सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

token ring in hindi

 आज हम computers in hindi मे token ring in hindi- computer network in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

Token ring in hindi:-

टोकन रिंग लोकल एरिया नेटवर्क टेक्नोलॉजी ( Token Ring Local Area Network Technology ) एक लोकल एरिया नेटवर्क प्रोटोकॉल ( Protocol ) है जो OSI मॉडल के डेटा लिंक लेयर पर होता है । यह 3 - Byte फ्रेम का प्रयोग करता है जिसे टोकन ( Token ) कहते हैंजो रिंग के चारों ओर ट्रेवल ( Travel ) करता है । 
टोकन रिंग आर्किटेक्चर ( Archietecture ) को IBM नामक कम्पनी द्वारा विकसित किया गया था , जिसका प्रयोग ज्यादातर IBM के कम्प्यूटरों द्वारा जैसे IBM PC , मेनफ्रेम ( Mainframe ) और IBM के सिस्टम नेटवर्क आर्किटेक्चर एन्वायरमेंट को नेटवर्क में जोड़ने के लिए किया जाता है ।

टोकन रिंग लैन ( LAN ) रिंग टोपोलॉजी (नेटवर्क टोपोलॉजी क्या हैं ) में लॉजिकली ( Logically ) Organised होती है जिसमें डेटा एक रिंग स्टेशन से दूसरे रिंग स्टेशन में वृत्ताकार आकृति ( Circular ) में Sequentially ट्रान्समिट होता है । टोकन पासिंग मेथड ( Method or Mechanism ) को ARCNET , Token Bus और FDDI द्वारा शेयर ( Share ) किया जाता है । वॉल सोकेट ( Wall Socket ) के द्वारा कम्प्यूटरों को नेटवर्क से जोड़ने के लिए , ट्विस्टेड पेयर केबल ( Twisted Pair Cable ) का प्रयोग करते हुए एक साधारण सा केबलिंग स्ट्रक्चर ( Cabling Structure ) Create करना ही IBM के टोकन रिंग का उद्देश्य ( Goal ) था । 
जब टोकन रिंग ( LAN )'S पहले 4Mbit पर शुरू किये गये थे तो , यह दावा करते थे कि ये ईथरनेट से बेहतर ( Superior ) थे , लेकिन इन दावों ( Claim ) पर जमकर बहस हुई । स्विच ईथरनेट ( Switch Ethernet ) और ईथरनेट में तेजी से वेरिएंट ( Variant ) के साथ , टोकन रिंग , ईथरनेट के पीछे लैग्ड ( Lagged ) रह गया और ईथरनेट की उच्च बिक्री ( Higher Sales ) ने अर्थपलस्था को कम मूल्यों की अनुमति दी और एक सम्मोहक मूल्य लाभ ( Compelling Price Advantage ) जोड़ा । 

How Works Token Ring in hindi (टोकन रिंग कैसे कार्य करता है ):-

जब किसी टोकन रिंग नेटवर्क को चालू ( On ) किया जाता है तो सर्वप्रथम एक कम्प्यूटर एक्टिव ( Active ) होता है जिसे एक्टिव मॉनीटर ( Active monitor ) कहा जाता है और यह एक टोकन उत्पन्न करता है । यह टोकन बिट्स ( Bits ) का फॉरमेशन ( Formation ) होता है जो कम्प्यूटर को केबल्स पर डेटा पास करने की अनुमति प्रदान करता है और यह टोकन एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर एक ही दिशा में लगातार तब तक गुजरता रहता है जब तक किसी कम्प्यूटर द्वारा उसे प्राप्त ( Receive ) नहीं कर लिया जाता इसे राउन्ड रोबिन पालिंग टेकनीक ( Round - robin polling technique ) के नाम से भी जाना जाता है ।
जब एक  टोकन कम्प्यूटर द्वारा प्रयोग ( Use ) में लिया जाता है तब तक कोई दूसरा कम्प्यूटर डेटा ट्रान्समिट ( Transmit ) नहीं कर सकता । कम्प्यूटर के द्वारा टोकन को प्राप्त ( Receive ) करने के बाद , यह नेटवर्क के बाहर एक डेटा फ्रेम भेजता ( Send ) है । 
इसके बाद यह फ्रेम रिंग में तब तक घूमता रहता है जब तक कि वह उस कम्प्यूटर के पास नहीं पहुँच जाता जिससे उसका डेसटीनेशन एड्रेस ( Destination address ) मिलान ( Match ) करता है , जो कि उस फ्रेम में है । डेसटीनेशन कम्प्यूटर ( Destination computer ) के द्वारा उस फ्रेम के डेटा को अपने बफर ( Buffer ) में कॉपी ( Copy ) कर लिया जाता है और उस फ्रेम के एक्सेस कन्ट्रोल फील्ड ( Access control field ) को चिन्हित ( Mark ) कर दिया जाता है जो भेजने वाले ( Sender ) को यह सूचित करता है कि फ्रेम को प्राप्त कर लिया गया है । 
जब तक भेजे जाने वाले कम्प्यूटर ( Sending computer ) को ट्रान्समिशन ( Transmition ) के सफलतापूर्वक ( Successful ) होने की सूचना नहीं मिल जाती तब तक ( Frame ) फ्रेम रिंग में घूमता रहता है 
टोकन रिंग नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर एक यूनिडायरेक्शन रीपिटर ( Unidirctional repeater ) की तरह कार्य करता है जो टोकन को रीजनरेट ( Regenerate ) करता है और उसे रिंग में पस कर देता है । 
Note- एक समय में केवल एक ही टोकन नेटवर्क में एक्टिव ( Active ) हो सकता है और टोकन रिंग के चारों तरफ एक ही दिशा में घूम सकता है । 

सिस्टम की मॉनिटरिंग ( Monitoring of the system):-

टोकन रिंग सिस्टम ( Token ring system ) को एक्टिव मॉनीटर ( Active monitor ) द्वारा मानीटर ( Monitor ) किया जाता है । एक्टिव मॉनीटर ( Activemonitor ) वह कम्प्यूटर होता है , जो रिंग में सबसे पहले एक्टिव ( Active ) होता है । फ्रेम को भेजने ( Deliver ) और प्राप्त करने ( Receive ) का सिग्नल ( Signal ) एक्टिव मॉनीटर ( Active monitor ) देता है , इसके लिए यह फ्रेम के मॉनीटर बिट ( Monitor bit ) की वैल्यू ( Value ) को उल्टा ( Invert ) कर देता है और यह चैक करता है कि कोई फ्रेम रिंग में एक से अधिक बार घूम तो नहीं चुका है , मॉनीटरिंग ( Monitoring ) की प्रक्रिया ( Method ) को बीकनिंग ( Beaconing ) कहा जाता है।
बीकनिंग ( Beaconing ) के द्वारा रिंग में किसी भी समस्या का पता लगाया जा सकता है या उसके कारणों ( Reasons ) का पता लग सकता है , इस प्रक्रिया में एक्टिव मॉनीटर ( Active monitor ) रिंग में हर 7 सैकेंड में एक बीकॉन मैसेज ( Beacon message ) भेजता है जो पूरे रिंग में एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर गुजरता है यदि किसी कम्प्यूटर द्वारा बीकॉन मैसेज ( Beacon message ) प्राप्त ( Recive ) नहीं किया जाता है तो वह कम्प्यूटर नेटवर्क को एक मैसेज ( Message ) भेजता है जिसमें उस कम्प्यूटर का एड्रेस ( Address ) जिसने मैसेज ( Message ) नहीं किया है , उसका एड्रेस ( Address ) और बीकॉन ( Beacon ) का प्रकार होता है । कम्प्यूटर की पहचान करना ( Recognizing a Computer )- - जब भी कोई नया कम्प्यूटर नेटवर्क में एक्टिव ( Active / online ) होता है तो टोकन रिंग सिस्टम इसे इनिशियलाइज ( Initialize ) करता है जिससे वह रिंग का भाग बन सके ।
 
इस इनिशियलाइजेशन ( Initialization ) में होते हैं 
• डुप्लीकेट एड्रेस ( Duplicate address ) की जाँच करना 
• अन्य कम्प्यूटर्स को इसके अस्तित्व में होने की सूचना देना

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

half adder and full adder in hindi

  आज हम  computer in hindi  मे  आज हम half adder and full adder in hindi - computer system architecture in hindi   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-   के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं- half adder and full adder in hindi:- 1. half adder in hindi 2. full adder in hindi  1. Half adder in hindi:- half adder  सबसे basic digital arithmetic circuit 2 binary digits का जोड़ है।  एक combination circuit जो दो bits के arithmetic जोड़ को display करता है उसे half adder कहा जाता है।   half adder के इनपुट variable को Augend और addend bits कहा जाता है। आउटपुट योग और Carrie को बदलता है। दो आउटपुट variable Specified करना आवश्यक है क्योंकि 1 + 1 का योग बाइनरी 10 है, जिसमें दो अंक हैं। हम दो इनपुट वेरिएबल्स के लिए x और y और दो आउटपुट वेरिएबल के लिए S (योग के लिए) और C (कैरी के लिए) असाइन करते हैं। C output 0 है जब तक कि दोनों इनपुट 1 न हों। S आउटपुट योग के कम से कम महत्वपूर्ण बिट ...

महाकुंभ-आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता की यात्रा

महाकुंभ-आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता की यात्रा-1:- कुंभ मेला दुनियां में आस्था और आध्यात्मिकता की सबसे असाधारण अभिव्यक्तियों में से एक है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म के शाश्वत सार को दर्शाता है। यह हिंदू परंपराओं में गहराई से निहित एक पवित्र तीर्थयात्रा है, जहाँ लाखों भक्त, साधु- सन्त (पवित्र पुरुष), विद्वान् और साधक ईश्वर में अपनी सामूहिक आस्था का उत्सव मनाने के लिए एकत्र होते हैं। जहां राष्ट्रीय एकात्मता और सामाजिक समरसता के सहज दर्शन होते हैं।* यह स्मारकीय आयोजन महज धार्मिक उत्सव की सीमाओं से परे जाकर भक्ति, सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक जागृति के जीवंत संगम के रूप में विकसित होता है। महाकुंभ-आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिकता की यात्रा-2:- चार पवित्र स्थानों- हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन - पर चक्रीय रूप से आयोजित होने वाला कुंभ मेला सत्य और मोक्ष की शाश्वत खोज का प्रतीक है। इन स्थानों को मनमाने ढंग से नहीं चुना जाता है; वे प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और आकाशीय संरेखण से आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं, जो इन पर्वों को गहन आध्यात्मिक महत्त्व देते हैं। प्रत्येक स्थल नदियों या तीर...

शिक्षक का व्यवहार कैसा होना चाहिए? (What should be the behaviour of a teacher?)

 शिक्षक का व्यवहार कैसा होना चाहिए:-  शिष्य एवं शिक्षक के बीच शिष्टाचार-1:- एक विद्यार्थी अपने शिक्षक से ज्ञान प्राप्त कर जीवन में अग्रसर होता है, अपने जीवन का निर्माण करता है। जो विद्यार्थी अच्छे गुणों को ग्रहण कर शिष्टाचारी बनकर जीवन- पथ पर आगे बढ़ता है; जीवन में उच्च पद, सम्मान आदि प्राप्त करता है और उसको समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व का दर्जा प्राप्त होता है। दूसरी ओर वह शिष्य है, जो अशिष्ट है। वह इस दुनियां में आता है और चला जाता है। उसका जीवन कीड़े-मकोड़े की तरह होता है- अर्थात् उनका कोई अस्तित्व नहीं होता। वह निरुद्देश्य जीवन जीते मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। जहाँ एक ओर विद्यार्थियों को अपने गुरुजनों, शिक्षकों के साथ सम्मानजनक उचित व्यवहार करना चाहिए, वहीं दूसरी ओर शिक्षकों को भी अपने शिष्यों, विद्यार्थियों के सम्मान का उचित ध्यान रखना चाहिए, अर्थात् दोनों का एक-दूसरे के प्रति शिष्टाचार आवश्यक है।  शिष्य एवं शिक्षक के बीच शिष्टाचार-2:- विद्यार्थी को अपना कार्य स्वयं करना चाहिए, न कि अपने माता-पिता अथवा अभिभावक पर निर्भर होना चाहिए। जो विद्यार्थी अपना कार्य स्वयं कर...