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Ahilya Bai Holkar story part-4
पुण्यश्लोका लोकमाता अहल्यादेवी होलकर-4:-
पुण्यश्लोका लोकमाता अहल्यादेवी होलकर - धर्मनिष्ठा:-
- महारानी अहिल्याबाई की प्रारंभ से ही महादेव पर अटूट आस्था रही। उनकी दिनचर्या किसी संत के समान थी। वे प्रतिदिन ब्रह्ममुहर्त में उठकर स्नान, पूजा, ध्यान से निवृत्त होकर अपनी गाय श्यामा के दर्शन करने के उपरांत लोकसेवा के कार्य में लग जाती थी। अन्नदान व धनदान उनका नित्य कर्म होता था। माँ नर्मदा के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। अतः माँ नर्मदा की परिक्रमा के श्रद्धालुओं हेतु उन्होंने भोजन, विश्राम व अन्य आवश्यक सुविधाओं का प्रबंध करवाया।
- शिव के प्रति उनके समर्पण भाव का पता इस बात से चलता है कि वे राजकाज सम्बन्धी आज्ञाओं पर हस्ताक्षर करते समय अपना नाम नहीं लिखती थी बल्कि पत्र के नीचे केवल 'श्री शंकर' लिख देती थी। उनके कार्यकाल में जारी किये गये रुपयों पर शिवलिंग और बिल्व पत्र का चित्र और पैसों पर नंदी का चित्र अंकित होते थे।
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