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networking device in hindi

 आज हम computers in hindi मे network connectivity devices in hindi - computer network in hindi के बारे में जानकारी देगे क्या होती है तो चलिए शुरु करते हैं-

what is networking devices in hindi (नेटवर्किंग डिवाइस क्या है):-

network connectivity devices वे उपकरण को विभिन्न नेटवर्क ( नेटवर्क क्या होता है?) को जोड़ने का माध्यम बनते हैं वे इन्टरनेटवर्किंग उपकरण कहलाते हैं । 
नेटवर्क ( नेटवर्क क्या होता है?) एक से अधिक कम्प्यूटर्स का आपस में संयोजन होता है । एक नेटवर्क ( नेटवर्क क्या होता है?) को बनाते समय जिन - जिन तत्वों का होना आवश्यक है या ऐसी हार्डवेयर कम्पानेन्ट्स जो नेटवर्क बनाने में उपयोगी हैं , वे नेटवर्क के घटक कहलाते हैं । किसी नेटवर्क के कई घटक को सकते हैं।

Types of network connectivity devices in hindi:-

2. क्लाईंट ( Client )
3.नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड ( Network Interface Card - NIC ) 
4. मॉडेम ( Modem ) 
5. राउटर ( Router ) 
6. स्विच ( Switches ) 
7. हब ( Hub ) 
9. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम ( Network Operating System ) 
10. ट्रांस्मिश माध्यम ( Transmission Media )

1. सर्वर ( Server and Client ) :-

किसी नेटवर्क के अन्तर्गत सर्वर मुख्य कम्प्यूटर को कहा जाता है जो कि सम्पूर्ण नेटवर्क सुचारू रूप से संचालन के लिए उत्तरदायी होता है । सर्वर एक एसा कम्प्यूटर होता है जो शेयर्ड फाइलों , प्रोग्राम्स को अपने पास स्टोर करके रखता है तथा इस कम्प्यूटर पर नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जिसके द्वारा इसे ऑपरेट किया जाता है । सर्वर का कार्य प्रयोगकता ( user ) को नेटवर्क रिसोर्सेस उपलब्ध कराता है तथा प्रयोगकर्ता ( user ) को उन्हें एक्सेस करने की अनुमति भी प्रदान करता है । सर्वर कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे कि फाईल सर्वर , प्रिन्ट सर्वर , डेटाबेस सर्वर मेल सर्वर , वेब सर्वर इत्यादि ।

2. क्लाईट (client):-

क्लाईट कम्प्यूटर वे कम्प्यूटर होते हैं जो नेटवर्क में सर्वर के नेतृत्व में कार्य करते हैं तथा सर्वर द्वारा नेटवर्क पर उपलब्ध कराये गए सिसोर्सेस का आवश्यकतानुसार उपयोग करते हैं । इन कम्प्यूटर्स का प्रयोग प्रयोगकर्ता ( user ) के द्वारा किया जाता है . इन कम्प्यूटर्स पर क्लाईंट ऑपरेटिंग सिस्टम होता है , जिसके माध्यम से प्रयोगकर्ता ( user ) सर्वर से डेटा , सूचना व विभिन्न सेवाएं प्राप्त करने के लिए सर्वर को request भेजता है ।

3. नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड ( Network Interface Card - NIC ) :-

नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड एक प्रकार का डिवाइस होता है जिसके माध्यम से दो कम्प्यूटर्स को आपस में या किसी कम्प्यूटर को नेटवर्क पर जोड़ा जा सकता है । नेटवर्क पर जुड़े हुए प्रत्येक कम्प्यूटर में यह कार्ड लगा होता है इसके माध्यम से कम्प्यूटर्स आपस में संचार ( communication ) करते हैं । इसी के माध्यम से नेटवर्क से जुड़े हुए कम्प्यूटर्स आपस में डेटा का लेन - देन करते हैं ।

4. मॉडेम ( Modem ):-

 नेटवर्क में मॉडम की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है । सामान्यत : इसका प्रयोग कम्प्यूटर को इन्टरनेट से जोड़ने के लिए किया जाता है । इसके द्वारा टेलीफोन लाईन के माध्यम से दो या अधिक कम्प्यूटर्स को आपस में जोड़ा जा सकता है । मॉडम शब्द modulation व demodulation से मिलकर बना है । modulation का अर्थ किसी सिग्नल को किसी अन्य रूप में बदलना तथा demodulation का अर्थ सिग्नल को अन्य रूप से पुनः उसकी वास्तविक स्थिति में लाना होता है । अतः मॉडम का एक कम्प्यूटर से भेजे जाने वाले डेटा को टेलीफोन लाईन के सिग्नल्स में बदलता है जिससे कि डेटा को नेटवर्क पर भेजा जा सके तथा प्राप्त होने वाले सिग्नल्स को पुनः डिजिटल रूप में बदलता है जिससे कि उसे पढ़ा जा सके ।

5. राउटर ( Router ) :-

राउटर का प्रयोग एक ( Local Area Network : LAN ) को इन्टरनेट से जोड़ने के लिए किया जाता है । जब एक ही इन्टरनेट कनेक्शन को एक से अधिक कम्प्यूटर्स के साथ बांटना हो तो सभी कम्प्यूटर्स को एक LAN के रूप में आपस में जोड़ा जाता है तथा उस LAN से राउटर को जोड़ दिया जाता है । राउटर इन्टरनेट से जुड़ा होता है इससे एक ही इन्टरनेट कनैक्शन का उपयोग उस LAN के सभी कम्प्यूटर्स कर सकते हैं । राउटर्स wired a wireless दोनों प्रकार के होते हैं ।

6. स्विच ( Switches ) :-

स्विच भी एक प्रकार का नेटवर्क हार्डवेयर कम्पोनेन्ट है जो कि कम्प्यूटर्स को एक LAN के रूप में आपस में जोड़ता है तथा इसके द्वारा एक से अधिक LANS को भी आपस में जोड़ा जा सकता है । यह नेटवर्क में प्राप्त होने वाले प्रत्येक संदेश के हार्डवेयर एड्रेस का प्रयोग करता है जिससे के संदेश सही गंतव्य ( destination ) तक पहुंचाया जा सके । अर्थात् यह किसी कम्प्यूटर के द्वारा भेजे गए संदेश को सम्पूर्ण नेटवर्क पर ना भेज कर उसके सही गंतव्य वाले कम्प्यूटर को ही भेजता है , इससे नेटवर्क की स्पीड भी तेज होती है इसलिए इसे टेलीकम्प्यूनिकेशन डिवाइस भी कहा जाता है ।

7. हब ( Hub ):-

हब ( Hub ) एक नेटवर्किंग कम्यूनिकेशन डिवाइस ( Networking communication device ) है । हब्स ( Hubs ) का प्रयोग लैन ( LAN ) के आकार ( Size ) को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है । एक हब ( Hub ) को अनेक कम्प्यूटरों , अलग - अलग डिवाइसेज ( Devices ) और हब ( lub ) से भी जोड़ा जा सकता है ।
 हब ( Hub ) तीन तरह के होत हैं : 
पैसिव ( Passive ) 
एक्टिव ( Active )
 स्मार्ट ( Smart ) हब्स ।
 पैसिव हब ( Passive hub ) आने वाले पैकेट के इलेक्ट्रिक सिग्नल्स ( Electric signals ) को एम्प्लीफाई ( Amplify ) नहीं करते हैं , एक्टिव हब्स ( Active hubs ) , एम्प्लीफिकेशन ( Amplification ) प्रदान करते हैं और स्मार्ट हब ( Intelligent hub ) एक्टिव हब में कुछ नये फीचर्स ( Features ) जोड़ देता है जो कि किसी भी व्यवसाय ( Business ) की सफलता के लिए जरूरी होते हैं।

8. लोकल ऑपरेटिंग सिस्टम ( Local Operating System ) :-

इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम , प्रयोगकर्ता ( user ) के कम्प्यूटर पर installed होते हैं , ये प्रयोगकर्ता ( user ) को एक इन्टरफेस प्रदान करते हैं जिनके द्वारा प्रयोगकर्ता नेटवर्क पर उपलब्ध रिसोर्सेस'जैसे कि प्रिन्टर , फाईल शेयर आदि का उपयोग कर सकता है । इसके अतिरिक्त प्रयोगकता किसी अन्य कम्प्यूटर शेयर्ड की डिस्क , शेयर्ड सीडी अथवा डीवीडी ड्राइव व शेयर्ड स्कैनर इत्यादि का भी प्रयोग कर सकता है । 

9. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम ( Network Operating System ):-

 इस प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम केवल सर्वर पर ही installed होते हैं , इसके द्वारा सर्वर विभिन्न client कम्प्यूटर्स से डेटा , सूचना अथवा किसी प्रोगाम व शेयर्ड रिसोर्स के लिए request प्राप्त करता है तथा उन्हें उनकी आवश्यकतानुसार डेटा , सूचना इत्यादि को प्रदान करता है ।

 10. ट्रांस्मिश माध्यम ( Transmission Media):-

इनके माध्यम से नेटवर्क में विभिन्न कम्प्यूटर्स को आपस में कनैक्ट किया जाता है । अत : इसके अन्तर्गत twisted pair cables . coasial cables . fiber optic cables आदि को सम्मिलित किया जाता है । कम्प्यूटर्स को नेटवर्क से जोड़ने आवश्यकता व उपयोग के अनुसार इनका चयन किया जाता है । इसके अन्तर्गत विभिन्न तारों के अतिरिक्त उनसे सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के कनैक्टर्स को भी शामिल किया जाता है जिनके माध्यम से विभिन्न तारों को उपयुक्त डिवाइसेस व कम्यूटर के साथ कनैक्ट किया जाता है। कनैक्टर्स भी ट्रांस्मिशन माध्यम का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग हैं ।


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