट में send कर जाता है । पेज का आकार हार्डवेयर को बताता है जो एक पेज होता है वह 512 बाइट से लेकर 8192 बाइट के बीच के होता है तथा पेज की पावर कितनी हैं , जैसे कि हम कह कहते हैं कि साइज एक की पावर ( x2 ) इस पर भी निर्भर करता हैं । यह सब कुछ कम्प्यूटर के होने पर निर्भर करता हैं । logical address पेज साइज की पावर को पेज संख्या में बदल देता है और page offset आसान हो जाता है । अगर logical address space का आकार 20 " और जो पेज है।
वह 2 " है ( बाइट और शब्द में जो एड्रैसिंग यूनिट को display है ) तब बड़ा m bit logical address की पेज संख्या को display है और n जो छोटा ऑर्डर बिट है वह page offset को display है । तो जो logical address है।
2. Multi level pagging method:-
आजकल के सिस्टम बहुत बड़ी logical address को रखते हैं ( 2 ( 32 ) से 2 ( 64 ) तक ) । इन सबमें पेज टेबल बहुत बड़ी होती है । एक सिस्टम 32 बिट का logical address रखता है । अगर उसमें पेज का आकार 4K का है तो वह 212 हो जायेगा तो जो पेज है वह एक million entry रखेगा ( 2 ( 32 ) / 2 ( 11 ) क्योंकि हर entry 4 बाइट लेगी और हर प्रोसेस को physical address space लेने में 4 megawatt तक की आवश्यकता होगी । यह तो साफ है कि हम पेज टेबल को लगातार मैमोरी में नहीं दे सकते इससे तो यह बढ़िया है कि हम पेज टेबल को छोटे - छोटे टुकडो में कर ले ताकि यह काम भी आ जायेंगे । यह तरीका यह है कि इसे दो लेवल पेजिंग में डाल दे जिसमें पेज टेबल खुद paged हो जायेगा । अपने 32 बिट मशीन से जिसमें 4 बाइट के पेज हैं । जो logical address है वह बँट जाता है कई सारे pages में जो 20 बिट लेते हैं और जो worship offset है वो 12 बिट लेता है फिर जो पेज संख्या है वह 10 बिट पेज में और 10 बिट पेज offset में बँट जाती है तो जो logical address है।
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