The Importance of a Mother (माँ का महत्त्व)

 माँ का महत्त्व:-

आपको मुक्ति दिलानेवाले ऊँचे से ऊँचे भगवान् ने इसी धरती पर मानव के रूप में जन्म लिया है। यह भारत केवल मनुष्यों की जननी नहीं है। यह देवों की भी जननी है। इसकी सेवा विश्व-जननी की सेवा है। इसकी सेवा है, तो बाकी कुछ नहीं चाहिए।


एक बार देवताओं के बीच प्रतियोगिता हुई, वे कौन से देव हैं, जिनका वाहन जल्दी दौड़ता है? सब लोग अपना-अपना वाहन लेकर आ गए। कार्तिकेयजी अपने मोर को लेकर आ गए। इंद्र अपने ऐरावत पर बैठकर और विष्णुजी गरुड़ लेकर आ गए। सबने मिलकर शिवजी को रेफरी बनाया और कहा, “शिव-पार्वती, आप बैठकर देखिए, कौन पहले आता है।” वहाँ गणेशजी भी आ गए। अब गणेशजी का शरीर तो मोटा है। सब लोगों ने कहा, “अरे! आप इतने मोटे हैं। आपका वाहन तो चूहा है, वह क्या दौड़ेगा? आप यहाँ क्या करने आए हैं?” तो गणेशजी ने कहा, “हम भी प्रतियोगिता में आए हैं।”

प्रतियोगिता शुरू हो गई, सब लोग दौड़ लगाने चले गए। पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर आना था। गणेशजी देखते रहे। *सब लोग दूर चले गए, तब उन्होंने माता पार्वती की तीन प्रदक्षिणा की और बैठ गए।* सब देव वापस आए। जब पूछा गया कि कौन जीता, तो शिवजी ने कहा, “गणेशजी जीते।” तो सभी एक स्वर में बोले, “गणेशजी कैसे जीत गए? वे तो दौड़े ही नहीं!” शिवजी बोले, “दौड़े कैसे नहीं, आप लोग तो धातु, मिट्टी और लोहे से बनी धरती का चक्कर लगाते रहे। इन्होंने तो धरती के साक्षात् तत्त्व माता का चक्कर लगाया, बस सारा काम हो गया।”

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